के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist
निर्गुण्डी एक पेड़ की झाड़ी है, जो भूमध्य सागर और मध्य एशिया में उगती है। निर्गुण्डी की झाड़ी लंबी और इसकी पत्तियां उंगलियों के आकार में होती हैं। इसमें नीले और बैंगनी रंग के फूल होते हैं। साथ ही इसका फल (रसभरी) जामुनी रंग का होता है। इसकी रसभरी (फल) और बीच का इस्तेमाल दवाइयां बनाने में होता है।
निर्गुण्डी को निम्नलिखित स्थितियों में मौखिक रूप से लिया जाता है:
पुरुषों में यूरिन का फ्लो बढ़ाने, बढ़ी प्रोस्टेट ग्लैंड का उपचार करने और संभोग की इच्छा को कम करने के लिए निर्गुण्डी का इस्तेमाल होता है। कुछ लोग मुहांसे, घबराहट, नींद की दिक्कत, सिर दर्द, माइग्रेन, आंख दर्द, बॉडी का इंफ्लमेशन, फ्रैक्चर और सूजन को कम करने के लिए निर्गुण्डी का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, कुछ लोग परजीवियों को त्वचा से निकालने और कीड़ों के काटने से बचने के लिए निर्गुण्डी को स्किन पर लगाते हैं।
और पढ़ें – अमरबेल के फायदे एवं नुकसान : Health Benefits of Amarbel
निर्गुण्डी के कार्य करने के तरीकों के संबंध में पर्याप्त शोध उपलब्ध नही हैं। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बालिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि निर्गुण्डी हॉर्मोन्स को प्रभावित करती है, जो महिला के रिप्रोडक्टिव साइकल नियमित करते हैं।
[mc4wp_form id=’183492″]
निम्नलिखित परिस्थितियों में निर्गुण्डी का इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या फार्मासिस्ट से सलाह लें:
अन्य दवाइयों के मुकाबले आयुर्वेदिक औषधियों के संबंध में रेग्युलेटरी नियम अधिक सख्त नहीं हैं। इनकी सुरक्षा का आंकलन करने के लिए अतिरिक्त अध्ययनों की आवश्यकता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले इसके खतरों की तुलना इसके फायदों से जरूर की जानी चाहिए। इसकी अधिक जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से सलाह लें।
प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग: प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निर्गुण्डी का सेवन करना संभवतः असुरक्षित हो सकता है। चिंता की बात यह है कि निर्गुण्डी हाॅर्मोन्स में हस्तक्षेप कर सकता है। यदि आप प्रेग्नेंट हैं या ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं तो इसका इस्तेमाल ना करें।
हाॅर्मोन्स के लिहाज से संवेदनशील स्थिति माने जाने वाले जाने वाले एंडोमेट्रियोसिस, यूट्राइन फाइब्रॉइड्स या ब्रेस्ट, यूटरस, ओवरी के कैंसर में निर्गुण्डी हार्मोन्स पर प्रभाव डाल सकती है और इससे एस्ट्रोजेन का स्तर प्रभावित हो सकता है। यदि आप हार्मोन्स के लेकर संवेदनशील हैं तो निर्गुण्डी का इस्तेमाल ना करें।
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF): इस दौरान निर्गुण्डी आईवीएफ की प्रभाविकता को प्रभावित कर सकती है। यदि आप आईवीएफ की प्रक्रिया से गुजर रही हैं तो इसका इस्तेमाल ना करें।
पार्किंसन रोग (Parkinson’s disease): इस स्थिति में निर्गुण्डी में मौजूद रसायन मस्तिष्क पर प्रभाव डाल सकते हैं। पार्किंसन रोग में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों के प्रभाव के समान ही निर्गुण्डी के रसायन दिमाग पर असर डालते हैं। इस स्थिति में यह पार्किंसन रोग के इलाज को प्रभावित कर सकती है।
सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) या अन्य मानसिक विकार: निर्गुण्डी दिमाग में मौजूद डोपामाइन (Dopamine) नामक केमिकल को प्रभावित कर सकती है। कुछ दवाइयां डोपाइमन के स्तर को कम करने में मदद करती हैं। अन्य मानसिक विकारों के इलाज के दौरान निर्गुण्डी का सेवन उपचार को प्रभावित कर सकता है।
और पढ़ें – पर्पल नट सेज के फायदे एवं नुकसान: Health Benefits of purple nut sedge
असामान्य साइड इफेक्ट्स को मिलाकर निर्गुण्डी से पेट खराब, उबकाई, खुजली, लालिमा, सिर दर्द, मुंहासे, सांस लेने में दिक्कत और वजन बढ़ने जैसे दुष्प्रभाव सामने आते हैं। निर्गुण्डी का इस्तेमाल करने पर कुछ महिलाओं को अपने मासिक धर्म के प्रवाह में बदलाव नजर आता है।
हर व्यक्ति को इन साइड इफेक्ट्स का अनुभव नहीं होता है। उपरोक्त दुष्प्रभाव के अलावा भी निर्गुण्डी के अन्य साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जिन्हें सूची बद्ध नहीं किया गया है। यदि आप निर्गुण्डी के साइड इफेक्ट्स को लेकर चिंतित हैं तो अपने डॉक्टर या हर्बालिस्ट से सलाह लें।
और पढ़ें – रामदाना के फायदे और नुकसान : Health Benefit of Ramdana
निर्गुण्डी आपकी मौजूदा दवाइयों के साथ रिएक्शन कर सकता है या दवा का कार्य करने का तरीका परिवर्तित हो सकता है। इसका इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर या हर्बलिस्ट से संपर्क करें।
निम्नलिखित प्रोडक्ट्स के साथ निर्गुण्डी रिएक्शन कर सकती है:
निम्नलिखित मानसिक विकार रोधी दवाइयों के साथ निर्गुण्डी रिएक्शन कर सकती है:
निम्नलिखित दवाइयां पार्किंसन रोग के इलाज में इस्तेमाल होती हैं:
और पढ़ें – Ashwagandha : अश्वगंधा क्या है?
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं हो सकती। इसका इस्तेमाल करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या हर्बालिस्ट से सलाह लें।
अध्ययनों में निम्नलिखित डोसेज पर वैज्ञानिक शोध किया गया है:
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (पीएमएस) और अन्य स्थितियों में निर्गुण्डी का डोज अलग-अलग हो सकता है। निर्गुण्डी का डोज इसकी फॉर्म्युलेशन पर निर्भर करेगा।
हर मरीज के मामले में इसका डोज भिन्न हो सकता है। जो डोज आप लेते हैं वो आपकी उम्र, हेल्थ और अन्य कारकों पर निर्भर करता है। औषधियां हमेशा सुरक्षित नहीं होती हैं। इसके उपयुक्त डोज की जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से सलाह लें।
और पढ़ें – गिलोय के फायदे एवं नुकसान: Health Benefits of Giloy
निर्गुण्डी निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।