परिचय
सफेद मूसली (Safed Musli) क्या है?
सफेद मूसली एक जड़ी बूटी है जो आमतौर पर पूरे भारत के वन क्षेत्रों में पाई जाती है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है। पुरुषों की सेक्सुअल हेल्थ के लिए तो इसे वरदान बताया गया है। आयुर्वेद में इसे व्हाइट गोल्ड और दिव्य औषधी के नाम से भी जाना जाता है। इसका वानस्पातिक नाम क्लोरोफाइटम बिरिविलिअनुम (Chlorophytum borivilianum) है।
यूनानी चिकित्सा और आयुर्वेद में भी इसका इस्तेमाल दवा बनाने के लिए किया जाता है। पौराणिक समय से इसे अर्थराइटिस, कैंसर, डायबिटीज और पुरुषों में सेक्स परफॉरमेंस को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। इसलिए इसे हर्बल वायगरा के नाम से भी जाना जाता है। आज कई बॉडी बिल्डिंग के लिए लिए जाने वाले सप्लीमेंट्स में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। सफेद मूसली लिलिएसिए ( Liliaceae) परिवार से ताल्लुक रखता है। औषधीय गुणों से भरपूर इसकी जड़ों और बीजों का प्रयोग दवाओं में किया जाता है। यह वात और पित्त दोष में राहत पहुंचाती है लेकिन कफ दोष को बढ़ाती है।
और पढ़ेंः Lime : हरा नींबू क्या है?
सफेद मूसली (Safed Musli) का उपयोग किस लिए किया जाता है?
सेक्स परफॉर्मेंस को बढ़ाता है
सफेद मूसली का इस्तेमाल मुख्य रूप से यौन स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए उपयोगी माना जाता है। कई शोध के अनुसार, इसका सेवन करने से सीरम टेस्टोस्टेरोन, कामेच्छा, स्तंभन दोष में सुधार देखने को मिला है।
थकान और कमजोरी को दूर करता है
सफेद मूसली को थकान और कमजोरी को दूर करने के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। इसका सेवन करने से शरीर को ताकत मिलती है। साथ ही वह पूरा दिन एक्टिव फील करते हैं।
अंडरवेट (underweight)
अंडरवेट लोगों के लिए यह उपयोगी मानी जाती है। यह कुपोषित शरीर को पोषण प्रदान करती है। इसके अलावा यह वजन बढ़ाने में भी मदद करती है। वजन बढ़ाने के लिए इसे दूध के साथ लेने की सलाह दी जाती है। कुछ लोगों में पाचन कमजोर होता है जिस कारण उन्हें इसे डायजेस्ट करने में परेशानी हो सकती है। इन लोगों को इसकी कम खुराक दी जाती है और इसके साथ दूसरे हर्ब्स दिए जाते हैं।
प्रेग्नेंसी में लाभदायक
इस हर्ब को प्रेग्नेंसी में भी रिकमेंड किया जाता है। इसे प्रेग्नेंट महिला को न्युट्रिटिव टॉनिक के तौर पर दिया जाता है। यह भ्रूण और मां दोनों की रक्षा करता है।
मोटापे से राहत
यह मोटापे को नियंत्रित और रोकने में मदद करता है। इसके साथ ही मोटापे से होने वाले दुष्प्रभावों को भी रोकता है।
ल्यूकोरिया के इलाज के लिए उपयोगी
इस जड़ी बूटी का इस्तेमाल ल्यूकोरिया के उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है।
नोक्टर्नल एमिशन (Nocturnal Emission)
इसे नाइटफॉल (Nightfall) भी कहा जाता है। आयुर्वेद के अनुसार यह वात से जुड़ी अधिक पित्त के कारण होता है। सपने, सोच और शारीरिक संबंधों की कल्पना, इस स्थिति को ट्रिगर कर सकता है। इससे निजात पाने के लिए सफेद मूसली का पाउडर लेने की सलाह दी जाती है।
डायबिटीज मेलिटस (Diabetes mellitus)
मोडर्न रिसर्च स्टडी के अनुसार, सफेद मूसली में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी हाइपरग्लाइसेमिक और एंटीडायबिटीक प्रॉपर्टीज होती हैं।
अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद
एनसीबीआई पर प्रकाशित जानवरों पर किए गए शोध के अनुसार, सफेद मूसली की जड़ों में सैपोनिन नामक कंपाउंड पाया जाता है। सैपोनिन में एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटी-अर्थराइटिस गुण होते हैं, जिस वजह से यह गठिया में होने वाली सूजन से निजात दिलाता है।
सफेद मूसली (Safed Musli) कैसे काम करती है?
सफेद मूसली की जड़ में 25 तरह के एल्कलॉइड्स, विटामिन और मिनिरल्स जैसे कैल्शियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम मौजूद होते हैं। इसमें पॉलीसेकराइड (polysaccharides), रेजिन (resins), फेनोल (phenol) और म्युसिलेज कंटेंट (mucilage content) होता है। इसके अलावा इसमें निम्न मेडिसनल प्रॉपर्टीज होती हैं:
- एंटासिड (Antacid)
- एंटी-अर्थराइटिक (Anti-arthritic)
- एंटीकैंसर (Anticancer)
- एंटी-इन्फलामेटरी (Anti-inflammatory)
- अल्टरेटिव (Alterative)
- इम्यूनोमॉड्यूलेटरी (Immunomodulatory)
- टॉनिक (Tonic)
- एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant)
- एंटी-स्ट्रेस (Anti-stress)
- एडेप्टोजेनिक (Adaptogenic)
- एंड्रोजेनिक (Androgenic)
- कार्डियोप्रोटेक्टिव (Cardioprotective)
- एफ्रोडिसिएक (Aphrodisiac)
- इरेक्टोजेनिक (Erectogenic)
- एंटीहायपरलिपिडिमिक (Antihyperlipidemic)
और पढ़ें: Acacia : बबूल क्या है?
सावधानियां और चेतावनी
कितना सुरक्षित है सफेद मूसली (Safed Musli) का उपयोग?
कई शोध के अनुसार, ज्यादातर लोगों के लिए सफेद मूसली का सेवन सेफ पाया गया है। निम्नलिखित लोगों को इसका सेवन करने से परहेज करना चाहिए:
- लो डायबिटीज के पेशेंट्स को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। इसका सेवन करने से शुगर लेवल अत्यधिक कम हो सकता है।
- जिन लोगों को पाचन संबंधित परेशानी हैं उन्हें भी इसका सेवन करने से बचना चाहिए।
- यदि आप कोई दवा का सेवन कर रहे हैं तो इस जड़ी बूटी का सेवन न करें। यह आपकी दवा के साथ इंटरैक्ट कर सकती है।
- यदि आपको कोई क्रोनिक बीमारी है तो भी इसका सेवन करने से बचें।
सफेद मूसली को इस्तेमाल एक देशी इलाज के तौर पर किया जाता है। हालांकि, इसका सेवन हमेशा अपने डॉक्टर के निर्देश पर ही करना चाहिए।
और पढ़ें: गोखरू के फायदे एवं नुकसान ; Health Benefits of Gokhru (Gokshura)
साइड इफेक्ट्स
सफेद मूसली (Safed Musli) से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
कई स्टडी के अनुसार सफेद मूसली का सेवन सुरक्षित है। इसका सेवन करने से किसी तरह के साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। साथ ही एक रिपोर्ट में इस बात का वर्णन किया है कि सफेद मूसली में अधिक मात्रा में सैपिनिन कंटेंट होने के कारण, जिस वजह से इसका अधिक मात्रा में सेवन करने से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं जैसे कब्ज, एसिडिटी, इरिेटेबल बाउल सिंड्रोम आदि की शिकायत हो सकती है। इसकी हाई डोज लेने से बचें। डॉक्टर द्वारा निर्धारित की गई खुराक का ही सेवन करें।
और पढ़ें: Aloe Vera : एलोवेरा क्या है?
डोसेज
सफेद मूसली (Safed Musli) को लेने की सही खुराक क्या है?
सफेद मूसली का इस्तेमाल विभिन्न परेशानियों में किया जाता है। इसकी खुराक हर किसी के लिए अलग हो सकती है। यह मरीज की स्वास्थ्य स्थिति, उम्र और लिंग के आधार पर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित की जा सकती है। कभी भी इसकी खुराक खुद से निर्धारित करने की गलती न करें। आपके द्वारा की गई ये छोटी से लापरवाही स्वास्थ्य पर बुरा असर कर सकती है। चिकित्सक की सलाह के बिना इसका सेवन कभी न करें।
और पढ़ें: Basil: तुलसी क्या है?
उपलब्ध
किन रूपों में उपलब्ध है सफेद मूसली (Safed Musli)?
सफेद मूसली निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
- सफेद मूसली का पाउडर (Safed Musli Powder)
- सफेद मूसली कैप्सूल (Safed Musli Capsule)
अगर आपका इससे जुड़ा किसी तरह का कोई सवाल है, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।
[embed-health-tool-bmi]