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पलाश के फूल का इस्तेमाल कई रोगों के इलाज के लिए किया जाता है। इन्हें टेसू के फूल (Tesu Flower) के नाम से भी जाना जाता है। ये वसंत ऋतु में खिलते हैं। ये सफेद, पीला और नारंगी रंग के होते हैं। इसका वानस्पातिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा (Butea monosperma) है। इसमें एनलजेसिक, ऐफ्रोडीजीऐक और एंटीफर्टिलिटी प्रॉपर्टीज होती हैं, जिस वजह से इसका इस्तेमाल यूनानी, होम्योपैथी और आयुर्वेद में दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है।
डायरिया में राहत: पलाश के पेड़ का गम डायरिया से राहत के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पलाश की गोंद का इस्तेमाल डायरिया की समस्या से निजात पाने के लिए किया जाता है। गोंद में दालचीनी और खसखस मिलाकर यह रोगी को दिया जाता है। ऐसा करने से रोगी को दस्त की समस्या से राहत मिलती है। अगर आप पलाश के बीजों का इस्तेमाल कर रहे हैं तो बीजों के पेस्ट को बकरी के दूध में मिलाकर दिन में दो से तीन बार सेवन करने की सलाह दी जाती है। आपको पलाश का सेवन करने से पहले हर्बल एक्सपर्ट से राय जरूर ले लेनी चाहिए, क्योंकि हो सकता है कि आपको किसी चीज से एलर्जी की समस्या उत्पन्न हो जाए।
इंटेस्टाइनल वॉर्म को दूर करता है: पलाश के बीज के पाउडर को पेट के कीडों को दूर करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
डायबिटीज का इलाज करता है: पलाश के पेड़ की पत्तियों का इस्तेमाल शुगर को कंट्रोल करने के लिए किया जाता है।
गले में खराश को दूर करता है: गले में खराश के लिए पलाश की पत्तियों को उबालकर माउथवॉश के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।
स्किन डिसऑर्डर में राहत प्रदान करता है: एक्जिमा की समस्या, खुजली और अन्य त्वचा विकारों से राहत के लिए, इसके बीज के पेस्ट को प्रभावित क्षेत्र पर नियमित रूप से लगाया जाना चाहिए। पलाश का उपयोग स्किन डिजीज से राहत दिलाने का काम करता है। पलाश के सीड यानी बीजों को स्किन में लगाने से इचिंग की समस्या से राहत मिलती है। साथ ही स्किन डिसऑर्डर से राहत पाने के लिए भी उपयोग किया जा सकता है।
नेजल ब्लीडिंग को रोकने में : नेजल ब्लीडिंग को रोकने के लिए पलाश के फूलों का उपयोग किया जा सकता है। आप 6 से 7 फूलों को पानी में रातभर भिगोकर रखें। अगली सुबह उस सॉल्शूयन में कुछ मात्रा में शुगर यानी शक्कर मिलाएं। अब इसे पेशेंट को दें। ऐसा करने नेजल ब्लीडिंग की समस्या से राहत मिलती है।
लिकोरिया को करे दूर: इसकी पत्तियां लिकोरिया के प्रबंधन में भी फायदेमंद हैं। इससे राहत के लिए नियमित रूप से जननांग भागों को धोने के लिए इसके काढ़े का उपयोग किया जाता है।
मासिक धर्म की ऐंठन: इसके फूलों से बना शंखपुष्पी नपुंसकता और मासिक धर्म की ऐंठन में फायदेमंद है।
अल्सर: इसके पौधे के फल और बीज का उपयोग त्वचा के अल्सर, पाइल्स के इलाज के लिए किया जाता है।
एनर्जी प्रदान करता है: टेसू के फूल का सेवन करने से शरीर को एनर्जी प्राप्त होती है।
पानी की कमी को दूर करता है: इसका सेवन शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता। यही कारण है कि डायरिया में भी इसे लेने की सलाह दी जाती है।
ब्लड सर्क्युलेशन को रेगुलेट करता है: यह हर्ब ब्लड सर्क्युलेशन को नियंत्रित करने में भी मददगार है। पलाश का उपयोग करने से पहले हर्ब एक्सपर्ट से जानकारी जरूर लें।
वाउंड हीलिंग में : पलाश के बीजों को अगर घाव पर लगाया जाए तो घाव के भरने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। पलाश के बीजों का प्रयोग किस तरह से घाव पर करना है, आपको इसके बारे में एक्सपर्ट से जानकारी लेनी चाहिए।
एड़ियों की सुंदरता के लिए :फटी एड़ियों से राहत पाने के लिए पलाश का उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग एक्सपर्ट के बताए गए निर्देशों के अनुसार ही करें।
पाइल्स की समस्या में राहत :पाइल्स की समस्या से छुटकारा पाने के लिए पलाश के पौधे का इस्तेमाल किया जाता है। पलाश के पौधे की एश (करीब 20 ग्राम) को गर्म घी में मिलाकर रोगी को दिया जाता है। इस एश का उपयोग हर्ब एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें। साथ ही पलाश की ताजी पत्तियों का भी सेवन घी के साथ किया जाता है। वहीं दही के साथ भी इसे लेनी की सलाह दी जा सकती है। अगर आपको पाइल्स की समस्या है और आप पलाश का उपयोग करना चाहते हैं तो बेहतर होगा कि आप पहले हर्बल एक्सपर्ट से जानकारी लें और फिर उनकी बताई गई सलाह के अनुसार ही पलाश का उपयोग करें। यहां दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है।
यूरिनरी डिसऑर्डर: यूरिनरी डिसऑर्डर होने पर पलाश का उपयोग फायदा पहुंचाता है। पलाश के बड्स को तोड़ने के बाद उन्हें सूखाना चाहिए। अब इसे धोना चाहिए और फिर कुछ मात्रा में गुड़ मिलाना चाहिए। इसके बाद एक्सपर्ट के अनुसार उसकी तय मात्रा को पेशेंट को देना चाहिए। ऐसा करने से यूरिनरी डिसऑर्डर की समस्या से राहत मिलती है।
इन परेशानियों में भी मददगार है पलाश का इस्तेमाल:
इसके जड़, तना, फूल, बीज और फल औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इसके फूल ग्लूकोसाइड्स (glucosides), ब्यूटिन (butin), नेटेरोसाइड (neteroside) और ब्यूटिन (butrin) में समृद्ध होते हैं। इसके बीज में मूडोजा ऑयल और किनो-ट्री ऑयल होता है। इस तेल में कई औषधीय गुण होते हैं। इस पेड़ से प्राप्त गोंद गैलेक एसिड और टैनिक एसिड से भरपूर होता है। इसकी पत्तियों का उपयोग टॉनिक के रूप में किया जाता है।
इसमें एंटीमाइक्रोबियल, एंटीफर्टिलिटी, एंटीहेलमेटिक, एंटीडायरियल, वाउंड हीलिंग, हेप्टाप्रोटेक्टिव, एंटीट्यूमर, एंटीडायबिटीक और एंटीइंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज होती हैं।
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पलाश का सीमित मात्रा में इस्तेमाल सुरक्षित है। हालांकि इसका सेवन डॉक्टर की देखरेख में ही करना चाहिए। निम्नलिखित परिस्थितियों पलाश का इस्तेमाल करने से बचें:
हर्बल का सेवन हमेशा सुरक्षित नहीं होता है। इसे लेकर अधिक शोध करने की जरूरत है। यदि आप इसका सेवन कर रहे हैं तो अपने डॉक्टर की देखरेख में ही करें।
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पलाश के सेवन से होने वाले साइड इफेक्ट्स को लेकर अधिक शोध करने की जरूरत है। फिलहाल इसे लेकर कोई पर्याप्त जानकारी नहीं है। हर्बल का इस्तेमाल हमेशा सुरक्षित नहीं होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल हमेशा डॉक्टर या एक्सपर्ट की देखरेख में ही करें। यदि इसका सेवन करने के बाद आपको किसी तरह का कोई साइड इफेक्ट नजर आता है तो इसका सेवन बंद कर दें। साथ ही इसे लेकर अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें।
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पलाश की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। यह आपकी उम्र, मेडिकल कंडिशन व अन्य कई कारकों पर निर्भर करती है। बेहतर होगा इसकी उचित खुराक के लिए आप अपने डॉक्टर या हर्बलिस्ट से कंसल्ट करें। कभी भी खुद से खुराक निर्धारित न करें। आपका यह कदम जानलेवा भी साबित हो सकता है। बेहतर होगा कि आपका डॉक्टर या हर्बलिस्ट ही इस हर्बल की खुराक आपके लिए निर्धारित करें।
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पलाश निम्नलिखित रूपों में उपलब्ध है:
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