डायबिटीज के प्रकार (Types of diabetes)

प्रत्येक प्रकार के डायबिटीज (diabetes)में अग्न्याशय यानि कि पैनक्रियाज(Pancreas) का ठीक से काम करना जरूरी है, इसमें आयी गड़बड़ी किसी भी प्रकार के डायबिटीज का कारण बन जाता है। पैनक्रियाज में अलग-अलग प्रकार की दिक्कत, अलग-अलग प्रकार के डायबिटीज का कारण है। इसलिए डायबिटीज की समय-समय जांच बहुत जरूरी है। पहले जानें डायबिटीज के प्रकार।

डायबिटीज टाइप-1 (Type 1 diabetes)

डायबिटीज टाइप-1 में आप इम्यून सिस्टम बीटा नामक कोशिकाओं में हमला करता है, जो आपके पैनक्रियाज में इंसुलिन का उत्पादन करती है। यह उसमें पर्मानेंट डैमेज का कारण भी बन सकता है और ऐसे में पैनक्रियाज इंसुलिन का निमार्ण नहीं कर पाता है। यानि कि आपका अग्न्याशय इंसुलिन का उत्पादन करने में असमर्थ होता है। यह आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune system) को ट्रिगर करता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि जैनेटिक प्रॉब्लम होने पर, कम उम्र के डायबिटीज होने पर या बचपन में डायबिटीज हाेने पर।

टाइप-1 डायबिटीज के होने के इनके अलावा और बहुत से कारण हो सकते हैं। एक बार इसके होने जानें के बाद से जड़ से खत्म नहीं किया जा सकता है। बस इसे कंट्रोल में रख सकते हैं। इसके लिए इंसुलिन थेरिपी भी डॉक्टर उपचार के तौर पर बोलते हैं।

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डायबिटीज टाइप-2 (Type 2 diabetes)

टाइप 2 लोगों में सबसे ज्यादा देखने को मिलता है। इसमें शरीर मे इंसुलिन का उत्पादन होने के बाद भी जब शरीर इंसुलिन का अच्छी तरह से उपयोग नहीं कर पाता है, तो ऐसे में आपके रक्त शर्करा का स्तर बहुत अधिक बढ़ या बहुत कम हो जाता है। ऐसी स्थिति टाइप-2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की होती है। इसके अलावा, इसका यह भी अर्थ हो सकता है कि आपका पैनक्रियाज अभी भी इंसुलिन का उत्पादन कर रहा है, लेकिन यह उपयाेग करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अधिकांश समय, टाइप 2 डायबिटीज इंसुलिन की कमी और इंसुलिन के अप्रभावी उपयोग के कारण होता है।

इस प्रकार का डायबिटीज भी फैमली हिस्ट्री, खराब लाइफस्टाइल (Lifestyle), ओवर वेट और व्यायाम की कमी के कारण हो सकता है।  टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए के आपकी लाइफस्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है। इसी के साथ डॉक्टर द्वारा सलाह दिए गए मेडिकेशन को फॉलो करना भी। इससे आपकी डायबिटीज की समस्या को नियंत्रण में रखा जा सकता है। कुछ दवाएं आपके रक्त में ग्लूकोज की मात्रा को कम करने में मदद करती हैं।

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प्रीडायबिटीज (Prediabetes)

यदि आपको प्रीडायबिटीज की समस्या है, तो आपके ब्ल्ड में ग्लूकोज का स्तर सामान्य सीमा से बाहर है। लेकिन ऐसा होना आपमें  डायबिटीज होने के लिए पर्याप्त कारण नहीं है। लेकिन यह  पैनक्रियाज में  इंसुलिन के उत्पादन को धीमा कर देता है। जिस कारण आपके शरीर में इंसुलिन का उपयोग नहीं हो पाता है। जो आगे जाकर टाइप 2 डायबिटीज का कारण बन सकती है। इसके लिए जरूरी है कि आप अपने वजन को कंट्रोल में रखें। नियमित रूप से व्यायाम करने से भविष्य में होने वाली इस समस्या से बचा जा सकता है। जिसके लिए लाइफस्टाइल में बदलाव बहुत जरूरी है।

डायबिटीज और पैनक्रियाज में है बहुत गहरा संबंध (Diabetes and your Pancreas)

पैनक्रियाज में होने वाली सूजन को पैनक्रियाटाइटिस कहा जाता है। जब यह सूजन अचानक से आती है और कुछ दिनों तक बनी रहती है, तो यह पैनक्रियाटाइटिस की स्थिति होती है। जब ऐसा सालों तक लगातार बना रहता है, तो इसे पैनक्रियाटाइटिस की समस्या (Pancreatitis problem) कहते हैं। इसके इलाज के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। कई बार स्थिति गंभीर और जानलेवा भी बन सकती है( पैनक्रियाज में लगातार सूजन बने रहना, इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे डायबिटीज का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।

इसके अलावा पैनक्रियाज और टाइप 2 डायबिटीज के कुछ समान जोखिम वाले कारकों को समझना भी जरूरी है। जिनमें शामिल हैं, जैसे कि:

  • डायबिटीज और पैनक्रियाज के जोखिम कारक- पित्ताशय  में पथरी का होना (Gallstones)
  • डायबिटीज और पैनक्रियाज के जोखिम कारक- ब्लड में हाय ट्राइग्लिसराइड का लेवल (Triglyceride level)
  • डायबिटीज और पैनक्रियाज के जोखिम कारक- ब्लड में हाय कैल्शियम (calcium) का स्तर
  • डायबिटीज और पैनक्रियाज के जोखिम कारक- अत्यधिक शराब का सेवन (Alcohol abuse)
  • डायबिटीज और पैनक्रियाज के जोखिम कारक- ओवर वेट होना (Over weight)
  • डायबिटीज और पैनक्रियाज के जोखिम कारक- हाय ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) का बने रहना

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डायबिटीज-पैनक्रिएटिक कैंसर में संबंध (Diabetes-pancreatic cancer connection)

यदि आपको पांच साल से या उससे अधिक लंबे समय से डायबिटीज है, तो ऐसे में पैनक्रियाज में पैनक्रिएटिक कैंसर के होने का खतरा बढ़ सकता है। कई बार डायबिटीज भी अग्नाशय के कैंसर का भी एक लक्षण हो सकता है।

यदि आपका डायबिटीज पूरी तरह से कंट्राेल में है, लेकिन इसके बाद भी आप अचानक से रक्त शर्करा को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो यह पैनक्रियाज में कैंसर होने का संकेत है।

जिन लोगों को डायबिटीज और पैंनक्रियाज (Diabetes and Pancreas) कैंसर दोनो है, तो यहां दिए गए कुछ रिस्क फैक्टर उनमें रिस्क को बढ़ा देते हैं, जैसे कि:

  • जंक फूड का ज्यादा सेवन (Junk Food)
  • शरीरिक व्यायाम में कमी (Exercise)
  • मेाटापा (obesity)
  • बढ़ती उम्र (Aging)

पैनक्रियाज कैंसर के फस्ट स्टेज में लक्षणों का पता नहीं चलता है। अग्नाशय के कैंसर के इनके अलावा और भी कई कारण कारण हो सकते हैं। जिनमें फैमिली हिस्ट्री और धूम्रपान भी शामिल हैं।

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डॉक्टर से कब मिलें

डायबिटीज और पैनक्रियाज (Diabetes and Pancreas) में बहुत गहर संबंध है। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है कि पैनक्रियाज में होने वाली कोई भी समस्या डायबिटीज का कारण है, या उससे डायबिटीज हो सकती है, जैसे कि यदि किसी को पैनक्रियेटिक कैंसर है, तो उसे डायबिटीज की समस्या भी होगी। यह जरूरी नहीं है।

जैसा कि पैनक्रियाज शरीर में इंसुलिन के निमार्ण में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। तो डॉक्टर ऐसे में उपचार के तौर पर प्रॉब्लम को देखते हुए मेडिकेशन शुरु कर देंगे। डॉक्टर आपको आपकी लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह देंगे। इसके अलावा डॉक्टर आपको यह सलाह दे सकते हैं, जैसे कि:

  • संतुलित आहार लें (Eat a balanced diet)
  • शराब का सेवन कम करें (Reduce alcohol intake)
  • कार्बोहाइड्रेट का सेवन कम करें (Reduce carbohydrate intake)
  • नियमित रूप से व्यायाम करें (Exercise regularly)
  • डॉक्टर आपको अपना वजन कंट्रोल (Weight control) करने के लिए बोलेंगे

इन सबके अलावा डॉक्टर आपको आपकी हेल्थ देखते हुए मेडिकेशन की सलाह देंगे। जैसा कि डायबिटीज एक लाइफस्टाइल डिजीज है। इसलिए इसका मेडिकेशन डॉक्टर के निगरानी में ही होना चाहिए। डायबिटीज और पैनक्रियाज के बारे में अधिक जानने के लिए डॉक्टर की सलाह लें।