पैनक्रियाज में होने वाली सूजन को पैनक्रियाटाइटिस कहा जाता है। जब यह सूजन अचानक से आती है और कुछ दिनों तक बनी रहती है, तो यह पैनक्रियाटाइटिस की स्थिति होती है। जब ऐसा सालों तक लगातार बना रहता है, तो इसे पैनक्रियाटाइटिस की समस्या (Pancreatitis problem) कहते हैं। इसके इलाज के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ सकती है। कई बार स्थिति गंभीर और जानलेवा भी बन सकती है( पैनक्रियाज में लगातार सूजन बने रहना, इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है। जिससे डायबिटीज का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। लेकिन कई बार पैंक्रियाज के इलाज के लिए मेंटाफॉर्मिन दवा मना कर दी जाती है। डायबिटीज केयर जॉर्नल के अनुसार एक केस स्टडी की तरफ गौर करें,तो डायबिटीज मेलिटस टाइप 2 के शिकार एक 56 वर्षीय पुरुष मरीज को पेट दर्द के साथ आपातकालीन असपताल में भर्ती कराया गया। उन्हें ग्यारह साल से डायबिटीज की समस्या है और उसके इलाज में मेटफोर्मिन 500mg, दिन में दो बार दी जा रही। एक्यूट पैंक्रियाटिस का निदान उसकी क्लीनिक्ल पिक्चर, पॉजिटिव रिपोर्ट सीटी और 362 यू/एल के एक लाइपेस स्तर पर आधारित था। छह महीने पहले, रोगी को अज्ञात एटियलजि के एक्यूट पैंक्रियाटिस के लिए भी भर्ती कराया गया था। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान, मेटफोर्मिन को रखा गया था, और उसका इलाज किया गया था। डिस्चार्ज होने पर, मेटफॉर्मिन को फिर से शुरू किया गया। अस्पताल में भर्ती के दौरान मेटफोर्मिन दवा को इसलिए बंद किया गया, क्योंकि इससे मरीज की समस्या के बढ़ने का संदेह था। लेकिन इसकी कोई ठोस पहचान नहीं की जा सकती थी, और इसलिए, इसे बंद कर दिया गया था।
इसके अलावा पैनक्रियाज और टाइप 2 डायबिटीज के कुछ समान जोखिम वाले कारकों को समझना भी जरूरी है। जिनमें शामिल हैं, जैसे कि:
- पित्ताशय में पथरी का होना और लंबे समय से इलाज न होना
- ब्लड में हाय ट्राइग्लिसराइड का लेवल होने की समस्या
- ब्लड में हाय कैल्शियम का लेवल नॉमर्ल से अधिक होना
- अत्यधिक शराब का सेवन करना
- ओवर वेट होना यानि कि मोटापे के शिकार
- हाय ब्लड प्रेशर की समस्या वाले मरीजों में इसका जोखिम अधिक होता है।