कहते हैं किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए पॉजिटिव थिंकिंग और डॉक्टर द्वारा दी गई गाइड लाइन का पालन करना जरूरी है। इसलिए आज इस आर्टिकल में टाइप 2 डायबिटीज और लिवोफ्लॉक्सासिन (Type 2 Diabetes and Levofloxacin) से जुड़ी जानकारी शेयर करेंगे। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
डायबिटीज की समस्या बीते कुछ सालों में देश में तेजी से बढ़ी है और डायबिटीज अपने साथ लाती है और भी कई गंभीर बीमारियों को। ऐसे में हेल्दी लाइफस्टाइल फॉलो करने के साथ ही प्रिस्क्राइब्ड ड्रग्स का सेवन ठीक तरह से करने पर ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करने में मदद मिल सकती है, लेकिन बढ़ती उम्र में टाइप 2 डायबिटीज की समस्या के साथ-साथ अगर कोई बैक्टीरियल इंफेक्शन का शिकार है, तो ऐसी स्थिति में बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) की दवा ब्लड शुगर लेवल को इमबैलेंस कर सकती है। इसलिए आर्टिकल में टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Levofloxacin in Type 2 Diabetes) से जुड़ी खास जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे।
टाइप 2 डायबिटीज और लिवोफ्लॉक्सासिन: टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स पर क्या है रिसर्च रिपोर्ट? (Side effects of Levofloxacin in Type 2 Diabetes)
टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Levofloxacin in Type 2 Diabetes) को समझने से पहले लिवोफ्लॉक्सासिन के बारे में समझना जरूरी है। तो चलिए जानते हैं-
लिवोफ्लॉक्सासिन (Levofloxacin) क्या है?
लिवोफ्लॉक्सासिन मेडिसिन का सेवन अलग-अलग तरह के बैक्टीरियल इंफेक्शन की समस्या को दूर करने के लिए प्रिस्क्राइब की जाने वाली दवा है। लिवोफ्लॉक्सासिन क्युनोलोन (Quinolone antibiotics) एंटीबायोटिक्स ड्रग क्लास से संबंधित है। इस मेडिसिन को सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन की समस्या होने पर ही डॉक्टर प्रिस्क्राइब करते हैं। अब अगर आप ये सोच रहें हैं कि लिवोफ्लॉक्सासिन मेडिसिन (Levofloxacin medicine), बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) का आपस में क्या तालमेल है, तो इसके लिए रिसर्च रिपोर्ट को समझना आवश्यक है।
टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स पर रिसर्च (Study: Side effects of Levofloxacin in Type 2 Diabetes)
नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स की जानकारी तब मिली जब अस्पताल में अचानक से कई टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट को एडमिट करना पड़ा। दरअसल एक टाइप 2 डायबिटीज की समस्या से पीड़ित 91 वर्ष की महिला को लिवर इंफेक्शन की शिकायत हुई। लिवर में बैक्टीरियल इंफेक्शन की समस्या थी और ऐसे में उन्हें लिवोफ्लॉक्सासिन मेडिसिन का सेवन करवाया गया। कुछ ही देर में महिला का ब्लड शुगर लेवल में 47 mg/dl की कमी देखी गई और पेशेंट कोमा (Coma) में चली गई। वहीं हॉस्पिटल में 61 वर्ष के टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट को टॉन्सिलर स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Tonsillar squamous cell carcinoma) की समस्या की वजह से एडमिट किया गया। यहां भी बैक्टीरियल इंफेक्शन को कम करने के लिए लिवोफ्लॉक्सासिन मेडिसिन दी गई और कुछ ही देर में इस पेशेंट के ब्लड शुगर लेवल में 38 mg/dl की कमी देखी गई। ऐसी ही स्थिति कुछ और पेशेंट के साथ हुई तो ऐसे में टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स की जानकारी सामने आई। हालांकि ग्लूकोज इंफ्यूजन (Glucose infusion) की मदद से ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस करने में मदद मिली। इसलिए टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट्स में बैक्टीरियल इंफेक्शन की समस्या होने पर विशेष ध्यान और ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है।
बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर टाइप 2 डायबिटीज पेशेंट को क्या करना चाहिए?
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार डायबिटीज के मरीजों में इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। ज्यादातर डायबिटीज पेशेंट्स में पेरीफेरल नर्व (Peripheral nerve) डैमेज हो जाते हैं, जिस वजह से शरीर में ब्लड फ्लो ठीक तरह से नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति धीरे-धीरे इंफेक्शन का कारण बनती है और फिर बैक्टीरियल इंफेक्शन (Bacterial Infection) की समस्या शुरू हो जाती है। अगर अनजाने में बैड बैक्टीरिया (Bad Bacteria) के इलाज के लिए लिवोफ्लॉक्सासिन मेडिसिन पेशेंट को दी जाती है, तो टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Levofloxacin in Type 2 Diabetes) हो सकता है। इसलिए टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को हेल्दी लाइफ स्टाइल मेंटेन करना चाहिए और इंफेक्शन से बचना चाहिए।
इन कारणों से ब्लड शुगर (Blood Sugar) की समस्या हो सकती है। नैशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इन्फॉर्मेशन (National Center for Biotechnology Information) में पब्लिश्ड रिपोर्ट के अनुसार ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) उम्र के अनुसार अलग-अलग होते हैं। जैसे:
6-12 वर्ष (6 to 12 Years)
फास्टिंग- 80-180 mg/dL
खाना खाने के पहले- 90-180 mg/dL
एक्सरसाइज के पहले- 150 mg/dL
सोने के दौरान- 100-180 mg/dL
13-19 वर्ष (13 to 19 Years)
फास्टिंग- 70-150 mg/dL
खाना खाने के पहले- 90-130 mg/dL
एक्सरसाइज के पहले- 150 mg/dL
सोने के दौरान- 90-150 mg/dL
20 वर्ष से ज्यादा (Above 20 Years)
फास्टिंग- 100 mg/dL
खाना खाने के पहले- 70-130 mg/dL
एक्सरसाइज के पहले- 180 mg/dL
सोने के दौरान- 100-140 mg/dL
उम्र के अनुसार ब्लड शुगर लेवल की जानकारी। अगर ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव ज्यादा हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।
अगर आप टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज में लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स (Side effects of Levofloxacin in Type 2 Diabetes) से जुड़े सवालों का जवाब तलाश कर रहें थें, तो उम्मीद करते हैं कि लिवोफ्लॉक्सासिन के साइड इफेक्ट्स के बारे में समझने में सुविधा हुई होगी। वैसे अगर आप या आपके कोई भी करीबी डायबिटिक (Diabetic) हैं, तो उन्हें ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) को बैलेंस बनाये रखने की सलाह दें, जिससे अन्य बीमारियों से दूर रहने में मदद मिल सकती है।
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Severe hypoglycemia associated with levofloxacin in Type 2 diabetic patients receiving polytherapy: two case reports/https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/22456302/Accessed on 04/02/2022