
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस का निदान (Diagnosis of Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
इस समस्या के निदान के लिए डॉक्टर आपसे सबसे पहले इसके लक्षणों के बारे में जानेंगे। इसके साथ ही आपकी शारीरिक जांच भी की जाएगी। टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) की स्थिति में ब्लड शुगर लेवल की जांच भी जरूरी है। आपको कुछ अन्य टेस्ट कराने की सलाह भी दी जा सकती है जैसे:
- बेरियम एक्स-रे (Barium X-ray)
- बेरियम बीफस्टीक मील (Barium Beefsteak Meal)
- रेडियोआइसोटोप गैस्ट्रिक-एम्प्टयिंग स्कैन (Radioisotope Gastric-Emptying Scan)
- एलेक्ट्रोग्रेस्ट्रोग्राफी (Electrogastrography)
- वायरलेस मोटिलिटी कैप्सूल (Wireless Motility Capsule)
- गैस्ट्रिक मनोमेट्री (Gastric Manometry)
- अल्ट्रासाउंड (Ultrasound)
- स्टमक या स्माल इंटेस्ट्राइन बायोप्सी (Stomach or Small Intestine Biopsy)
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कैसे हो सकता है उपचार? (Treatment of Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) दोनों की स्थिति में इलाज संभव नहीं है। लेकिन इसके लक्षणों का मैनेज किया जा सकता है। इसलिए, अगर आप टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित हैं, तो आपको समय-समय पर अपना ब्लड ग्लूकोज लेवल चेक करना या कराना चाहिए। इसके साथ ही आपको कब उन दवाईयों को लेना बंद करना है, जिनके कारण गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या बदतर हो रही है। इसके लिए भी डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इन दवाईयों में एंटी-डिप्रेसेंट, हाय ब्लड प्रेशर की दवाईयां या कुछ डायबिटीज की दवाईयां आदि शामिल हैं। गैस्ट्रोपैरीसिस से पीड़ित कुछ लोगों के लिए यह दवाईयां भी मददगार साबित हो सकती हैं:
गंभीर मामलों में इस समस्या के उपचार के लिए फीडिंग ट्यूब का प्रयोग किया जा सकता है।

लक्षणों को मैनेज करने के अन्य उपाय (Tips to Manage Type 2 Diabetes and Gastroparesis)
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर आपका सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। डायबिटीज की स्थिति में ब्लड शुगर का नियंत्रण में रहना बेहद जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर आपको यह सलाह दे सकते हैं:
- टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) के लक्षणों को कंट्रोल करने में मदद के लिए आपको अपने खानपान का खास ध्यान रखना चाहिए। आप दिन में 3 बार अधिक मात्रा में खाने की जगह एक दिन में 6 बार कम मात्रा में खाना चाहिए। आपके पेट में कम भोजन होगा, इसलिए आप पेट भरा हुआ महसूस नहीं करेंगे। आपके सिस्टम के लिए भी खाना बाहर निकालना आसान होगा। इसके साथ ही ऐसे आहार का सेवन करें जो पचने में आसान हो। सही और संतुलित आहार से ब्लड शुगर भी कंट्रोल में रहती है।
- अधिक वसा युक्त आहार का सेवन करने से बचें, जिससे पाचन में समस्या हो। आपका आहार फायबर युक्त होना चाहिए।
- आपके डॉक्टर इंसुलिन में भी बदलाव कर सकते हैं जैसे इंसुलिन के प्रकार या लेने की मात्रा या आवृति में बदलाव, इंसुलिन को भोजन से पहले लेना है या बाद में आदि।
- अगर जरूरी हो तो खाना खाने और इंसुलिन के बाद तुरंत ब्लड ग्लूकोज की जांच करें आदि। इसके साथ ही डॉक्टर इंसुलिन से जुड़ी अन्य इंस्ट्रक्शंस भी दे सकते हैं।
- शारीरिक रूप से एक्टिव रहने से न केवल आप ब्लड ग्लूकोज को मैनेज कर सकते हैं बल्कि गैस्ट्रोपैरीसिस की समस्या से भी राहत पा सकते हैं। इसके लिए कुछ समय व्यायाम या सैर के लिए अवश्य निकालें।
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- तनाव भी डायबिटीज को बढ़ाने का एक कारण है। इसलिए अगर आप डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस दोनों को नियंत्रित रखना चाहते हैं तो पहले तनाव से दूर रहें। इसके लिए आप योगा या मैडिटेशन कर सकते हैं। अधिक परेशानी की स्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें।
टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) गंभीर तकलीफें हो सकती है और कई बार इनकी वजह से रोगी को अस्पताल भी जाना पड़ सकता है। ऐसे में, अगर आप टाइप 2 डायबिटीज और गैस्ट्रोपैरीसिस (Type 2 Diabetes and Gastroparesis) की समस्या से पीड़ित हैं तो सबसे पहले अपने आहार का ध्यान रखें और अपने ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित रखें। किसी भी स्थिति में कोई भी लक्षण नजर आने पर तुरंत उपचार जरूरी है।