एक स्टडी में पाया गया कि टाइप 2 डायबिटीज वाले वृद्ध वयस्कों में 5 साल के पीरियड में टाइप 2 डायबिटीज के बिना दो बार तेजी से कॉग्निटिव डिक्लाइन (cognitive decline) का अनुभव होता है। इसी तरह, अन्य शोधों की मानें तो टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों में अल्जाइमर डिजीज का रिस्क 56 प्रतिशत बढ़ गया है।
टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया प्रिवेंशन के लिए एस्प्रिन (Aspirin for dementia prevention in patients with type 2 diabetes) : क्या कहती है रिसर्च?
टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस वाले 28,321 रोगियों जिनकी उम्र 50 से अधिक थी, जिन्हें डिमेंशिया की कोई हिस्ट्री नहीं थी। स्टडी में टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के सैम्पल्स को दो ग्रुप में बांटा: एक जिन्होंने कभी एस्पिरिन का उपयोग नहीं किया था और दूसरा जिन्होंने नियमित रूप से एस्पिरिन का उपयोग किया था। नियमित एस्पिरिन का इस्तेमाल करने वालों को एक वर्ष से अधिक समय तक ऑब्जर्व किया है।
टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस वाले एस्पिरिन यूजर्स अधिक उम्र के थे और ज्यादातर पुरुष थे, उनमें स्ट्रोक की भी हिस्ट्री पाई गई, वे कई तरह की एंटीडायबिटिक दवाओं का इस्तेमाल करते थे। एंटीहायपरटेन्सिव (Antihypertensive) ड्रग्स और स्टैटिन (Statins) का अधिक बार इस्तेमाल करते थे। पाया गया कि एस्पिरिन की कम औसत दैनिक खुराक (<40 mg) वाले नियमित एस्पिरिन यूजर्स में अन्य सब-ग्रुप और नॉनस्पिरिन यूजर्स की तुलना में अल्जाइमर डिजीज और नॉन-अल्जाइमर डिमेंशिया इवेंट्स से मुक्त होने की संभावनाएं अधिक थीं।
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टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया प्रिवेंशन के लिए एस्प्रिन की लो डोज कारगर (Low dose aspirin effective for dementia prevention in patients with type 2 diabetes)
स्टडी की एक फाइंडिंग से पता चला है कि 40 मिलीग्राम की औसत दैनिक खुराक में एस्पिरिन का नियमित उपयोग टाइप 2 मधुमेह मेलिटस वाले मरीजों में अल्जाइमर रोग के डेवलपमेंट के रिस्क को कम कर सकता है जबकि नॉन-अल्जाइमर डिमेंशिया में इसका कोई लाभ नहीं देखा गया था, लेकिन जब एस्पिरिन की औसत दैनिक खुराक प्रति दिन 80 मिलीग्राम से अधिक थी, टाइप 2 मधुमेह मेलिटस वाले मरीजों में अल्जाइमर डिमेंशिया और नॉन-अल्जाइमर डिमेंशिया दोनों के रिस्क बढ़ गए। स्टडी में यह भी पता चला कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिमेंशिया की समस्या अधिक थी। हालांकि, एस्पिरिन ग्रुप की लो डोज वाली महिलाओं में नॉन एस्पिरिन ग्रुप की तुलना में डिमेंशिया की समस्या कम थी। इन प्रभावों के सटीक मैकेनिज्म को समझने के लिए और जांच की आवश्यकता है।
डायबिटीज और डिमेंशिया को कैसे मैनेज करें? (How to Manage Diabetes and Dementia?)
डायबिटीज और डेमेंशिया से पीड़ित किसी व्यक्ति की लाइफ एक्सपेक्टेंसी कई फैक्टर्स के आधार पर अलग-अलग होती है। ये दोनों ही कॉम्प्लेक्स बीमारियां हैं। उदाहरण के लिए, जो लोग अपने ग्लूकोज के स्तर को प्रभावी ढंग से मैनेज नहीं करते हैं, एक्सरसाइज नहीं करते हैं, या जो स्मोकिंग करते हैं, उनकी लाइफ एक्सपेक्टेंसी स्वस्थ जीवन शैली और स्टेबल ब्लड शुगर लेवल वाले व्यक्ति की तुलना में कम होगी। डायबिटीज को मैनेज के लिए कदम उठाने से डिमेंशिया को विकसित होने से नहीं रोका जा सकता है, लेकिन आप लाइफस्टाइल में कुछ बदलावों के साथ अपने रिस्क को कम करने में सक्षम हो सकते हैं। इसमे शामिल है:
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टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया प्रिवेंशन के लिए एस्प्रिन (Aspirin for dementia prevention in patients with type 2 diabetes) को लेकर अन्य रिसर्च
पिछली कई रिसर्च में पाया गया है कि एनएसएआईडी (NSAIDs) या एस्पिरिन लेने वाले रोगियों में अल्जाइमर रोग का रिस्क कम था। हालांकि, ऐसी अन्य रिसर्च भी हैं जो एनएसएआईडी या एस्पिरिन के ऐसे प्रोटेक्टिव इफेक्ट्स को कंफर्म करने में फेल रही हैं। एक स्टडी की मानें तो एस्पिरिन की लो डोज अल्जाइमर डिजीज को रोक सकती है। इन तरह के कंट्रोवर्सिअल रिजल्ट्स से पता चलता है कि इस पर और रिसर्च की जरूरत है। इसलिए, टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया प्रिवेंशन के लिए एस्प्रिन (Aspirin for dementia prevention in patients with type 2 diabetes) या अन्य किसी भी तरह की दवाओं के सेवन से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बहुत ही जरूरी है। साथ ही डायबिटीज के मरीजों को किसी भी प्रकार की डायट या एक्सरसाइज प्रोग्राम का हिस्सा बनने से पहले डॉक्टर का परामर्श लेना सही होता है।
उम्मीद करते हैं कि आपको टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया प्रिवेंशन के लिए एस्प्रिन (Aspirin for dementia prevention in patients with type 2 diabetes) के उपयोग से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों में डिमेंशिया प्रिवेंशन के लिए एस्प्रिन के यूज से संबंधित अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।