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क्या डायबिटीज बन सकती है अल्जाइमर की बीमारी का कारण?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Sayali Chaudhari · फार्मेकोलॉजी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 11/12/2021

    क्या डायबिटीज बन सकती है अल्जाइमर की बीमारी का कारण?

    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को एक गंभीर बीमारी क्यों माना जाता है? ऐसा इसलिए है क्योंकि यह रोग कई अन्य कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकता है। यही नहीं, यह एक लॉन्ग टर्म प्रॉब्लम है और इसका इलाज भी संभव नहीं है। डायबिटीज के बारे में की गई कुछ रीसर्चस यह बताती हैं कि इस रोग के कारण अल्जाइमर’स डिजीज की संभावना भी बढ़ सकती है। ऐसा भी माना जाता है कि डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease)। आज हम इसी बारे में बात करने वाले हैं कि क्या सच में डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease) या यह केवल एक मिथ है।  लेकिन, इससे पहले डायबिटीज और अल्जाइमर’स डिजीज के बारे में जानना जरूरी है।

    डायबिटीज क्या है? (Diabetes)

    आज दुनिया की पूरी आबादी का एक बड़ा हिस्सा इस समस्या से पीड़ित है। यह परेशानी तब होती है जब हमारा शरीर इंसुलिन का या तो सही मात्रा में इस्तेमाल या उत्पादन नहीं कर पाता है। इससे हमारे खून में ब्लड ग्लूकोज लेवल हाय हो जाता है। डायबिटीज के भी कई प्रकार हैं जैसे टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes), टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes), जेस्‍टेशनल डायबिटीज (Gestational diabetes) आदि। अधिकतर लोगों को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित रहते हैं जबकि बच्चों को टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) की समस्या अधिक होती है।

    आमतौर पर डायबिटीज की समस्या का इलाज नहीं है। लेकिन, इसे मैनेज किया जा सकता है। इस समस्या को मैनेज करने के लिए रोगी को सही दवाईयों, नियमित ब्लड ग्लूकोज को मैनेज करना और हेल्दी आदतों को अपनाना चाहिए। डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease) जैसे सवाल का उत्तर पाने से पहले अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) के बारे में जान लेते हैं।

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    अल्जाइमर’स डिजीज क्या है? (Alzheimer’s Disease)

    अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) एक प्रोग्रेसिव न्यूरोलॉजिक डिसऑर्डर है, जिसके कारण ब्रेन सिकुड़ जाता है और ब्रेन सेल्स नष्ट हो जाते हैं। यह डिजीज डेमेंशिया का सबसे सामान्य प्रकार  है। जिसमें प्रभावित व्यक्ति की सोचने, बिहेवियरल और सोशल स्किल्स में निरंतर गिरावट आती है, जिससे व्यक्ति की स्वतंत्र रूप से कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है। सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार कम उम्र के लोगों को भी यह बीमारी हो सकती है। लेकिन, यह दुर्लभ है। साठ साल की उम्र के बाद इसके लक्षण पहली बार नजर आना शुरू होते हैं और उम्र के साथ इसके रिस्क्स बढ़ते जाते हैं।

    इसके शुरुआती लक्षण हैं रोगी का रीसेंट इवेंट्स और कंवर्सशन्स को भूल जाना। दवाईयां अस्थायी रूप से और धीरे-धीरे इन लक्षणों को दूर करने में सहायक होती है। डायबिटीज को इस समस्या का एक जोखिम माना जा सकता है। संक्षेप में कहा जाए तो डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease)। आइए जानते हैं इसके बारे में बारे में विस्तार से। जानें क्या है डायबिटीज और अल्जाइमर’स डिजीज (Diabetes and Alzheimer’s Disease) के बीच में लिंक?

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    डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज? (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease)

    रिसर्च से यह बात साबित हुई है डायबिटीज और अल्जाइमर’स डिजीज (Diabetes and Alzheimer’s Disease) दोनों के बीच में गहरा कनेक्शन है। हालांकि, इसके बारे में अभी गहन अध्ययन किया जाना बाकी है। ऐसा पाया गया है कि डायबिटीज से पीड़ित लोगों खासतौर पर जिन लोगों को टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) की समस्या है उन्हें अल्जाइमर की समस्या का रिस्क अधिक होता है। आइए जानते इन दोनों के बीच के कनेक्शन के बारे में।

    जानिए दोनों के बीच के कनेक्शन के बारे में

    डायबिटीज कई कॉम्प्लीकेशन्स का कारण बन सकती है। इसके कारण ब्लड वेसल्स डैमेज हो सकते हैं। डायबिटीज को वैस्कुलर डिमेंशिया (Vascular dementia) का रिस्क फैक्टर भी माना जाता है। इस तरह का डिमेंशिया (Dementia) ब्रेन डैमेज के कारण होता है जो अक्सर आपके मस्तिष्क में कम या अवरुद्ध रक्त प्रवाह की वजह से होता है। डायबिटीज से पीड़ित कई लोग ब्रेन चेंजेज का अनुभव सकते हैं, जो अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) और वैस्कुलर डिमेंशिया (Vascular dementia) का लक्षण है।

    अब सवाल यह है कि डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease) या नहीं? यह सवाल मन में आना स्वाभाविक है। हालांकि इसके बारे में अभी और रिसर्चस की जा रही हैं ताकि इनके बीच के लिंक को अच्छे से समझा जा सके। ऐसा भी माना जाता है कि टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित लोगों के ब्रेन और अन्य बॉडी टिश्यूज के शुगर यानि ग्लूकोज के इस्तेमाल और इंसुलिन के प्रति रिस्पॉन्ड करने की क्षमता पर असर होता है।

    इसके साथ ही डायबिटीज से माइल्ड कोग्निटिव इम्पेयरमेंट (Mild cognitive impairment) का जोखिम भी बढ़ सकता है। यह वो स्थिति है जिसमें लोग सामान्य से अधिक सोचने और अन्य मेमोरी प्रॉब्लम्स का अनुभव करते हैं। ऐसा भी पाया गया है कि माइल्ड कोग्निटिव इम्पेयरमेंट (Mild cognitive impairment) के बिगड़ने से डिमेंशिया (Dementia) होने का जोखिम बढ़ सकता है। आइए जाने इस बारे में और अधिक।

    इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर'स डिजीज

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    इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज के बारे में जानिए और अधिक

    शोधकर्ताओं ने डायबिटीज और अल्जाइमर’स डिजीज (Diabetes and Alzheimer’s Disease) के बीच में कनेक्शन पाया है, लेकिन अभी इन दोनों डिजीज से छुटकारा पाने और उनके उपचार के संभावित तरीकों के बारे में भी शोध किया जाना बाकी है। आइए जाने और अधिक कि किस तरह से डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस अल्जाइमर को ट्रिगर कर सकती है?

    इंसुलिन रेजिस्टेंस (Insulin Resistance)

    जब हमारे सेल्स इंसुलिन का उस तरह से प्रयोग नहीं कर पाते हैं, जैसे उन्हें करना चाहिए तो इससे ब्रेन के मैकेनिक्स पर प्रभाव पड़ता है। जैसे:

    • सेल्स को उतना फियूल नहीं मिल पाता, जितनी उसे जरूरत होती है, तो हमारा ब्रेन सही से काम नहीं कर पाता है।
    • जब समय के साथ ब्लड शुगर बढ़ता है, तो यह ब्लड वेसल में हार्मफुल फैटी डेपोज़िशन का कारण बन सकता है। बहुत अधिक इंसुलिन के कारण दिमाग में केमिकल्स का संतुलन बिगड़ सकता है।

    ब्रेन पर ये प्रभाव इतने स्ट्रांग होते हैं कि कुछ वैज्ञानिकों को लगता है कि अल्जाइमर से संबंधित इंसुलिन रेजिस्टेंस को “टाइप 3 मधुमेह’ कहा जाना चाहिए। इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease)? इस सवाल के जवाब को सही से समझने के लिए और अधिक जानें।

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    इंफ्लेमेशन और ब्लड वेसल डैमेज (Inflammation and Blood Vessel Damage)

    डायबिटीज में, रोगी को हार्ट अटैक (Heart attack) या स्ट्रोक (Stroke) का अधिक जोखिम होता है। हाय ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) से इंफ्लेमेशन ट्रिगर हो सकती है। इनमें से कोई भी ब्लड वेसल के लिए सही नहीं है। ब्रेन के वेसल्स के डैमेज होने से अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease)  की परेशानी बढ़ सकती है। इंफ्लेमेशन हमारे सेल्स को इंसुलिन रेसिस्टेंट बना सकती है। खासतौर पर अगर किसी को मोटापा की समस्या है।

    ब्लॉक्ड नर्व कम्युनिकेशन (Blocked Nerve Communication)

    हाय ब्लड शुगर को प्रोटीन पीसेज के हाय लेवल के साथ लिंक किया जाता है जिसे बीटा अमीलॉइड (Beta amyloid) कहा जाता है। जब यह साथ में जुड़ते हैं तो यह ब्रेन और ब्लॉक्ड सिग्नल्स में नर्व सेल्स के बीच में फंस जाते हैं। नर्व सेल्स जो एक दूसरे से बात नहीं कर पाती हैं, अल्जाइमर’स डिजीज का मुख्य लक्षण है। उम्मीद है कि डायबिटीज या इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज (Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease) या नहीं, इस सवाल का जवाब आपको मिल गया होगा। अब जानते हैं कि इस रिस्क को कैसे कम किया जा सकता है।

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    इस जोखिम को कैसे कम किया जा सकता है?

    डायबिटीज और डायबिटीज के कारण होने वाली कॉम्प्लीकेशन्स को मैनेज करने के लिए रोगी को अपने डॉक्टर के साथ मिल कर प्रभावी स्ट्रेटेजी बनानी होगी। डायबिटीज को से बचाव और इफेक्टिव डायबिटीज मैनेजमेंट से अल्जाइमर और अन्य डिमेंशिया (Dementia) से बचाव में मदद मिल सकती है। यही नहीं, डायबिटीज से बचाव और इसे सही से मैनेज कर के आप इन कॉम्प्लीकेशन्स से भी बच सकते हैं, जैसे

  • हार्ट डिजीज (Heart disease)
  • स्ट्रोक (Stroke)
  • आई डैमेज  (Eye damage)
  • किडनी डिजीज  (Kidney disease)
  • नर्व डैमेज (Nerve damage)
  • डायजेस्टिव प्रॉब्लम्स (Digestive problems)
  • बोन और जॉइंट प्रॉब्लम्स (Bone and joint problems)
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    डायबिटीज को मैनेज करने और इन कॉम्प्लीकेशन्स से बचने के अपनाएं कुछ आसान उपाय अपनाने जरूरी हैं। यह तरीक़े इस प्रकार हैं

    • अपने डॉक्टर से ब्लड ग्लूकोज (Blood Glucose), कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) और ब्लड प्रेशर को मॉनिटर करने के लिए सही प्लान बनवाएं।
    • डायबिटीज को मैनेज करने के लिए हेल्दी फ़ूड का सेवन करना बेहद जरूरी है जैसे फल, सब्जियां, साबुत अनाज, लीन मीट आदि। इसमें डॉक्टर और डायटीशियन आपकी मदद कर सकते हैं।
    • अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने की योजना बनाएं। इसके लिए सही डायट का सेवन करें और व्यायाम करें। अधिक समस्या होने पर डॉक्टर की सलाह लें।
    • धूम्रपान से बचें और एल्कोहॉल का सेवन लिमिट में करें।
    • दिन में कम से कम तीस मिनट व्यायाम अवश्य करें। नियमित रूप से व्यायाम करना न केवल डायबिटीज को मैनेज करने बल्कि आपको संपूर्ण रूप से हेल्दी बनाए रखने में भी मददगार है।
    • तनाव से बचें। तनाव को डायबिटीज का एक कारण माना गया है। इसके लिए मेडिटेशन या योगा करें। डॉक्टर भी आपकी इस परेशानी को कम करने में मदद कर सकते हैं।
    • डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाईयों का समय पर सेवन करें और उनकी इंस्ट्रक्शंस का पूरी तरह से पालन करें।

    क्या आप जानते हैं कि डायबिटीज को रिवर्स कैसे कर सकते हैं? तो खेलिए यह क्विज!

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    यह तो थी “इंसुलिन रेजिस्टेंस ट्रिगर्ड अल्जाइमर’स डिजीज'(Insulin resistance triggered Alzheimer’s Disease) के बारे में पूरी जानकारी। यह बात तो आप समझ ही गए होंगे कि डायबिटीज कई जटिलताओं का कारण बन सकती हैं जिनमें से एक है अल्जाइमर’स डिजीज। अल्जाइमर’स डिजीज (Alzheimer’s Disease) दिमाग से संबंधित एक समस्या है, जो व्यक्ति के सोचने समझने की क्षमता, मेमोरी आदि को प्रभावित करती है। अगर आप इस परेशानी से बचना चाहते हैं, तो आपके लिए अपने ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को सही रखना बेहद जरूरी है। अपने ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को सही रखने के लिए सही दवाइयों, इंसुलिन और हेल्दी लाइफस्टाइल को फॉलो करने की जरूरत होगी। अगर आपके मन में इस बारे में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से इस बारे में अवश्य बात करें।

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