जब आपको यह लक्षण दिखाई दें, तो आपको तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जितनी जल्दी आप डॉक्टर से संपर्क करेंगे, उतनी ही जल्दी आप ब्लड शुगर लेवल को सामान्य स्तर पर ला सकते हैं। इसलिए समय रहते डॉक्टर से संपर्क करना बेहद जरूरी माना जाता है। जैसा कि आपने जाना डायबिटीज के समस्या किसी भी व्यक्ति के लिए परेशानी का सबब बन सकती है, इसलिए डायबिटीज (Diabetes) को समय रहते कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। जैसा कि आपने जाना टाइप टू डायबिटीज किसी भी व्यक्ति के लिए खतरा बन सकता है, वहीं टाइप टू डायबिटीज पेशेंट में सेक्स डिस्पैरिटी (Sex Disparities in Treatment of Cardiac Risk Factors in Patients With Type 2 Diabetes) के बारे में भी आपको जानकारी होनी चाहिए। आइए अब जानते हैं टाइप टू डायबिटीज पेशेंट में सेक्स डिस्पैरिटी से जुड़ी इस रिसर्च के बारे में।
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टाइप टू डायबिटीज पेशेंट में सेक्स डिस्पैरिटी को लेकर क्या कहती है रिसर्च? (Sex Disparities in Treatment of Cardiac Risk Factors in Patients With Type 2 Diabetes)

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक एक रिसर्च में यह पाया गया कि जिन महिलाओं को कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या होती है और साथ ही साथ जो डायबिटीज से ग्रसित होती हैं, उनमें पुरुषों की तुलना में प्रोटेक्टिव इफेक्ट अलग तरीके से दिखाई देता है। दरअसल महिलाओं में देखा जाने वाला प्रोटेक्टिव इफ़ेक्ट डायबिटीज के चलते कम हो जाता है, जिससे कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) के समस्या का रिस्क बढ़ जाता है। इस रिसर्च के में ये पता चला कि टाइप टू डायबिटीज पेशेंट में सेक्स डिस्पैरिटी (Sex Disparities in Treatment of Cardiac Risk Factors in Patients With Type 2 Diabetes) के मुताबिक पुरुषों को कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या में डायबिटीज के चलते महिलाओं की अपेक्षा रिस्क ज़्यादा होता है। लेकिन वहीं डायबिटीज से ग्रसित महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा हार्ट रिस्क से जुड़े हुए ट्रीटमेंट आसानी से नहीं मिलते, जिसके चलते डायबिटीज के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या में इलाज का सही असर होता हुआ नहीं दिखाई देता और इसका कारण महिलाओं और पुरुषों में मौजूद बायोलॉजिकल डिफरेंस को मारा गया है।
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ऐसी स्थिति में महिलाओं को डायबिटीज के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी डिजीज की समस्या में खास ध्यान रखने की हिदायत दी जाती है। हालांकि इस क्षेत्र में अधिक जानकारी और रिसर्च की आवश्यकता है। लेकिन मौजूदा रिपोर्ट के मुताबिक यह कहा जा सकता है कि टाइप टू डायबिटीज पेशेंट में सेक्स डिस्पैरिटी को आसानी से परखा जा सकता है। यही वजह है कि टाइप टू डायबिटीज पेशेंट में सेक्स डिस्पैरिटी (Sex Disparities in Treatment of Cardiac Risk Factors in Patients With Type 2 Diabetes) की स्थिति में महिलाओं को अपने खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ सकती है।