
डायबिटीज की समस्या होने पर इन्सुलिन (Insulin) का निर्माण नहीं हो पाता है या इन्सुलिन के निर्माण होने के बाद भी यह अपना काम करने में असमर्थ होता है। शरीर में इन्सुलिन का निर्माण नहीं होने पर या इन्सुलिन के काम नहीं करने के कारण व्यक्ति एनर्जेटिक महसूस नहीं कर पाता है। ऐसा ब्लड शुगर लेवल (Blood Sugar Level) इम्बैलेंस होने की स्थिति में होता है। अब जब पेशेंट अपनी परेशानी को डॉक्टर से शेयर करते हैं, तो डॉक्टर बीमारी की गंभीरता को समझते हुए ह्युमिनसुलिन एन (Huminsulin N) इंजेक्शन प्रिस्क्राइब करते हैं। ह्युमिनसुलिन एन को ह्यूमेलिन एन (Humulin N) के नाम से भी जाना जाता है। इस इंजेक्शन की मदद से बढ़े हुए ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
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डायबिटीज पेशेंट के लिए ह्युमिनसुलिन एन क्यों लाभकारी माना जाता है? (Why Huminsulin N beneficial for diabetic)

ह्युमिनसुलिन एन एक तरह का रेग्यूलर इन्सुलिन है और इसमें मौजूद आइसोफेन इन्सुलिन (Isophane insulin) इंजेक्शन की मदद से शरीर में प्रवेश करने के बाद धीरे-धीरे बॉडी में रिलीज होता है, 12 से 18 घंटे तक ब्लड शुगर लेवल को बैलेंस रखने में सहायक होता है। इसलिए इसे इंटरमीडिएट-एक्टिंग इन्सुलिन (Intermediate-acting insulin) भी कहा जाता है। अगर सामान्य शब्दों में समझें तो ह्युमिनसुलिन एन ग्लूकोज को मसल्स और फैटी सेल्स तक पहुंचने में मदद करता है, जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और डायबिटीज पेशेंट एनर्जेटिक महसूस करते हैं। यही नहीं ह्युमिनसुलिन एन लिवर में ग्लूकोज प्रोडक्शन को भी कम करने में सहायक होता है। वहीं अगर दूसरे इन्सुलिन इंजेक्शन जैसे ह्यूमेलिन आर (Humulin R) की बात करें, तो यह इन्सुलिन इंजेक्शन तेजी से अपना काम करने में सहायक तो होता है, लेकिन इसका असर सिर्फ 3 से 6 घंटे तक ही शरीर में रह पाता है। इसलिए इसे शॉर्ट-एक्टिंग इन्सुलिन (Short-acting insulin) कहा जाता है। ह्यूमेलिन एन एवं ह्यूमेलिन आर डॉक्टर द्वारा ही प्रिस्क्राइब की जाती है। डॉक्टर पेशेंट की हेल्थ कंडिशन को ध्यान में रखकर इन अलग-अलग इन्सुलिन इंजेक्शन (Insulin injection) को प्रिस्क्राइब करते हैं। ह्युमिनसुलिन एन वयस्कों के साथ-साथ बच्चों में भी डायबिटीज की समस्या होने पर प्रिस्क्राइब की जाने वाली इन्सुलिन इंजेक्शन है।
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