परिभाषा
क्या आपको दूर की चीजें स्पष्ट नहीं दिखती, धुंधला-धुंधला सा नजर आता है? यदि हां, तो आपको नियरसाइटेडनेस (निकटदर्शिता) या मायोपिया है। नियरसाइटेडनेस आंखों की एक समस्या है जिसमें दूर की नजर खराब हो जाती है यानी आपको दूर की चीजें साफ नहीं दिखती, लेकिन नजदीक की चीज बिल्कुल साफ दिखती है।
नियरसाइटेडनेस (Nearsightedness, निकटदर्शिता) क्या है?
नियरसाइटेडनेस (निकटदर्शिता) जिसे मायोपिया भी कहा जाता है विजन यानी दृष्टि से जुड़ी समस्या है। इससे पीड़ित व्यक्ति की दूर की नजर धुंधली हो जाती है और पास की नजर बिल्कुल ठीक होती है। यानी उसे दूर की चीजें जैसे हाईवे साइन बिल्कुल धुंधला दिखेगा, लेकिन पास में रखी किताब के अक्षर स्पष्ट दिखेंगे। 40 साल की उम्र से कम के लोगों में यह बहुत आम है। वैश्विक स्तर पर हुए एक शोध के मुताबिक, साल 2000 में जहां दुनिया की 25 फीसदी आबादी निकटदर्शिता से पीड़ित थी, वहीं 2050 तक करीब विश्व की आधी आबादी के नियरसाइटेडनेस से पीड़ित होने की संभावना है। यानी यह समस्या बहुत व्यापक रूप में लोगों को प्रभावित कर रही है।
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कारण
नियरसाइटेडनेस (निकटदर्शिता) का कारण
जब आपकी आखों के अंदर जाने वाला प्रकाश सही तरीके से फोकस नहीं कर पाता है तो छवियां रेटिना की जगह इधर उधर बनने लगती हैं। रेटिना जो कि छवि को दिमाग तक ऑप्टिक नर्व जरिए पहुंचाता है, उसे ये छवियां साफ नहीं दिखतीं और इसकी वजह से दूर देखने की समस्या पैदा होने लगती है। मायोपिया दो प्रकार के होते हैं।
हाई मायोपिया
यह बहुत गंभीर होता है, क्योंकि इसमें आपकी आईबॉल सामान्य से बहुत अधिक विकसित हो जाती है। जिसकी वजह से दूर की चीजें आपको नजर नहीं आती, इसकी वजह से आपको आंखों से जुड़ी अन्य समस्याएं जैसे- रेटिना का अलग होना, मोतियाबिंद आदि।
डिजनरेटिव मायोपिया
इसे पैथोलॉजिकल या मैलिगनैन्ट मायोपिया भी कहा जाता है। यह दुलर्भ प्रकार है जो आमतौर पर माता-पिता में होने की वजह से बच्चों में होता है। इसमें आइबॉल बहुत जल्दी बढ़ जाती है जिससे टीनेज या वयस्क होने पर नियरसाइटेडनेस की गंभीर समस्या हो जाती है। दूर की चीजें धुंधली दिखने के साथ ही आपको अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे- रेटिना का अलग होना, आंखों में असामान्य बल्ड वेसल्स का निर्माण और ग्लुकोमा।
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लक्षण
नियरसाइटेडनेस (निकटदर्शिता) के लक्षण
नियरसाइटेडनेस के लक्षणों में शामिल है:
- दूर की चीजें धुंधली नजर आना
- स्पष्ट रूप से देखने के लिए पलकें आंशिक रूप से बंद करना
- आंखों पर जोर पड़ने के कारण सिरदर्द होना
- गाड़ी चलाते समय देखने में दिक्कत होना, खासतौर पर रात के समय
नियरसाइटेडनेस आमतौर पर बचपन या टीनेज में ही डायग्नोस किया जाता है। नियरसाइटेडनेस से पीड़ित बच्चे में आपको निम्न लक्षण दिखेंगेः
- लगातार स्क्विंट (भेंगा देखना)
- टेलीविजन, मूवी स्क्रीन के बिल्कुल करीब बैठने की जरूरत
- दूर की वस्तुओं से अनजान रहना
- बार-बार पलक झपकाना
- आंखों को बार-बार रगड़ना
- ब्लैकबोर्ड पर लिखी चीजें पढ़ने में दिक्कत
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जोखिम
नियरसाइटेडनेस (निकटदर्शिता) से जुड़े जोखिम
कुछ कारक नियरसाइटेडनेस होने का खतरा बढ़ा देते हैं जैसेः
अनुवांशिक
नियरसाइटेडनेस की समस्या यदि परिवार में किसी को है तो माता-पिता में से किसी एक को है तो बच्चे में इसके होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि माता-पिता दोनों को नियरसाइटेडनेस है तो बच्चे में इसका खतरा कई गुणा बढ़ जाता है।
पढ़ना और आंखों के करीब कोई काम करना
जो लोग बहुत अधिक पढ़ते हैं या कंप्यूटर पर ज्यादा समय तक काम करते हैं उनमें नियरासइटेडनेस का खतरा बढ़ जाता है। इलेक्ट्रॉनिक गेम्स खेलने और टीवी देखने में यदि आप अधिक समय बिताते हैं तो यह भी बीमारी का जोखिम बढ़ा देता है, साथ ही बुक को आंखों के बिल्कुल पास रखकर पढ़ने से भी मायोपिया का खतरा हो सकता है।
पर्यावरणीय स्थितियां
कुछ अध्ययन के मुताबिक, बाहर खुली हवा में ज्यादा समय न बिताने से भी मायोपिया का खतरा बढ़ जाता है।
नियरसाइटेडनेस से जुड़ी जटिलताएं
नियरसाइटेडनेस से कई तरह की सामान्य और गंभीर जटिलताएं जुड़ी हुई हैं, जैसेः
दनचर्या में समस्या
जब आपको चीजें स्पष्ट रूप से दिखेंगी ही नहीं तो आप अपना काम ठीक तरह से नहीं कर पाएंगे। धुंधली दृष्टि की वजह से आप अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों का पूरा आनंद नहीं ले पाएंगे।
आंखों पर दबाव
नियरसाइटेडनेस की वजह से फोकस करने के लिए आपको बार-बार पलकें झपकानी पड़ती है या आंखों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। आंखों पर दवाब पड़ने से सिरदर्द की समस्या हो सकती है।
सुरक्षा
धुंधली दृष्टि के कारण आप न तो ठीक तरह से अपनी सुरक्षा कर पाएंगे और साथ ही आपकी धुंधली दृष्टि दूसरों की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती है, खासतौर पर जब आप कार या कोई अन्य व्हीकल चला रहे हों।
आर्थिक भार
करेक्टिव लेंस, आई चेकअप और मेडिकल ट्रीटमेंट पर बहुत खर्च होता है जो आपका बजट बिगाड़ देता है।
आंखों की अन्य समस्याएं
गंभीर नियरसाइटेडनेस कई अन्य समस्याओं का कारण बन सकता है जैसे- रेटिना का अलग होना, ग्लूकोमा, मोतियाबिंद और मायोपिक मैकुलोपैथी (रेटिना के बीच के हिस्से का क्षतिग्रस्त होना)। लंबे आईबॉल के टिशू खिंचते हैं और पतले हो जाते हैं जिससे आंख से पानी आना, सूजन, नई रक्त वाहिकाओं का कमजोर होना और निशान पड़ने की संभावना रहती है।
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निदान व उपचार
नियरसाइटेडनेस (निकटदर्शिता) का निदान व उपचार
आंखों की सामान्य जांच से नियरसाइटेडनेस का पता चल सकता है। इसके बाद डॉक्टर आपकी स्थिति को देखते हुए चश्मा, कॉन्टैक्ट लेंस या रिफ्लेक्टिव सर्जरी की सलाह दे सकता है।
मायोपिया होने पर आपके चश्मे और कॉन्टेक्ट लेंस का नंबर निगेटिव होगा। नंबर जितना अधिक निगेटिव होगा आपका लेंस उतना ही स्ट्रॉन्ग होगा। उदाहरण के लिए -3, -2.5 से स्ट्रॉन्ग होगा।
आंखों की सर्जरी से आपकी दृष्टि में सुधार होता है और आपको चश्मा लगाने या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की जरूरत नहीं पड़ती है। मायोपिया के लिए की जाने वाली सर्जरी में शामिल हैः
फोटोरेफ्रेक्टिव केरेटेक्टॉमी (Photorefractive keratectomy) – इसे PRK सर्जरी भी कहा जाता है, यह सर्जरी आपके कॉर्निया की मध्य परत को साफ करने के लिए एक लेजर का उपयोग करती है। यह कॉर्निया के कर्व को समतल करता है और प्रकाश किरणों को आपके रेटिना पर या उसके करीब केंद्रित करता है।
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LASIK- यह मायोपिया की सबसे आम सर्जरी है। सर्जन आपके कॉर्निया की ऊपरी परत पर एक पतली फ्लैप बनाने के लिए लेजर या किसी अन्य उपकरण का उपयोग करता है। वह एक और लेजर के साथ कॉर्निया को स्कैन करता है और फ्लैप को वापस जगह पर ले जाता है।
हाई मायोपिया के मामले में, स्पेशल कॉन्टेक्ट या एट्रोपिन आईड्रॉप्स इसे धीमा करने में प्रभावी पाए गए हैं। कुछ मामलों में, आपका डॉक्टर मोतियाबिंद या क्लियर लेंस रिप्लेसमेंट सर्जरी की सलाह दे सकता है।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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