शवासन को योगा निद्रा और योगिक स्लीपिंग जैसे नाम से भी जानते हैं। वहीं अंग्रेजी में इसे कॉर्प्स पोज (Corpse Pose) के नाम से जानते हैं। अन्य योगाभ्यास, मुद्रा, आसन की ही तरह शवासन (Shavasana) के कई फायदें हैं। जैसा कि इसका नाम है, ठीक उसी प्रकार यह दो शब्दों से मिलकर बना है, शव जोड़ आसन। संस्कृत से लिए गए इन शब्दों को मिलाकर शवासन बना है। ऐसे में इसे शव की मुद्रा में रहकर परफॉर्म किया जाता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इस योगासन को कर व्यक्ति आठ घंटों की नींद चंद मिनटों में हासिल कर सकता है। यह काफी लाभकारी योगासन माना जाता है। आपने महसूस किया होगा जब आप हाइकिंग-ट्रैकिंग पर जाते हों या फिर दिन भर आपने खूब मेहनत की होती है। उसके बाद छोटी सी सीट या फिर पत्थर पर भी टेक लगा लें या यूं कहें छोटी सी झपकी में काफी अच्छी नींद आती है। वही एहसास आपको इस आसन को करने के बाद होता है। भारत में वर्षों पहले ऋषि-मुनि तपस्या कर इस आसन को कर आठ घंटों की नींद हासिल कर लेते थे। यह आसन हर उम्र के लोगों के लिए काफी लाभकारी होता है। तो आइए इस आर्टिकल में हम शवासन करने के तरीके, इसके फायदों के साथ इस योगासन को किसे करना चाहिए और किसे नहीं करना चाहिए इस बारे में जानने के साथ कई अहम जानकारी हासिल करते हैं।
शवासन (Shavasana) कब किया जाता है?
भारतीय सेना, सीआरपीएफ और अर्ध सैनिक बलों के योग प्रशिक्षक और पतंजलि योगपीठ से जुड़े जमशेदपुर के मगन लाल शर्मा बताते हैं कि अन्य आसनों के समान ही शवासन को करने का एक निश्चित समय है। जब हम सभी प्राणायाम को कर लेते हैं, तो उसके बाद शवासन को किया जाता है। इसे शव की मुद्रा में लेटकर किया जाता है। तमाम आसनों को करने के बाद हमारा शरीर थक चुका होता है। उसके बाद ही हम इस आसन को कर रिलीफ पाते हैं। इसे करने के बाद आप खुद आसन के तुरंत बाद ही इसके फायदे को महसूस कर सकेंगे। उदाहरण के तौर पर बाबा रामदेव को ही ले लीजिए वो 55 साल के होने के बावजूद योगा के बल पर कईयों के प्रेरणास्त्रोत हैं।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ें : योग क्या है? स्वस्थ जीवन का मूलमंत्र योग और योगासन
शवासन (Shavasana) कैसे करें?
ऐसे करें शवासन, यहां जानें स्टेप बाई स्टेप शवासन की प्रक्रिया
- सबसे पहले जिस प्रकार शव को लिटाया जाता है, उसी प्रकार खुद भी जमीन पर लेट जाएं।
- ध्यान की क्रिया में जाने के पहले दोनों पैर में एक फुट की दूरी और हाथों में एक फुट की दूर पर रखें।
- हथेली को आकाश की ओर रखें और शरीर को ढीला छोड़ दें।
- रक्तसंचार को सामान्य करते हुए शरीर को रिलैक्स मोड में ले जाएं।
- लंबी और गहरी सांसे करीब 10 से 15 बार लें और आंखों को बंद कर मन को स्थिर रखें।
- कुछ सेकेंड के बाद मन की आंखों से पैर, घुटने, कमर, पेट, ज्ञान इंद्रिया, छाती, गर्दन, होंठ, मुंह, आंखे यानि शरीर के सभी अंगों को देखते हुए दिमाग पर केंद्रित करें।
- जब आपका ध्यान दिमाग पर केंद्रित हो जाएगा तो मेडिटेशन करते हुए ब्रह्मांड में विचरण करें। इस दौरान सोचें कि मैं कौन हूं, मैं धरती पर क्यों आया, जीवन के बारे में सोचते हुए मन में आने वाली चिंताओं के बारे में न सोचे, चिंताएं आए तो उससे लड़ने की बजाय छोड़ दें।
- अब आप अपने ध्यान को प्राण यानि श्वासों पर लगाएं, वहीं अपने शरीर के अंदर और बाहर चल रही ऊर्जा को महसूस करते हुए आसपास की गतिविधियों को महसूस करें, महसूस करें कि आपमें सार्वभौमिक व अपार ऊर्जा है
- मध्यम सांसे लेते हुए नासिका मूल पर आकर हमारे सांसे नियमित चलने लगेंगी, इस समय तक हमारी श्वांसों की गति सामान्य हो जाएगी।
- इसे कर फिर रिलेक्स मोड में आ जाएं।
- इसके बाद जब आप 10 से 20 मिनटों तक इस आसन को कर पूरी तरह रिलेक्स महसूस करें तो आंखों को बंद करते हुए ही दाहिने ओर मुड़ जाए। एक मिनट तक इसी पोजिशन में बने रहें। फिर अपने दाहिने हाथ का सहारा लेते हुए धीरे धीरे करके उठें।
- आप बेहतर महसूस करेंगे।
कैसे करें योग की शुरुआत, वीडियो देख एक्सपर्ट से जानें
और पढ़ें : पादहस्तासन : पांव से लेकर हाथों तक का है योगासन, जानें इसके लाभ और चेतावनी
शवासन (Shavasana) करने के फायदे क्या हैं?
एक्सपर्ट बताते हैं कि शवासन (Corpse Pose) को करने के बाद हमें कई प्रकार के फायदे होते हैं, जो इस प्रकार हैं:
- थकान मिट जाती है, नींद की कमी दूर होती है
- मन और ज्ञान इंद्रिया नियंत्रण में आ जाती हैं
- मन की चंचलता दूर होती है
- आत्मा का बोध होता है
- शरीर रिलैक्स हो जाता है
- काम पर व्यक्ति और भी ज्यादा फोकस कर पाता है
- मन में गलत विचार नहीं आते हैं
- शरीर से तनाव और गुस्सा दूर होता है
- व्यक्ति की बीमारियां दूर होती हैं
- मन से चिड़चिड़ापन दूर होता है
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट की सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है। बाबा रामदेव भी योग के जरिए लोगों को स्वस्थ्य रहने की सीख देते हैं, उनसे सीख योग को जीवन में अपनाना चाहिए।
और पढ़ें : मशहूर योगा एक्सपर्ट्स से जाने कैसे होगा योग से स्ट्रेस रिलीफ और पायेंगे खुशी का रास्ता
जानें कौन कर सकता है शवासनस, इसके नुकसान की रखें जानकारी
भारतीय सेना, सीआरपीएफ और अर्ध सैनिक बलों के योग प्रशिक्षक और पतंजलि योगपीठ से जुड़े जमशेदपुर के मगन लाल शर्मा बताते हैं कि वैसे तो शवासन को 10 साल से लेकर 80 साल तक के बुजुर्ग कर सकते हैं। लेकिन गर्भवती महिलाओं व शिशु को दूध पिलाने वाली महिलाओं को इसे नहीं करना चाहिए। उन्हें अनुलोम-विलोम, भ्रस्तिका, भ्रामरी, उद्गीथ आदि करने की ही छूट है, वो भी न तीव्र गति में और न ही निम्न गति में सिर्फ मध्यम गति में करने की छूट दी जाती है। वहीं शवासन को करने के कोई खास नुकसान नहीं है, लेकिन आप अपने हेल्थ कंडीशन को एक्सपर्ट से बताकर इसे कर सकते हैं। वैसे लोग मानसिक रूप से बीमार हैं, उन्हें यह परफॉर्म नहीं करना चाहिए।
शवासन (Shavasana) करने के पहले लें एक्सपर्ट की सलाह
[embed-health-tool-heart-rate]