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Episode-5: डायबिटिक बच्चे किसी फाइटर से कम नहीं!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Niharika Jaiswal द्वारा लिखित · अपडेटेड 30/09/2021

    Episode-5: डायबिटिक बच्चे किसी फाइटर से कम नहीं!

    बच्चों में डायबिटीज होना ऐसा है, जैसे कि मानों किसी ने उनसे, उनका बचपन छीन लिया हो। लेकिन फिर भी कई ऐसे बच्चे हैं, जो डायबिटीज पेशेंट है, लेकिन उनकी मासूमियत वैसी ही बरकरार है। ये बच्चे उन लोगों के लिए ऐसा उहारण हैं, जो लोग उम्र में बड़े होने के बाद भी डायबिटीज जैसी बामारी के आगे हार जाते हैं। बच्चों की डायबिटीज, बड़ों में होने वाली डायबिटीज से अलग होती है। इनमें टाइप-1 डायबिटीज होती है। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज ज्यादातर मामलों में जन्मजात से देखने को मिलती है। इस डायबिटीज के साथ बच्चों की जिंदगी आसान नहीं होती है। सबसे ज्यादा उनके खानपान में दिक्कत होती है। जो केवल बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि माता-पिता के लिए भी परेशानी की एक वजह है।

    बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children)

    तो आइए, इस ‘वर्ल्ड डायबिटीज डे’ पर हमारे साथ जुड़िए हमारी सिरीज ‘स्वाद से मीठा गया है, जिंदगी से नहीं’ से। यह सिरीज खास उनके लिए है, जो डायबिटिक हैं और ये सोचते हैं कि वो कभी भी नॉर्मल लाइफस्टाइल नहीं जी सकते हैं। तो इसमें हम जानेंगे एक डायबिटिक बच्चे की कहानी, जिसके पैरेंट्स ने हमारे साथ अपने डायबिटीज से शिकार बच्चे का लाइफस्टाइल और अनुभव शेयर किया है। हमारे इस पांचवे एपिसोड में हैं, लखनऊ का रहने वाला रिवा त्रिपाठी, जो कि एक चार साल का लड़का है। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children),  आइए जानें कि उसके पैरेंट्स से कि, वो रिवी की लाइफ में  मीठे की कमी को कैसे पूरा करते हैं। यहां हमारे साथ जुड़ी हैं, रिवा की मां-

    Q-1. आपके बच्चे का नाम क्या है?

    मेरे बेटे का नाम रिवा त्रिपाठी है और वो यूकेजी क्लास का स्टूडेंट है।

    Q-2. आपके बच्चे की उम्र क्या है?

    न जानें क्यों, इतनी कम उम्र में वो डायबिटीज की शिकार हो गया। रिवा अभी 4 साल का ही है।

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    Q-4. आप अपने बच्चे को कैसे समझाती हैं, जब उसके सामने घर में एक बच्चा मीठा खा रहा हो और डायबिटिक बच्चे के जिद करने पर भी आप उसे नहीं दे सकती हैं?

    वो बहुत ही मुश्किल पल होता है। बच्चे को समझाना आसान नहीं होता है, खासतौर पर तब, जब घर में एक बच्चा चॉकलेट खा रहा हो और दूसरे को आप दे नहीं सकते हैं। बच्चे का मन बहुत मासूम होता है, उसे ये नहीं पता होता है कि उसके लिए क्या सही है और क्या नुकसानदेह है। सामने चाॅकलेट देखकर रिवा की भी जिद शुरु हो जाती है। तो ऐसे में, मैं उसे समझाती हूं कि चॉकलेट खाने से दांतों में कैविटी हो जाती है, समझदार बच्चे ऐसा नहीं करते हैं। लेकिन बच्चे को पूरी तरह से रोकना भी गलत है। इसलिए मैं उसके लिए शुगर फ्री चॉकलेट लेकर रखती हूं। वो भी उसे थोड़ी ही मात्रा में देती हूं। शुगर के साथ उसको दिनभर में देने वाली कैलोरी का भी ध्यान रखना होता है।

    Q-5. दूसरे बच्चों की तुलना में उसकी लाइफस्टाइल कितनी अलग है?

    बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children) होने पर समस्याएं बढ़ जाती हैं। अब आप एक डायबिटिक लाइफ का अंदाजा लगा ही सकते हैं। नॉमर्ल बच्चों की तुलना में डायबिटिक बच्चों की लाइफ बहुत ही अलग और मुश्किल होती है। वो साधारण बच्चों की तरह डायट नहीं ले सकते हैं और ज्यादा खेल भी नहीं सकते हैं। उसे थकान बहुत जल्दी महसूस होने लगती है। इस के साथ ही रिवा में कई बार मूड स्विंग की समस्या भी देखने को मिलती है।

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    Q-6.बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children) होने पर डायट प्लान और एक्सरसाइज के बारे में कुछ बताएं?

    वैसे तो खेलना कूदना-बच्चों के लिए सबसे अच्छी एक्सरसाइज है। ये तो वो दिन भर करता ही है। इसी के साथ, मैं उसे जंपिंग, कुछ इजी योगा और स्विमिंग जैसी एक्टिविटी जरूर करवाती हूं। लेकिन उसकी डायट प्लान की बात करें, तो ज्यादातर मैं उसे सिपंल फूड देने की कोशिश करती हूं, जैसे कि सुबह के नाश्ते में उसके लिए ब्राउन ब्रेड और पनीर सैंडविच, कभी नमकीन सेवइयां, कभी आटा नूडल्स या बॉयल एग देने की कोशिश करती हूं। इनमें से जो उसका मन करता है, वही बनाती हूं। इसके साथ ही एक फल भी जरूर देती हूं और एक ग्लिास दूध भी। दिन के खाने में मैं उसे 1 मल्टीग्रेन आटे की रोटी, आधी कटोरी दही, आधी कटोरी दाल और थोड़ी से हरी सब्जी खिलाने की कोशिश करती हूं। पर वो इससे थोड़ा ही खा पाता है। इवनिंग स्नैक्स में मैं उसके लिए इडली, सूजी का चीला और रोस्टेड मखाने या  होममेड कुकीज देती हूं।  कभी-कभी वो जो भी खाने की जिद्द करती हैं, तो उसे थोड़ी मात्रा में वो भी दे देती हूं। ताकि उसका मन रह जाए। अगर मैं रात के डिनर की बात करूं तो उसे बहुत ही लाइट फूड देती हूं, जैसे कि थोड़ी सी दलिया और सब्जियों के साथ बनी खिचड़ी या एक रोटी-सब्जी। ऑयल या जंक फूड, उसे बिल्कुल भी रात में नहीं देती हूं।

    Q-7. हो सकता है कि वो डायबिटिज डायट वाला फूड खाकर बोर हो जाता होगा, तो ऐसे में क्या करती हैं?

    हां, ऐसा बहुत बार होता है कि वो एक ही प्रकार का खाना खाकर बोर हो जाता है। इसलिए मैं घर में उसके लिए हेल्दी तरीके से जंक फूड को टिव्स्ट कर के बनाने की कोशिश करती हूं, जैसे कि सूजी का बेस बनाकर फिर पिज्जा तैयार करती हूं। जब वो नूडल्स की जिद करता है, तो आटे वाली नूडल्स  में सब्जी डालकर उसे हेल्दी तरीके से बनाकर देती हूं।  के साथ बनाकर देती हूं। इसी तरह छोले-भटूरे में भटूरे में मैदे के साथ आटा और सूजी मिलकार बनाती हूं। परांठा खाने का मन होता है उसका तो ओट्स का पीसकर आटे में मिला लेती हूं और ऑलिव ऑयल में बनाकर देती हूं। इसी तरह से ओट्स मिक्स कर के भी चीला बनाती हूं। कभी-कभी कुछ डिफरेंट खाने का मन होता है उसका तो मूग दाल के चीले को उपर पनीर कद्दूकस कर देती हूं और थोड़ा सा टोमेटो सॉस डालकर डेकोरेट कर देती हूं। बच्चों में टाइप-1 डायबिटीज (Type 1 diabetes in children) होने पर खानपान पर ध्यान देना जरूरी है।

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    Q-8.आपकी कोई ऐसी ट्रिक है, जिससे आप बच्चे की लाइफ में चॉकलेट की कमी पूरी कर सकती हैं?

    हां, मैं होम मेड चॉकलेट या कुकीज बनाकर देती हूं उसे जो कि शुगर फ्री या मेप्पल सिरप या गुड़ से बनी होती है। जिसका कोई नुकसान भी नहीं हाेता है। इस तरह मैं उसे घर पर ही केक और पेस्ट्रीज भी बना कर देती हूं। जिससे वो खुश हो जाती है। इसके अलावा मैं ने उसे ये समझा रखा है कि ज्यादा मीठा खाने से दांतों में कैविटी हाे जाती है और फिर बच्चों के दांत चले जाते हैं। इसलिए वो जिद्द नहीं करती है ज्यादा। बचपन से ही उसे चॉकलेट में भी डॉर्क चॉकलेट की आदत डाली है। डार्क चॉकलेट सेहत के लिए भी अच्छी होती है, पर थोड़ी ही मात्रा में।

    Q-9.डायबिटीज के साथ आप अपने बच्चे को हैप्पी रखने के लिए क्या करती हैं?

    डायबिटीज के साथ अपने बेटी को हेप्पी रखने के लिए मैं उसकी पसंद और न पसंद का ख्यास ध्यान रखती हूं। जैसे कि जिस समय उसका कुछ खाने का मन हो तो मैं ध्यान रखती हूं कि उसके लिए उसे मना करने के बजाए कुछ हेल्दी विकल्प उसे बनाकर दूं। इसके अलावा जैसे बच्चे बहुत ज्यादा खेलते है और रिवी को कुछ देर बाद थकान महूसस होने लगती है, साथ ही उसे ये भी न महसूस हो कि वो दूसरों बच्चे की तरह खेल  नहीं सकती है या कुछ और। तो ऐसे उसके साथ ज्यादा से ज्यादा टामइम बिताने की कोशिश करती हूं और इनडोर गेम्स खेलती हूं।

    Q-10.आप कैसे पता लगाते हैं कि कब आपके बच्चे के ब्ल्ड में शुगर का लेवल बढ़ रहा है या कम हो रहा है ?

    जब रिवी में शुगर का लेवल बढ़ता है तो उस समय उसे थकान ज्यादा महसूस होती हैं। इसके अलावा मैं आपको हर तरह के बदलाव बता नहीं पाउंगी, पर हां, मैं उसमें कुछ बदलावा महसूस कर पाती हूं। कहने का अर्थ है मुझे समझ में आ जाता है कि उसका शुगर बढ़ रहा है। फिर मैं ग्यूकोमीटर से चेक करती हूं। ये प्रक्रिया भी इतनी आसान नहीं होती है। वो 4 साल की बच्ची ही है।

    Q-11. क्या आपके बच्चे को स्कूल में भी डायबिटिक होने के कारण किसी प्रकार की मुश्किल का सामना करना पड़ता है?

    हां, कई बार, जैसा कि मैं ने उसे समझा रखा है कि बहुत ही ज्यादा दौड़ने की जरूरत नहीं है या स्कूल में कोई चॉकलेट या टॉफी दे तो मता खाना। मैं उसे घर पर अपने हिसाब देती हूं। अब बच्चा स्कूल में किस मात्रा में खा रहा है और कब-कब खा रहा है। मैं इस बात का तो पता नहीं लगा सकती हूं। इसके अलावा मैं ने उसे ये भी समझाया है कि अपना ही लंच बाॅक्स खाए, दूसरे बच्चों का नहीं। वो ऐसा करती तो है, पर उसे ऐसे और बच्चों से अलग महसूस होता है। लेकिन मैं भी क्या कर सकती हूं। अपनी तरफ से पूरी कोशिश करती हूं।

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    Q-12.जब आपका बच्चा किसी बर्थडे पार्टी में जाना चाहता है, तो आप उसे कैसे समझाती हैं?

    बहुत समझाना पड़ता है कि बेटा वहां केक थोड़ा सा ही खाना। वैसे उसके केक का ज्यादा शौक नहीं है, पर जब दूसरे बच्चों को खाते हुए देखेगी तो उसे भी चाहिए होता है केक। अब आप ये भी जानते ही होंगे की बच्चे जंक ज्यादा पंसद करते हैं, इसिलए उनकी पार्टी में इस तरह के फूड ही ज्यादा होते हैं। तो भी उस हिबास से उ से मानसिक रूप से समझाना होता है। नहीं तो वहीं पर ही उसकी जिद्द शूरू हो जाती है। मैं साथ में उसके लिए कुछ न कुछ बनाकर लेकर साथ में जाती हूं। ऐसा नहीं है कि वहां उसे कुछ नहीं खाने देती हूं। वहां पर भी उसे कम ऑयली वाली चीजें खिलाती हूं।

    Q-13.जब बच्चे के इंसुलिन लेने की बात आती है, तो आप कैसे मैनेज करती हैं?

    नहीं, रिवी को अभी इंसुलिन की नौबत नहीं आई है। उसे डायबिटिक टाइपथ्-1 है और इसकी मेडिसिन उसे देती हूं।

    Q-14. जिन बच्चों को अभी-अभी डायबिटीज हुआ है, उनके पैरेंट्स को आप क्या मैसेज देना चाहती हैं?

    मैं उन्हें यही कहना चाहूंगी कि बच्चों का मन बहुत कोमल होता है और डायबिटिक लाइफ उनके लिए बहुत मश्किल होती है। उन्हें तो ये भी नहीं पता होता है कि उनके साथ हो क्या रहा है या वो किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। पैरेंट्स से यही कहना चाहूंगी कि डायबिटिक बच्चों की लाइफ को ईजी बनाने के लिए उन्हें खेल-खेल में ही उनकी हेल्थ के लिए क्या जरूरी है ये समझाएं। यदि वो इस बात को बचपन से ही दिल से स्वीकार कर लेंगे तो उन्हें आगे चलकर बूरा या समझौता जैसा महसूस नहीं होगा। इसके अलावा कोशिश करें कि उनकी सभी पसंद के खाने को घर पर हेल्दी वे से बनाकर देने की कोशिश करें। पैरेंट्स से यही कहना चाहूंगी कि डायबिटिक बच्चों की लाइफ को ईजी बनाने के लिए उन्हें खेल-खेल में ही उनकी हेल्थ के लिए क्या जरूरी है ये समझाएं। यदि वो इस बात को बचपन से ही दिल से स्वीकार कर लेंगे तो उन्हें आगे चलकर बूरा या समझौता जैसा महसूस नहीं होगा। इसके अलावा कोशिश करें कि उनकी सभी पसंद के खाने को घर पर हेल्दी वे से बनाकर देने की कोशिश करें।

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    Q-15. क्या आपको मालूम है कि डायबिटीज को पूरी तरह से रिवर्स किया जा सकता है?

    नहीं, मुझे इसकी जानकारी नहीं है।, जितना डॉक्टर बोलते हैं, बस मैं उतना ही करती हूं।

    इस सीरीज के इस इंटरव्यू में आपने जाना होगा कि बीमारी चाहें कोई भी हो, उससे निपटने के लिए आपके और बच्चे दोनों के मेंटल हेल्थ का अच्छा होना जरूरी है। इससे बीमारी कभी भी आप या उस पर हावी न होने दें। इसी के साथ ही आपने यह भी जाना होगा कि डायबिटीज के मरीज किस तरह से अपनी डायबिटिक लाइफ को असान बना सकते हैं। बच्चों में डायबिटीज होने के दौरान उनकी लाइफस्टाइल को लेकर काफी तरह की समस्याएं भी आती है। ले न बचपन से उन्हें आप उन्हें जो आदत डाल देंगे, फिर आपके लिए इतनी मुश्किल नहीं होगी। लकिन बड़े होने के बाद उसमें कोई आदत डालना और समझाना काफी मुश्किल होता है। इसलिए डायबिटिक बच्चों के साथ  पैरेंट्सका भरपूर साथ बहुत जरूरी है। 

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