क्या आपको पहले कभी टीबी हुआ है?
अगर हां, तो आपको सतर्क रहने की विशेष आवश्यकता है! क्योंकि ये दोबारा भी हो सकता है।
ट्यूबरक्यूलॉसिस यानि क्षय रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस ( Mycobacterium Tuberculosis) की वजह से होता है। किसी भी प्रभावित व्यक्ति के संपर्क में आने से ट्यूबरक्यूलॉसिस हो सकता है। टीबी दो प्रकार के होते हैं :
- छुपा हुआ टीबी (Latent Tuberculosis)
- सक्रिय टीबी (Active Tuberculosis )
ज्यादातर लोगों में ये बीमारी शुरुआती स्तर पर लेटेंट टीबी के रूप में होती है , धीरे – धीरे इम्यून सिस्टम के कमजोर होने पर लेटेंट ट्यूबरक्यूलॉसिस और अधिक सक्रिय हो सकती है। खासकर अगर आप कैंसर का इलाज करवा रहे हैं तो कीमोथेरेपी की वजह से भी ट्यूबरक्यूलॉसिस का खतरा बढ़ जाता है।
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इसके अलावा अगर आप ऐसे क्षेत्र में रहते हैं जहां पर संक्रमण की दर अधिक है तो भी आपको ये संक्रमण हो सकता है। पहली बार ट्यूबरक्यूलॉसिस (Tuberculosis) का सही तरीके से इलाज न होने पर ट्यूबरक्यूलॉसिस का संक्रमण दोबारा होता है। अगर पहली दफे ट्यूबरक्यूलॉसिस का इलाज सही ढंग से नहीं हुआ है तो माइकोबैक्टीरियम स्ट्रेन शरीर में रह जाते हैं और शरीर के कमजोर पड़ते ही ये सक्रिय होकर दोबारा ट्यूबरक्यूलॉसिस पैदा करते हैं।
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टीबी के दोबारा होने के क्या कारण हो सकते हैं?
शोध और कई मामलों को देखने के बाद भी डॉक्टर्स टीबी के दोबारा होने की वजह शरीर में पहले से रह जाने वाले माइकोबैक्टेरियम के स्ट्रेन ही हैं इसका पता नहीं लग पाएं हैं। कई डॉक्टर्स यह भी मानते हैं कि टीबी किसी बाहरी माइकोबैक्टेरियम स्ट्रेन की वजह से भी दोबारा हो सकता है।
अगर आपको पहले कभी टीबी हुआ है और अगर आपका इलाज सही ढंग से नहीं हुआ है या फिर आपने इलाज पूरा नहीं करवाया है उस स्थिति में क्षय रोग होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। इस स्थिति में टीबी फैलाने वाले बैक्टीरिया माइकोबैक्टेरियम शरीर में असक्रिय रूप से रह जाते हैं और आगे चलकर संक्रमण पैदा करते हैं।
इसके अलावा अगर आप HIV संक्रमित हैं तो आपका इम्यून सिस्टम कमजोर हो चुका है और टीबी के बैक्टीरिया आपको दोबारा बीमार कर सकते हैं।
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निम्नलिखित कारणों की वजह से ट्यूबरक्यूलॉसिस होने की संभावना बढ़ जाती है
- सही समय पर या फिर सही इलाज न मिलना।
- ट्यूबरक्यूलॉसिस के साथ ही या फिर पहली बार संक्रमण ठीक होने के बाद (HIV) ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वाइरस का संक्रमण होना
- शरीर में माइकोबैक्टेरियम ट्यूबरक्यूलॉसिस का दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना।
- सिलिका (Silica) के प्रभाव में आने पर भी ट्यूबरक्यूलॉसिस का खतरा बढ़ता है ।
विश्वसनीय सूत्रों की रिपोर्ट के आधार पर प्रति वर्ष टीबी के मामलों में गिरावट इस में देखी जा सकती है। ग्राफ की मदद से हमने प्रति वर्ष ट्यूबरक्यूलॉसिस के मामलों में आने वाली गिरावट को दिखाने की कोशिश की है। इस ग्राफ में आप देख सकते हैं कि शुरुआत सालों में गिरावट कम है लेकिन समय के साथ नई दवाइयों और तकनीकों के आने से ट्यूबरक्यूलॉसिस के मामलों में भारी गिरावट है।
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दोबारा टीबी न हो इसका ख्याल रखने के क्या तरीके हो सकते हैं ?
- एंटीबायोटिक लें। इससे संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है।
- HIV पॉजिटिव मरीज अपनी सेहत का खास ख्याल रखें। इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने वाला खाना खाएं ।
- डॉक्टर की दी हुई सारी सलाह मानें। और हर दवाई समय पर लें।
- कभी -भी इलाज को अधूरा न छोड़े इससे संक्रमण के बार -बार होने की आशंका बढ़ती है। साथ ही बैक्टीरिया दवाओं के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित कर लेते हैं जिसकी वजह से दोबारा दवाएं बैक्टीरिया पर असर नहीं डालेंगी।