परिभाषा
थायरॉइड ग्लैंड में असमान्य बढ़त को घेंघा रोग कहते हैं। घेंघा रोग में आपको गले में दर्द के साथ ही निगलने और सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
घेंघा रोग होना कितना आम है ?
इस रोग के होने की संभावना पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ज्यादा होती है। वैसे यह रोग पुरुषों-महिलाओं को हो सकता है। ये रोग किसी भी उम्र में हो सकता है लेकिन इसके कारणों पर नियंत्रण पाकर आप इससे होने वाली परेशानी और दर्द से थोड़ी राहत पा सकते हैं।
इस रोग से जुड़ी किसी भी और जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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लक्षण
घेंघा रोग के क्या लक्षण हो सकते हैं ?
घेंघा रोग के ये लक्षण हो सकते हैं :
आपके गले के निचले भाग में हल्की सूजन आ सकती है जो कि शेव करने पर या फिर मेकअप करने पर साफ दिखाई देगी।
- गले में जकड़न का एहसास होना।
- गले में खराश होना।
- सांस लेने में परेशानी होना।
- खाना निगलने में परेशानी होना।
किसी भी लक्षण के दिखने परअपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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अपने डॉक्टर से कब मिलें?
अगर आपको कोई लक्षण और संकेत दिखते हैं तो अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें। हर व्यक्ति का शरीर अलग परिस्थिति में अलग तरह का व्यवहार करता है इसलिए सही सलाह के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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कारण
घेंघा के क्या कारण हो सकते हैं ?
घेंघा होने का सबसे प्रमुख कारण आयोडीन की कमी है। थायरॉइड ग्रंथि को नियंत्रित करने वाले हॉर्मोन्स के लिए आयोडीन का होना बहुत जरूरी है। पत्तागोभी, ब्रॉक्ली या फिर गोभी जैसी सब्जियां खाने से घेंघा रोग बढ़ सकता है क्योंकि ये सब्जियां आयोडीन की मात्रा को कम करती हैं।
ग्रेव्स डिजीज
ग्रेव्स डिजीज में इम्यून सिस्टम ऐसी एंटीबॉडीज बनाता है जो कि थायरॉइड ग्लैंड को हानि पहुंचाने लगती हैं। इस स्थिति में बहुत ज्यादा थायरोक्सिन (Thyroxine) बनता है जिसकी वजह से थायरॉइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है।
हाशिमोटोडिजीज (Hashimoto’s Disease )
ये भी एक प्रकार का ऑटोइम्यून डिसऑर्डर (Autoimmune Disorder) ही है जिसमें थायरॉइड ग्रंथि बहुत कम हॉर्मोन पैदा करती है जिसकी वजह से पिट्यूटरी ग्रंथि (PituitaryGland) सक्रिय हो जाती है और थायरॉइड स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (TSH) निकालती है, जिसकी वजह से ग्रंथि में सूजन आ सकती है।
मल्टी नोड्युलर घेंघा
इस स्थिति मेंआपके थायरॉइड ग्रंथि के आस पास गांठ जैसी संरचना बन जाती है, जिससे ग्रंथि में सूजन आ सकती है।
सिंगल थायरॉइड नॉड्यूल
इस स्थिति में आपके थायरॉइड ग्रंथि के एक भाग में गांठ बन जाएगी लेकिन इससे कोई खास समस्या नहीं आएगी।
थायरॉइड कैंसर : इस वजह से घेंघा रोग होना आम है।
गर्भावस्था:
अगर आप मां बनने वाली हैं तो आपके शरीर में HCG की मात्रा बढ़ी हुई हो सकती है। इससे थायरॉइड ग्रंथि में सूजन आ सकती है।
जलन होना : थायरॉइडाइटिस में आपके गले में जलन रहेगी और हल्का दर्द हो सकता है, जिसकी वजह से थायरॉइड ग्रंथि मे सूजन आ सकती है। इसकी वजह से थायरॉक्सिन के बनने की मात्रा में भी बदलाव आ सकता है।
इन वजहों से बढ़ जाता है इस रोग का खतरा
घेंघारोग होने के खतरे किन वजहों से बढ़ सकते हैं?
घेंघा रोग को बढ़ावा इन कारणों से मिल सकता है :
- आयोडीन की कमी वाला भोजन करना।
- महिलाओं में थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं का होना आम है और इसलिए महिलाओं में घेंघा रोग होना आम है।
- बढ़ती उम्र के साथ भी घेंघा रोग होने की सम्भावना बढ़ सकती है।
- मेडिकल हिस्ट्री :अगर आपके परिवार में किसी को कभी ऑटोइम्यून रोग रहा है तो भी आपको ये रोग होसकता है।
- गर्भावस्था और पीरियड्स : प्रेगनेंसी के दौरान या फिर पीरियड्स रुकने के बाद भी थायरॉइड से जुड़ी परेशांनिया हो सकती हैं।
- इम्यूनसिस्टम को दबाने वाली दवाएं , एंटी –रेट्रोवायरल , हृदय रोग की दवाएं (कोर्डरोन (Cordarone), पैसरोन (Pacerone) ) या फिर मानसिक रोग की दवाएं
- (लिथोबोइड (Lithobid)) से आपके घेंघा रोग का खतरा बढ़ सकता है।
- गले या फिर सीने पर रेडिएशन जैसे कि न्यूक्लेअर रेडिएशन (Nuclear Radiation ) का प्रभाव आने से भी खतरा हो सकता है।
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जांच और इलाज
यहां दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा परामर्शका विकल्प नहीं है। सही जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
घेंघा रोग की जांच कैसे की जा सकती है?
आपके गले को छूकर और आपके खाने पीने में आ रही दिक्कतों को देखकर डॉक्टर आपकी परिस्थिति समझ सकते हैं।
हॉर्मोनटेस्ट : आपके खून की जांच करके थायरॉइड और पिट्यूटरी ग्रंथि से निकलने वाले हॉर्मोन का पता लगाया जा सकता है। अगर आपका थायरॉइड बहुत अधिक सक्रिय नहीं है तो थायरॉइड हॉर्मोन की कमी भी हो सकती है। इस स्थिति में पिट्यूटरी ग्रंथि थायरॉइड स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन (TSH) निकालेगी जिसकी वजह से सूजन आ सकती है।
इसके विपरीत भी एक स्थिति है जिसमें शरीर के अंदर थायरोक्सिन (Thyroxine) हॉर्मोन ज्यादा बनेगा और TSH की कमी रहेगीइस स्थिति में भी घेंघा रोग हो सकता है।
एंटीबाडीटेस्ट : असमान्य रूप से एंटीबाडी बनने से भी घेंघा रोग हो सकता है। आपकी जांच में खूनमें एंटीबाडीज पाए जाने सेभी घेंघा रोग की पुष्टि की जा सकती है।
छड़ी के जैसे दिखने वाले ट्रांसड्यूसर(Transducer) नाम के उपकरण कोआपके गले और पीठ पर फेर कर कंप्यूटरपर चित्र देखे जाते हैं। डॉक्टर इन चित्रों की मदद से ये पता लगा सकते हैं कि आपके गले में महसूस हो रही गांठ कितनी बड़ी है।
थायरॉइडस्कैन : इस प्रक्रिया में आपकी कुहनी की नस में रेडियोएक्टिव आइसोटोप डाला जाएगा। इसके बाद आपको स्कैन के लिए ले जाया जाएगा। स्कैन में कितना समय लगेगा ये रेडियोएक्टिव पदार्थ के थायरॉइड तक पहुंचने के समय परनिर्भर करता है।
ये प्रक्रिया आमतौर पर इस्तमाल की जाने वाली अल्ट्रासाउंड से ज्यादा समय लेती है और ज्यादा महंगी भी है।
बायोप्सीकी मदद से भी घेंघा रोग का पता लगाया जा सकता है।
घेंघा रोग का इलाज कैसे किया जा सकता है ?
इस रोग का इलाज इसकी प्रमुख वजह पर निर्भर करता है। आपका डॉक्टर इन तरीको से इलाज की सलाह दे सकता है-
हाइपोथायरायडिज्म : लेवोथरॉइड (Levothroid), सिन्थ्रोइड(Synthroid ) से इस स्थिति का इलाज किया जा सकता है। इन दवाओं की मदद से थायरॉइड स्टिम्यूलेटिंग हॉर्मोन की मात्रा को नियंत्रण में लाया जा सकता है, जिससे कि थायरॉइड ग्रंथि की सूजन को कम किया जा सकता है। थायरॉइड ग्रंथि की जलन को कम करने के लिए एस्प्रिन (aspirin) या फिर कॉर्टिकोस्टेरॉइड (Corticosteroid) का इस्तेमाल किया जा सकता है।
हॉर्मोन्स की मात्रा नियंत्रित रखने से आप हाइपोथायरायडिज्म पर नियंत्रण पा सकते हैं।
थायरॉइड ग्रंथि के एक हिस्से या फिर पूरी ग्रंथि को निकालने की सर्जरी को थायरॉइडेक्टमी (total or partial thyroidectomy) कहते हैं। इस सर्जरी से भी इलाज संभव है। सर्जरी के बाद थायरॉइड की समस्याओं को रोकने के लिए आपको लीवोथायरोक्सिन (levothyroxine) लेनी पड़ेगी।
रेडियोएक्टिव आयोडीन की मदद से भी इलाज किया जा सकता है। रेडियोएक्टिव आयोडीन को ओरली दिया जाएगा और यह खून में घुलकर थायरॉइड के इलाज में सहायक हो सकता है। इससे आपके थायरॉइड ग्रंथि की बढ़त भी नियंत्रित की जा सकती है।
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जीवनशैली में बदलाव और घरेलू नुस्खे
जीवनशैली में किन बदलावों और किन घरेलू नुस्खों की मदद से आप घेंघा की स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं :
अपने भोजन में आयोडीन को सही मात्रा में लें जिससे थायरॉइड ग्रंथि सही ढंग से काम कर सके।
आयोडीन के लिए आप इन चीजों को अपने खाने में ले सकते हैं :
- समुद्री खाना।
- सूशी
- श्रिम्प
- शेलफिश( Shellfish )
- गाय का दूध
- दही
सामान्य तौर पर डॉक्टर बताते हैं कि हर किसी को प्रतिदिन कम से कम 150 एमसीजी आयोडीन जरूर लेना चाहिए। गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है।
आयोडीन कम लें। बहुत अधिक आयोडीन लेने से भी घेंघा रोग हो सकता है। आयोडीन की समस्या ज्यादा होने पर समुद्री वीड, आयोडीन सप्लीमेंट और शेलफिश न खाएं।
किसी भी और सवाल या जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से जरूर मिलें।
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