के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
यह बीमारी तब होती है जब ज्यादा मात्रा में अत्याधिक ऊर्जा वाले रेडिएशन आपके शरीर से होते हुए आपके आंतरिक अंगों तक पहुंचता है। रेडिएशन सिकनेस को एक्यूट रेडिएशन सिंड्रोम भी कहते हैं। आपके शरीर द्वारा अवशोषित रेडिएशन की मात्रा और उसकी अवशोषित खुराक यह निर्धारित करती है कि आप कितने बीमार हो सकते हैं। आपको बता दें कि यह बीमारी आम इमेजिंग टेस्ट के कारण नहीं होती है जिसमें कम खुराक वाली रेडिएशन का इस्तेमाल होता है जैसे कि एक्स रे या सीटी स्कैन आदि।
हालांकि रेडिएशन से जुडी यह बीमारी बहुत ही गंभीर और खतरनाक होती है। आपको बता दें कि यह बीमारी एक प्रकार की रेयर बीमारी है। दूसरे विश्व युद्ध के समय जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु विस्फोट के बाद से इस बीमारी के सबसे अधिक मामले दर्ज हुए हैं। आज के समय में इस तरह की समस्या किसी कार्यस्थल में होने की संभावना हो सकती है। अगर कोई व्यक्ति ऐसी जगह रह रहा है या कार्य कर रहा है तो उसे रेडिएशन से खाततौर पर सावधानी रखने की आवश्यकता है।
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रेडिएशन सिकनेस के लक्षणों की गंभीरता इस बात पर निर्भर करती है कि आप कितना रेडिएशन अवशोषित कर सकते हैं। आप कितना रेडिएशन अवशोषित कर सकते हैं यह रेडिएशन ऊर्जा की ताकत या आपके और रेडिएशन स्रोत के बीच की दूरी पर निर्भर करता है। इस गंभीर बीमारी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं;
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर रेडिएशन अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से जरुर बात कर लें।
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रेडिएशन हम सभी के आसपास होता है। डोज के आधार पर रेडिएशन के असर का कम किया जा सकता है। वैसे तो रेडिएशन से सीधे तौर पर बचा नहीं जा सकता है, लेकिन इसके असर को किसी बैरियर की हेल्प से कम जरूर किया जा सकता है। रेडिएशन फैलने का कारण चाहे जो भी हो, लेकिन सावधानी अपनाकर रेडिएशन सिकनेस की समस्या से बचा जा सकता है।
रेडिएशन सिकनेस (Radiation sickness) के बारे में आपको जानना है तो पहले ये जान लें कि आखिर रेडिएशन क्या होता है ? रेडिएशन एटम यानी परमाणु से निकली हुई एनर्जी है जो या तो वेव या फिर छोटे पार्टिकल के रूप में रिलीज होती है। जब हाई डोज रेडिएशन शरीर पर पड़ता है तो ये शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम करता है। हाई डोज रेडिएशन इंसान को कई स्थानों में मिल सकता है। कुछ सोर्स जहां रेडिएशन एक्सपोजर का खतरा अधिक होता है, उनमें शामिल हैं
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रेडिएशन सिकनेस से लंबे या कम समय के लिए मेंटल हेल्थ प्रॉब्लम भी हो सकती है। रेडिएशन सिकनेस (Radiation sickness)के कारण भय, चिंता और दुख जैसी समस्याओं का एहसास भी हो सकता है। अगर किसी व्यक्ति के साथ ऐसी घटना घटी है तो उसे पल-पल समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे व्यक्तियों के दिमाग में कुछ ख्याल अक्सर आते हैं जैसे कि,
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रेडिएशन की वजह से आपके पेट, आंतें, ब्लड वेसेल्स और बोन मेरो (Bone Marrow) को नुकसान पहुंच सकता है। बोन मेरो के डैमेज होने से व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) की संख्या कम हो जाती है जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। इन इंफेक्शन को रोकने के लिए डॉक्टर ब्लड ट्रांसफ्यूजन कर सकता है या बोन मैरो के रिकवर होने के लिए दवाइयां दे सकता है। इससे जुडी और दूसरी समस्याओं जैसे जल जाना आदि के इलाज के लिए कुछ फ्लूइड दे सकता है। रेडिएशन सिकनेस से ठीक होने में दो साल तक का समय लग सकता है।
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रेडिएशन सिकनेस (Radiation sickness) से बचने के लिए आपको कई बातों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कई बार घर के आसपास भी ऐसी स्थिति बन सकती है जब रेडिएशन से आपको खतरा हो सकता है। अगर आपको टेलीविजन या रेडियो के माध्यम से रेडिएशन के बारे में सूचित किया जा रहा है तो तुरंत सावधानी बरतें और कुछ बातों का ध्यान रखें।
शेल्टर प्लेस में जाएं।
कुछ वस्तुओं जैसे कि टॉर्च, प्राथमिक चिकित्सा किट, जरूरी दवाओं, कपड़ों और थोड़ा सा खाने का सामान अपने साथ जरूर रख लें।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आप किसी ऐसे स्थान में काम करते हैं, जहां रेडिएशन का खतरा है तो इस बारे में डॉक्टर से जरूर बात करें। डॉक्टर आपको सावधानी के बारे में जानकारी दे सकता है। कोशिश करें कि ऐसे स्थानों में काम करने से बचें, जहां स्वास्थ्य को खतरा हो। अगर आपको फिर भी काम करना पड़ रहा है तो बिना सावधानी के ऐसे स्थान में न जाएं।
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