के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr Sharayu Maknikar
नॉन स्ट्रेस टेस्ट, जिसे भ्रूण की हृदय गति की निगरानी के लिए भी जाना जाता है, एक सामान्य जांच है जो प्रसव से पहले शिशु के स्वास्थ्य की जांच के लिए किया जाता है।
प्रेग्नेंसी के दौरान इस टेस्ट में शिशु की गति, हृदय गति और संकुचन को रिकॉर्ड किया जाता है। यदि आप प्रसव में हैं तो शिशु के संकुचन और आराम की मुद्रा से आगे बढ़ने के दौरान यह हृदय रिदम में बदलाव को नोटिस करता है। जब शिशु सक्रिय होता है तो उसका दिल तेजी से धड़कता है, बिल्कुल आपकी तरह। NST इस बात का आश्वासन दिलाता है कि बच्चा बिल्कुल स्वस्थ है और उसे पर्याप्त ऑक्सिजन मिल रहा है।
इसे नॉन स्ट्रेस टेस्ट कहा जाता है क्योंकि यह शिशु को परेशान नहीं करता। डॉक्टर दवाओं के जरिए बच्चे को मूव नहीं करता है, बल्कि NST में वही रिकॉर्ड होता है जो बच्चा अपने आप करता है।
डॉक्टर आपको नॉन स्ट्रेस टेस्ट की सलाह देगा यदि:
डॉक्टर आपको हफ्ते में एक या दो बार नॉन स्ट्रेस टेस्ट के लिए कह सकता है और कभी-कभी रोजाना भी। 28 हफ्ते के बाद बार-बार इस टेस्ट की सलाह दी जा सकती है जब तक टेस्ट की रीडिंग सही न हों। यह आपके और शिशु के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। उदाहरण के रूप में, यदि डॉक्टर को लगता है कि शिशु को पर्याप्त ऑक्सिजन नहीं मिल रहा है, तो वह आपको नियमित रूप से नॉन स्ट्रेस टेस्ट के लिए कहेगा। यदि आपके या शिशु के स्वास्थ्य में कोई बदलाव आता है तो आपको दूसरे नॉन स्ट्रेस टेस्ट की भी जरूरत होगी।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट नॉनइंवेसिट टेस्ट है जिसमें शिशु को कोई शारीरिक खतरा नहीं होता है। इसे नॉन स्ट्रेस इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस टेस्ट में भ्रूण पर किसी तरह का तनाव नहीं डाला जाता है।
वैसे तो नॉन स्ट्रेस टेस्ट बच्चे के स्वास्थ्य के संबंध में आश्वासन देता है, लेकिन यह एंग्जाइटी भी पैदा कर सकता है। साथ ही नॉन स्ट्रेस टेस्ट मौजूदा समस्या का पता लगा ले ऐसा जरूरी नहीं है, कई बार समस्या न होने पर भी यह उसे दिखता है, जिसके बाद आगे के परीक्षण करने होते हैं।
इस बात का ध्यान रकें कि आमतौर पर नॉन स्ट्रेस टेस्ट की सलाह उन महिलाओं को दी जाती है जिनकी प्रेग्नेंसी में जटिलता या समस्या होती है, यह साफतौर पर नहीं कहा जा सकता कि टेस्ट हमेशा मददगार ही होता है।
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नॉन स्ट्रेस टेस्ट के लिए किसी खास तैयारी की जरूरत नहीं होती है। इस परीक्षण से पहले आपका ब्लड प्रेशर मापा जाता है।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट के दौरान आपको रेकलिंग चेयर पर लेटना होगा और टेस्ट के दौरान नियमित अंतराल पर आपका बल्ड प्रेशर मापा जाता है।
आपके पेट पर दो बेल्ट बांधी जाती है। एक बेल्ट शिशु की हृदय गति रिकॉर्ड करती है और दूसरी आपके गर्भाशय में होने वाले संकुचन को रिकॉर्ड करती है। आपको कहा जाएगा कि जब शिशु चलता है तो ध्यान दें। डॉक्टर यह देखता है कि जब बच्चा चलता है तो क्या उसकी हृदय गति तेज हो जाती है।
आमतौर पर नॉन स्ट्रेस टेस्ट 20 मिनट में खत्म हो जाता है। हालांकि, आपका बच्चा यदि सक्रिय नहीं है या सो रहा है तो आपको टेस्ट में और 20 मिनट लग सकते हैं। सटीक परिणाम के लिए शिशु का सक्रिय होना जरूरी है। डॉक्टर हाथ से या आपके पेट पर आवाज करने वाला एक उपकरण रखकर बच्चे को उत्तेजित करने की कोशिश कर सकता है।
टेस्ट के बाद डॉक्टर तुरंत आपसे परिणाम पर चर्चा करेगा। नॉन स्ट्रेस टेस्ट के बारे में किसी तरह का संदेह होने और दी गई सलाह को अच्छी तरह समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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नॉन स्ट्रेस टेस्ट के परिणामों पर विचार किया जाता हैः
यदि परीक्षण अवधि बढ़ाकर 40 मिनट कर दी जाती है, लेकिन शिशु का नॉन स्ट्रेस टेस्ट परिणाम नॉन रिएक्टिव आता है और आप 39 हफ्ते की गर्भवती है यानी पूरा समय हो चुका है तो डॉक्टर डिलीवरी की सलाह देगा। लेकिन यदि आपका प्रेग्नेंसी का समय पूरा नहीं हुआ है, तो डॉक्टर शिशु के स्वास्थ्य की जांच के लिए दूसरे प्रसव पूर्व परीक्षण करेगा। उदाहरण के लिएः
नॉन स्ट्रेस टेस्ट के दौरान शायद ही कभी शिशु की हृदय गति के साथ किसी तरह की समस्या का पता चलता है जिसका आगे उपचार या निगरानी करने की आवश्यकता होती है।
नॉन स्ट्रेस टेस्ट परिणाम आपके और आपके बच्चे कि लिए क्या मायने रखते हैं यह अच्छी तरह समझने कि लिए परिणाम पर अपने डॉक्टर से चर्चा करें।
सभी लैब और अस्पताल के आधार पर नॉन स्ट्रेस टेस्ट की सामान्य सीमा अलग-अलग हो सकती है। परीक्षण परिणाम से जुड़े किसी भी सवाल के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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