बेसिक बातों को जानें
लेसिक आई सर्जरी या लेजर आई सर्जरी क्या है?
लेसिक आई सर्जरी यानी लेजर इन सीटू केराटोमीलेयसिस लोगों में फार साइटेडनेस, नियर साइटेडनेस और एस्टीग्माटिस्म के इलाज के लिए की जाती है। लेजर विजन करेक्शन सर्जरी कोर्निया (cornea) को दोबारा शेप में लाने के लिए होती है जिससे आने वाली रौशनी पीछे रेटिना पर सही से फोकस हो सके। इस सर्जरी को ज्यादातर देखने की समस्या को हल करने के लिए किया जाता है।
लेजर आई सर्जरी की जरुरत कब पड़ती है?
लेजर आई सर्जरी इनमें से किसी एक स्थिति में की जा सकती है :
- नियर साइटेडनेस (मायोपिया): जब आई बॉल्स नार्मल से ज्यादा बड़ी हो जाये या फिर कॉर्निया बहुत ज्यादा शार्प कर्व ले जिससे लाइट रेज रेटिना के सामने फोकस हो और दूर के विजन को धुंधला कर दे। तब आपको पास की चीजें साफ दिखेंगी लेकिन आप दूर का नहीं देख पाएंगे।
- फारसाइटेडनेस (हाइपरमायोपिया): जब आपकी आई बॉल्स जरूरत से ज्यादा छोटी हो जाए या फिर कॉर्निया बहुत ज्यादा फ्लैट हो जाये जिससे लाइट रेटिना पर न पड़के रेटिना के पीछे पड़ती है। इससे पास का और दूर का विजन बिगड़ जाता है।
जब कॉर्निया सिकुड़ जाये या फ्लैट हो जाये तब एस्टीग्माटिस्म हो जाता है। इससे पास और दूर का विजन बिगड़ जाता है।
और पढ़ें : डब्लूएचओ : एक बिलियन लोग हैं आंखों की समस्या से पीड़ित
बचाव
लेजर आई सर्जरी (Laser Eye Surgery) से पहले क्या जानना जरूरी है?
- 18 साल से कम उम्र के लोग लेजर आई सर्जरी (Laser Surgery) नहीं करवा सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेफ्रेक्टिवे खराबी 18 साल से पहले स्थिर नहीं होती। जो औरतें मां बनने वाली हैं या बनना चाहती हैं उन्हें लेजर सर्जरी आराम से सोच समझकर करवानी चाहिए।
लेजर आई सर्जरी की समस्याए और साइड इफेक्ट्स क्या है?
लेजर आई सर्जरी के बाद आपकी आंखों में खुजली या जलन की समस्या हो सकती है। आंखों से पानी भी आ सकता है। जिससे आपको धुंधला दिखाई दे सकता है। लेकिन थोड़ी देर बाद आपको साफ दिखाई देने लगेगा।
लेजर आई सर्जरी करवाने के जोखिम क्या हो सकते हैं?
लेजर आई सर्जरी करवाने के जोखिम निम्न हो सकते हैंः
सूखी हुई आंखें
लेजर आई सर्जरी की वजह से आपकी आंखों में आंसू आना कम हो जाएंगें। आपकी आंखें सूखी लगेंगी, डॉक्टर आपको आईड्रॉप्स देंगे जिससे आंखों में नमी बनी रहे। जैसे-जैसे आंखें ठीक होंगी आपकी आंखें और ज्यादा सूखा महसूस करेंगी। सूखी हुई आंखों से देखने में परेशानी हो सकती है। आंखों में बहुत ज्यादा परेशानी होने पर आप एक और प्रोसेजर करवाकर प्लग्स लगवा सकते हैं, जो आपके टेअर डक्ट को बंद कर देगा जिससे आंसू रुके रहेंगे और आंखें नम रहेंगी।
ग्लेर, हालोस या डबल विजन
सर्जरी के बाद आपको रात में देखने में परेशानी हो सकती है। ये कुछ हफ्तों तक हो सकता है। अगर आपके विजुअल रिजल्ट अच्छे हैं तब भी पहले के मुकाबले अब आपको धुंध या कोहरे में साफ दिखाई नहीं पड़ेगा।
दोबारा सर्जरी करवानी पड़ सकती है
अगर पहली सर्जरी की प्रक्रिया किसी कारण सफल नहीं होती है या टिशूज सही से नहीं निकलते हैं, तो ऐसी कंडीशन में आपको दोबारा भी लेजर आई सर्जरी करवानी पड़ सकती है।
इसके अलावा निम्न स्थितियों के भी जोखिम हो सकते हैंः
- बहुत ज्यादा टिशूज के निकल जाने को ओवेरकरेक्शन कहेंगे जिसे ठीक करना और भी ज्यादा मुश्किल हो सकता है।
- अनइवेन टिशूज के निकलने की स्थिति से एस्टीग्माटिस्म हो सकता है। इससे आपको ग्लासेज, लेंस या फिर एडिशनल सर्जरी का सहारा लेना पड़ सकता है।
- फ्लैप में परेशानी हो सकती है, जैसे बहुत फ्लैप के मुड़ने की वजह से बहुत ज्यादा आंसू आना।
- आंखों में इंफेक्शन की समस्या भी हो सकती है।
- पहले के मुकाबले और भी कम दिखाई देने की समस्या भी हो सकती है।
लेजर आई सर्जरी को करवाने से पहले इससे बचाव, साइड इफेक्ट्स और इससे जुड़े जोखिम की जानकारी के लिए आपको अपने सर्जन और डॉक्टर से बात करना चाहिए।
और पढ़ें : स्मार्टफोन ऐप से पता चलेंगे बच्चों की आंख में कैंसर के लक्षण
प्रक्रिया
लेजर सर्जरी की तैयारी कैसे करें?
- डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री के हिसाब से आंखों की जांच करेंगें। एक्सामिन करते समय विजन, इंफेक्शन, इन्फ्लममशन, प्यूपिल साइज, आंखों में सूखापन, आंखों में प्रेशर और आंखों का पूरा चेकअप किया जाएगा। कॉर्निया, शेप और मोटाई के साथ शार्पनेस, इर्रेगुलरिटी की भी जांच करेंगे, जिससे पता लगाया जा सके की आपको इस सर्जरी की आवश्यकता है या नहीं।
- कॉर्निया के किस हिस्से को रीशेप करना है, ये पता लगाने के लिए डॉक्टर्स वावफ्रॉण्ट गाइडेड टेक्नोलॉजी की मदद ले सकते हैं। इस तकनीक में आंखों का टोपोग्राफिक मैप तैयार किया जाता है। स्कैनर पूरी आंख का डिटेल्ड चार्ट बनाते हैं। चार्ट और मेजरमेंट जीतने सटीक होंगे सर्जरी उतने अच्छे से की जा सकती है। इसलिए, हमेशा अनुभवी सर्जन से ही आंखों की सर्जरी कराने का विचार करें।
- लेंस आपके कॉर्निया शेप को बदल सकते हैं, इसलिए सर्जरी से पहले कुछ हफ्ते चश्मा पहने की आवश्यकता हो सकती है। इस केस में आपको डॉक्टर स्पेसिफिक गाइडलाइन्स दे सकते हैं।
- सर्जरी से पहले डॉक्टर आपको इसके फायदे और नुकसान भी बता सकते हैं।
सर्जरी के पहले ये तैयारियां कर सकते हैं:
- सर्जरी में कितना खर्च आएगा इसका पता लगा लें। ये सर्जरी एक इलेक्टिव सर्जरी है इसीलिए इन्शोरेंस कम्पनीज सर्जरी के खर्च को स्पांसर नहीं करेंगी।
- घर जाने के लिए किसी को पहले से बता दें क्योकि आपको धुंधला दिखाई देगा और आप गाड़ी नहीं ड्राइव कर पाएंगें।
- सर्जरी के पहले या बाद में आंखों पर किसी तरह का मेकअप न लगाएं। आई मेकअप, क्रीम या इत्र का इस्तेमाल कम करें। सर्जरी से पहले डॉक्टर आपको आईलैशेज को साफ रखने के लिए कहेंगे, ताकि इंफेक्शन का खतरा कम से कम हो।
और पढ़ें : आंखों के लिए बेस्ट हैं योगासन, फायदे जानकर हैरान रह जाएंगे
सर्जरी के समय क्या होता है?
- सर्जरी लगभग 30 मिनट में हो जाती है।
- आपको रेक्लिनिंग चेयर पे बैठा दिया जाएगा और आंखों को खोले रखने के लिए इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल किया जाएगा।
- आपको रिलैक्स करने के लिए डॉक्टर दवा भी सकते हैं।
- कॉर्नियल फ्लैप काटने से पहले आंखों के ऊपर एक रिंग रखी जाती है जिससे प्रेशर लग सकता है। इससे आंखों की रोशनी भी कम हो सकती है।
- छोटे ब्लेड से फ्लैप को अलग किया जाता है जिससे कॉर्निया का वो भाग जिसे रीशेप करना है देखा जा सके।
- प्रोग्राम्ड लेजर से कॉर्निया रीशेप किया जाता है। लेजर पल्स से टिशूज को निकाला जाता है। इसके बाद सर्जरी के बाद फ्लैप वापस अपनी जगह लगा दिया जाता है। फ्लैप बिना स्टीचेस के भी हील हो जाता है।
- सर्जरी के समय आपको एक लाइट को देखते रहने के लिए कहा जाएगा जिससे आंखें हिले न। सर्जरी के समय आपको जलते हुए बालों के जैसी महक आ सकती है।
- दोनों आंखों की सर्जरी एक दिन में की जा सकती है।
लेजर आई सर्जरी के बाद क्या होता है?
ज्यादातर लोगो में लेजर आई सर्जरी के बाद साफ दिखने लगता है, लेकिन बहुत से लोगों को साफ दिखाई देने में तीन से छह महीने तक का समय भी लग सकता है। कभी-कभी आपको लेंसेस और ग्लासेज भी पहनने पड़ सकते हैं। ये तब होगा जब सर्जरी में ओवर या अंडर करेक्शन हो गया हो।
कुछ लोगों को लेजर आई सर्जरी दोबारा भी करवानी पड़ जाती है। इससे उनके दूर देखने की क्षमता बढ़ सकती है, लेकिन ग्लेर, हैलोस और रात में न दिखने की परेशानी बनी रह सकती है। अगर किसी को इस तरह की समस्या होती है, तो सामान्यतौर पर सर्जरी होने के लगभग छह महीने बाद यह ठीक हो जानी चाहिए। लेकिन, फिर भी कुछ पेशेंट्स में ग्लेर की समस्या से परेशान बनी रह सकती है।
अगर लेजर आई सर्जरी से आपके दूर देखने की पावर बढ़ी है, तो भी आपको 45 की उम्र में पढ़ने के लिए चश्मा पहनना पड़ सकता है।
इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं।
और पढ़ें : आंखों में खुजली/जलन (Eye Irritation) कम करने के घरेलू उपाय
[mc4wp_form id=’183492″]
रिकवरी
लेजर आई सर्जरी के बाद आप क्या करें?
- लेजर आई सर्जरी में आपको दर्द कम करने के लिए दवा और ड्रॉप्स दिए जाएंगे। जब तक घाव ठीक नहीं हो जाता तब तक आखो पर शील्ड रखने के लिए भी बोला जाएगा।
- आपको लेजर आई सर्जरी के तुरंत बाद साफ नहीं दिखेगा। धीरे-धीरे तीन से छह महीने में आप साफ देख सकेंगे। काफी हद तक आपकी आंखों की रोशनी आपके पहले के विजन पर निर्भर कर सकती है।
- लेजर आई सर्जरी के बाद भी डॉक्टर आपको बुलाएंगे और कॉम्प्लीकेशन्स के लिए चेक करेंगे। कोई परेशानी दिखने पर आगे के इलाज की सलाह भी दे सकते हैं।
- पहले छह महीने आपको डॉक्टर के सारे इंस्ट्रक्शंस मानने पड़ेंगे।
- लेजर आई सर्जरी के बाद आंखों के आसपास कॉस्मेटिक लगाने के लिए एक से दो हफ्ते रुकना पड़ सकता है। स्ट्रेनेस स्पोर्ट्स, हॉट टब बाथ, स्विमिंग के लिए आपको आपने डॉक्टर की परामर्श लेनी चाहिए।
- अपने डॉक्टर की निगरानी और सलाह के बाद ही आपको नार्मल एक्टिविटीज दोबारा शुरू करनी चाहिए।
[embed-health-tool-bmi]