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विप्पल प्रोसीजर को पैंक्रिएटिकोडिओडेनेक्टॉमी (pancreaticoduodenectomy) भी कहते हैं। यह एक जटिल ऑपरेशन है। जिसमे पैंक्रियाज (अग्न्याशय) के शुरुआती हिस्से (अग्र भाग), डिओडेनम (duodenum), गॉलब्लेडर (gallbladder) और बाइल डक्ट (bile duct/पित्त नली) को हटाया जाता है।
विप्पल प्रोसीजर से पैंक्रियाज, डिओडेनम और बाइल डक्ट में ट्यूमर और अन्य डिसऑर्डर को ठीक करने के लिए किया जाता है। यह पैंक्रियाज में हुए कैंसर के इलाज के लिए सबसे जरूरी सर्जरी है। सर्जरी के बाद डॉक्टर पैंक्रियाज को स्मॉल इंटेस्टाइन को जोड़ देते हैं।
जिससे खाने को सही तरह से डायजेस्ट किया जा सके।
पैंक्रियाज के कैंसर का इलाज विप्पल प्रोसीजर से ही किया जाता है, जिसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। लेकिन, कैंसर पीड़ित के लिए यह सर्जरी फिर से एक नया जीवन मिलने जैसा है।
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जब किसी व्यक्ति के पैंक्रियाज, डिओडेनम, गॉलब्लेडर और बाइल डक्ट में कैंसर की शुरुआत या कोई डिसऑर्डर की समस्या होती है, तो विप्पल प्रोसीजर की आवश्यकता होती है। पैंक्रियाज मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो पेट के पीछे, ऊपरी पेट में मौजूद होता है। यह लिवर और डक्ट के साथ मिलकर काम करता है। पैंक्रियाज ऐसे एंजाइम को सिक्रीट करता है, जो खाने में मौजूद फैट और प्रोटीन को डाइजेस्ट करने में मदद करता है। पैंक्रियाज से ऐसे एंजाइम का भी सिक्रीशन होता है, जो ब्लड में मौजूद शुगर लेवल को भी बैलेंस करने में मदद करता है।
डॉक्टर बीमारी की गंभीरता को समझते हुए विप्पल प्रोसीजर से इलाज करते हैं:
ट्यूमर या डिसऑर्डर जो पैंक्रियाज, डिओडेनम, गॉलब्लेडर और बाइल डक्ट में हो सकते हैं
विप्पल प्रोसीजर से वैसे ट्यूमर का इलाज किया जाता है जो कैंसरस होते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार विप्पल प्रोसीजर ही एक मात्र उपाए है पैंक्रियाज में मौजूद कैंसरस ट्यूमर को ठीक करने के लिए।
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विप्पल प्रोसीजर हर किसी पर नहीं किया जा सकता है। इससे सिर्फ 20% ही पैंक्रिएटिक कैंसर पेशेंट का इलाज किया जा सकता है। कई बार ऐसा भी होता है कि ट्यूमर (ट्यूमर/कैंसरस ट्यूमर) सिर्फ पैंक्रियाज के शुरुआती भाग में हो और इससे ब्लड वेसेल्स, लिवर, लंग्स या दूसरे बॉडी पार्ट प्रभावित नहीं हों। जांच से बीमारी की गंभीरता का पता लगाया जा सकता है।
कुछ पेशेंट को मिनिमली इनवेसिव (लेप्रोस्कोपिक) विप्पल प्रोसीजर की मदद से ठीक किया जा सकता है। लेप्रोस्कोपिक विप्पल प्रोसीजर की तुलना में काफी छोटा ऑपरेशन माना जाता है। अगर डॉक्टर लेप्रोस्कोपिक की सलाह देते हैं, तो पेशेंट को ज्यादा दिनों तक अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं होती है और मरीज जल्दी ठीक भी जाते हैं।
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विप्पल प्रोसीजर एक कठिन ऑपरेशन माना जाता है। इससे ऑपरेशन के दौरान और ऑपरेशन के बाद भी खतरा बना रहता है।
इन परेशानियों में शामिल है:
बेहतर होगा की विप्पल प्रोसीजर से पहले डॉक्टर से ठीक तरह से समझ लें, जिससे साइड इफेक्ट से बचा जा सकता है। डॉक्टर को यह भी बताएं की आपको किन-किन चीजों से परेशानी होती है।
ऑपरेशन से एक दिन पहले खाना और पानी कम पिएं और डॉक्टर से जरूर समझ लें की आपको क्या-क्या करना है या क्या नहीं करना चाहिए।
सर्जरी के दिन अस्पताल के रजिस्ट्रेशन डेस्क पर आपसे आपकी सेहत से जुड़ी कुछ जानकारी ली जाएगी। नर्स पेशेंट से उनका नाम, डेट ऑफ बर्थ पूछेंगी और आपको ऑपरेशन से जुड़ी जानकारी देंगी। सर्जरी से पहले पेशेंट के हाथ (इंट्रावेनस) में कुछ दवाएं दी जाती हैं। अगर पेशेंट ऑपरेशन की वजह से डरें हुए हैं, तो आराम करने के लिए भी दवा दी जा सकती है।
एपिड्यूरल कैथेटर या स्पाइन (रीढ़) में इंजेक्शन देकर एब्डॉमिनल वॉल को ब्लॉक किया जाता है। इससे दर्द और परेशानी कम हो सकती है।
विप्पल प्रोसीजर के एक्सपर्ट्स पेशेंट की हालत पर नजर बनाए रखते हैं। पेशेंट में तनाव को कम करने, रिलैक्स और नींद आने के लिए समय-समय पर दवा दी जाती है। इस दौरान पेशेंट को एनेस्थीसिया दी जाती है।
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जब पेशेंट दी गई दवाइयों की वजह सोजाते हैं तो मॉनिटरिंग डिवाइस की मदद से पेशेंट की स्थिति पर ध्यान रखा जाता है। यूरिन के लिए यूरिनरी कैथेटर ब्लैडर से जोड़ दी जाती है। ऑपरेशन के एक से दो दिनों बाद यूरिनरी कैथेटर को हटा दिया जाता है।
सर्जरी 4 घंटे से 12 तक चल सकती है और यह बीमारी पर भी निर्भर करता है की पेशेंट की स्थिति कैसी है।
पैंक्रियाज, डिओडेनम, गॉलब्लेडर और बाइल डक्ट से ऑपरेशन के दौरान कैंसरस ट्यूमर के हटा दिया जाता है। अगर पैंक्रियाज में और भी कोई बीमारी है तो उसका इलाज भी किया जाता है। ऑपरेशन के बाद पैंक्रियाज, पेट और इंटेस्टाइन को एक साथ जोड़ देते हैं, जिससे खाना आसानी से डाइजेस्ट हो सके।
सर्जरी के बाद पेशेंट को जेनरल वॉर्ड में शिफ्ट किया जाता है। वैसे पेशेंट की स्थिति पर भी निर्भर करता है की वो सर्जरी के बाद कैसा महसूस कर रहे हैं। जरूरत पड़ने पर पेशेंट को आईसीयू (ICU) में भी शिफ्ट किया जा सकता है। ऑपरेशन के बाद विप्पल प्रोसीजर एक्सपर्ट्स पेशेंट पर नजर बनाएं रखते हैं। इस दौरान डॉक्टर इंफेक्शन न हो इसपर भी विशेष ध्यान रखते हैं। पेशेंट की डाइट भी स्थिति पर निर्भर करती है। ऑपरेशन के बाद मरीज को धीरे-धीरे चलने सलाह भी दी जाती है। मरीज की स्थिति को देखते हुए अस्पताल में रहने की सलाह दी जाती है।
ऑपरेशन के बाद अगर मरीज की स्थिति बिगड़ती है, तो इंटेंसिव केयर यूनिट (ICU) में रखा जा सकता है। इस दौरान भी एक्सपर्ट की टीम मरीज का पूरा ध्यान रखती है।
मरीज की स्थिति को समझते हुए उन्हें अस्पताल छुट्टी दी जाती है। लेकिन, उन्हें कुछ दिनों के लिए उसी शहर में रहने में रहने की सलाह दी जाती है।
अगर पेशेंट को सेहत से जुड़ी कोई परेशानी है, तो डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए।
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ऑपरेशन के बाद पेट से आवाज (बॉवेल पेरिस्टलसिस ) नहीं आती है। ठीक होने के दौरान मरीज को साथ ज्यादा खाना खाने की बजाए थोड़ा-थोड़ा और कुछ-कुछ देर में खाते रहें। ऑपरेशन के बाद ज्यादा वसा वाले आहार का सेवन न करें। पौष्टिक आहार और तरल पदार्थों का सेवन करें। 6 सप्ताह तक वैसे एक्टिविटी में शामिल न हों जिनमें ज्यादा मेहनत लगती हो। उसके बाद अपनी सेहत की स्थिति को समझते हुए आप अपने काम पर लौट सकते हैं। लेकिन, अगर मरीज को इंफेक्शन, दर्द, घाव या बुखार होता है, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें।
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