स्ट्रोक तब आता है जब ब्रेन में ब्लीडिंग होती है या ब्रेन में ब्लड फ्लो ब्लॉक हो जाता है। आवश्यक पोषक तत्वों से वंचित होने के कुछ ही मिनटों में, मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं। ऐसे में तुरंत इमरजेंसी हेल्प की जरूरत होती है। जितनी जल्दी ट्रीटमेंट मिलता है डैमेज होने के चांसेज उतने कम हो जाते हैं। किसी को स्ट्रोक आने पर उसकी मदद करने या स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड देने के लिए जरूरी है इसके वॉर्निंग साइन के बारे में जानकारी होना। जो निम्न प्रकार हैं।
- चेहरे एक तरफ लटकना
- हाथ उठाने में सक्षम ना होना
- मरीज का बोलने में असमर्थ होना या हकलाना
- बॉडी के तरफ कमजोरी या सुन्न होने का एहसास होना जिसमें पैर भी शामिल हैं
- किसी एक आंख से धुंधला दिखाई देना
- बिना किसी कारण के चक्कर आना या अचानक गिर जाना
अगर किसी में ये लक्षण दिखाई दें तो तुरंत इमरजेंसी हेल्प लेना चाहिए।
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स्ट्रोक किन कारणों से होता है? (Causes of stroke)
स्ट्रोक के लिए फर्स्ट ट्रीटमेंट के बारे में जानने से पहले समझते लेते हैं कि स्ट्रोक किन कारणों से होता है। स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बाधित होती है या जब मस्तिष्क में रक्तस्राव होता है।
- इस्केमिक स्ट्रोक (ischemic stroke) तब होता है जब मस्तिष्क की धमनियां रक्त के थक्के द्वारा अवरुद्ध हो जाती हैं। कई इस्केमिक स्ट्रोक धमनियों में प्लाक के निर्माण के कारण होते हैं। यदि मस्तिष्क में धमनी के भीतर एक थक्का बनता है, तो इसे थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक (thrombotic stroke) कहा जाता है। थक्के शरीर में कहीं और बनते हैं और मस्तिष्क तक पहुंचते हैं, वे इम्बोलिक स्ट्रोक (embolic stroke) का कारण बनते हैं।
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- रक्तस्रावी स्ट्रोक (hemorrhagic stroke) तब होता है जब मस्तिष्क में एक रक्त वाहिका फट जाती है और उसमें से रक्त बहने लगता है।
- ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक (transient ischemic attack (TIA) या मिनिस्ट्रोक, के लक्षणों से पहचानना मुश्किल हो सकता है। यह एक त्वरित घटना है। लक्षण 24 घंटों के भीतर पूरी तरह से चले जाते हैं और अक्सर पांच मिनट से कम समय तक रहते हैं। टीआईए मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह के अस्थायी अवरोध के कारण होता है। यह इसका संकेत है कि अधिक गंभीर स्ट्रोक आ सकता है।
स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड ट्रीटमेंट (Fist aid treatment for stroke)
सबसे पहले करें डॉक्टर को कॉल
स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड ट्रीटमेंट (First aid treatment for stroke) में सबसे पहले ऊपर बताए किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर डॉक्टर की मदद लें। कई बार स्ट्रोक के लक्षणों को एक सामान्य व्यक्ति के लिए समझना मुश्किल हो सकता है। इसलिए अगर आपको खुद में या किसी दूसरे में कुछ भी असामान्य लक्षण नजर आते हैं तो इमरजेंसी मदद लेना सबसे सही होगा ताकि सीवियर डैमेज को रोका जा सके।
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स्ट्रोक के लक्षण (Symptoms of stroke) कब दिखाई दिए थे समय को करें नोट
स्ट्रोक के मरीज को क्लॉट बस्टिंग मेडिकेशन देते हैं। ये लक्षणों को सुधारने और रोकने में मदद करता है, लेकिन ये दवा लक्षणों के शुरू होने के 4 घंटे के आसपास दी जाती है। इसके अलावा भी मरीज को कई एडवांस्ड थेरिपीज दी जाती हैं। स्ट्रोक का कारण बनने वाले क्लॉट को सर्जरी के द्वारा हटा दिया जाता है। इस्केमिक स्ट्रोक के लिए दिया जाने वाला सर्जरी ट्रीटमेंट लक्षण दिखने के 24 घंटे के अंदर दिया जाता है। इसलिए अगर आप किसी व्यक्ति में स्ट्रोक के लक्षणों को देखते हैं तो उस समय को जरूर नोट कर लें। ताकि उसे उचित ट्रीटमेंट दिया जा सके। यह भी स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड टीट्रमेंट का जरूरी हिस्सा है।
स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड में सीपीआर (CPR) का उपयोग करें
ज्यादातर स्ट्रोक के पेशेंट को सीपीआर देने की जरूरत नहीं पड़ती हैं, लेकिन आपका दोस्त या करीबी अनकॉन्शियस हो रहा है तो उसकी पल्स और हार्ट बीट चेक करें। अगर यह बेहद कम या ना के बराबर है तो सीपीआर देना शुरू करें। जिसमें सीने को पंप करना, माउथ टू माउथ सांस देना शामिल है। सीपीआर कैसे देना है ये आप किसी डॉक्टर या एक्सपर्ट से पूछ सकते हैं। इसका सही टेक्नीक को अपनना जरूरी होता है।
स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड ट्रीटमेंट के दौरान इन बातों का भी रखें ख्याल
ऊपर बताए गए स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड टिप्स को अपनाने के बाद जब तक आप मेडिकल हेल्प का इंतजार कर रहे हैं तब तक निम्न बातों का भी ध्यान रखें।
- मरीज को लेटने के लिए कहें और उसके सिर और कंधे को तकिए से सपोर्ट दें
- उसे सामान्य तापमान में रखें
- टाइट कपड़ों को लूज कर दें
- माउथ से होने वाले सिक्रीशन को पोंछते रहें
- एयरवे क्लीन और ओपन है इस बात का ध्यान रखें
- उन्हें कुछ भी खाने या पीने के लिए ना दें
- उन्हें किसी तरह की कोई भी दवा ना दें
- उन्हें सोने या बात करने ना दें
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स्ट्रोक के बाद रिकवरी होने में कितना समय लगता है? (How long does it take to recover after a stroke?)
स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड और ट्रीटमेंट के बाद स्ट्रोक की रिकवरी प्रॉसेस में लगने वाला समय कई बातों पर निर्भर करता है। जिसमें मरीज को ट्रीटमेंट कितनी जल्दी मिला है और मरीज के साथ कोई और मेडिकल कंडिशन तो नहीं है शामिल है। रिकवरी की पहली स्टेज को एक्यूट केयर कहा जाता है जो हॉस्पिटल में होती है। इस स्टेज के दौरान मरीज की कंडिशन को एसेस्ड, स्टेबलाइज्ड और ट्रीट किया जाता है। स्ट्रोक का सामना करने वाले लोगों को एक हफ्ता या उससे ज्यादा समय तक रुकना होता है।
स्ट्रोक रिकवरी की दूसरी स्टेज पर रिहेबिलेशन (Rehabilitation) किया जाता है। जिसमें निम्न फैक्टर शामिल होते हैं।
- मोटर स्किल्स को बढ़ावा देना
- मोबिलिटी को इम्प्रूव करना
- मसल्स टेंशन के लिए थेरिपीज का उपयोग करना
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स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर्स (risk factors for stroke) कौन से हैं?
निम्न सभी स्ट्रोक के रिस्क को बढ़ा देते हैं। उम्र के बढ़ने पर भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ता जाता है।
- पहले कभी स्ट्रोक आया हो
- स्मोकिंग की लत (smoking)
- डायबिटीज (diabetes)
- हार्ट डिजीज (Heart disease )
इस तरह आप स्ट्रोक आने पर या अपनी या किसी दूसरे की मदद कर सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और स्ट्रोक के लिए फर्स्ट एड से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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