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मस्तिष्क में जब रक्त की आपूर्ति ठीक तरह से नहीं हो पाती तो मस्तिष्क की कोशिकाएं मरने लगती हैं और स्ट्रोक आता है, लेकिन यह समस्या जब कुछ समय के लिए ही हो, तो उसे मिनी स्ट्रोक कहा जाता है, हालांकि इस हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह भविष्य में ब्रेन स्ट्रोक के लिए खतरे की घंटी है। मिनी स्ट्रोक क्या है और इसे लेकर आपको कितना सतर्क होने की जरूरत है जानिए इस आर्टिकल में।
मिनी स्ट्रोक को ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (TIA) भी कहा जाता है। यह तब होता है जब मस्तिष्क के एक हिस्से में रक्त प्रवाह कम हो जाता है जिसकी वजह से स्ट्रोक जैसे लक्षण दिखते हैं, लेकिन यह 24 घंटों के अंदर सामान्य हो जाता है। मिनी स्ट्रोक स्ट्रोक जैसा ही बस फर्क सिर्फ इतना है कि यह कुछ मिनट के लिए होता है और इससे कोई स्थाई क्षति नहीं पहुंचती है। आमतौर पर ब्लड क्लॉट जो कुछ समय के लिए बनता है, के कारण जब मस्तिष्क में पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई नहीं होती है, तो ऐसा होता है। जब ब्लड क्लॉट टूटकर हट जाते हैं, तो स्थिति सामान्य हो जाती है।
फिर भी मिनी स्ट्रोक को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह भविष्य में आने वाले स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। मिनी स्ट्रोक के लक्षण पता होने पर आप जल्द इसका उपचार करवा सकते हैं। मिनी स्ट्रोक से पीड़ित 3 में से 1 व्यक्ति को आगे चलकर स्ट्रोक होता है, इसलिए उपचार बहुत जरूरी है।
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मस्तिष्क में पर्याप्त ऑक्सीजन सप्लाई न होने पर ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक या मिनी स्ट्रोक होता है। इसके अन्य कारणों में शामिल हैः
ब्लड सप्लाई में बाधा- मस्तिष्क में दो रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त पहुंचता है। जब छोटी रक्त वाहिका किसी कारण से ब्लॉक हो जाती है तो मस्तिष्क के कुछ हिस्सो में ऑक्सीजन से भरपूर रक्त नहीं पहुंच पाता है, जिससे मिनी स्ट्रोक होता है।
ब्लड क्लॉट- ब्लड क्लॉट भी मस्तिष्क के कुछ हिस्सो में रक्त प्रवाह को बाधित करता है। ब्लड क्लॉट आमतौर पर इन कारणों से बनते हैं-
एम्बोलिज्म शरीर के किसी एक हिस्से का ब्लड क्लॉट होता है, जो अपनी जगह से हिलकर मस्तिष्क को ब्लड सप्लाई करने वाली किसी एक धमनी में पहुंचकर रक्त की आपूर्ति को बाधित करता है।
हेमरेज (इंटरनल ब्लीडिंग)- माइनर हेमरेज (मस्तिष्क में थोड़ा रक्तस्राव होना) से भी मिनी स्ट्रोक हो सकता है, हालांकि ऐसा दुलर्भ मामलों में होता है।
मिनी स्ट्रोक की पहचान कर पाना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन कुछ लक्षणों के आधार पर इसका पता लगाया जा सकता है। मिनी स्ट्रोक के सामान्य लक्षणों में शामिल हैः
डिस्पैसिया होने या एक आंख से दिखाई नहीं देने की स्थिति में तुरंत आपको इमरजेंसी मेडिकल हेल्प की जरूरत है।
मिनी स्ट्रोक के लक्षण आमतौर पर एक मिनट तक रह सकते हैं, लेकिन इसकी परिभाषा के मुताबिक यह 24 घंटे से कम समय के लिए रहता है। अक्सर डॉक्टर के पास पहुंचने से पहले ही लक्षण समाप्त हो जाते हैं। जांच के दौरान डॉक्टर को आपके लक्षण नजर नहीं आते हैं, ऐसे में आपको खुद ही अपने लक्षणों के बारे उन्हें बताना होगा जो पहले थे, लेकिन अब नहीं हैं।
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मिनी स्ट्रोक से भले ही स्थायी क्षति नहीं होती, फिर भी इसका इलाज जरूरी है। चूकि इसके लक्षण स्ट्रोक की तरह ही होते हैं, इसलिए मिनी स्ट्रोक और स्ट्रोक के अंतर को समझन के लिए डॉक्टर से परामर्श जरूरी है। मिनी स्ट्रोक आने वाले समय में स्ट्रोक के खतरे का संकेत हो सकता है। इसलिए मिनी स्ट्रोक के लक्षण दिखने पर डॉक्टर के पास जाएं, क्योंकि सीटी स्कैन याह MRI स्कैन की मदद से वही मिनी स्ट्रोक और स्ट्रोक के लक्षण में अतर कर पाएगा।
मिनी स्ट्रोक या स्ट्रोक के कारणों का मूल्यांकन करने के लिए डॉक्टर अल्ट्रासाउंड की सलाह दे सकता है ताकि रक्त वाहिका में किसी तरह की रुकावट का पता चल सकते। हृद्य में किसी तरह का ब्लड क्लॉट तो नहीं है इसकी जांच के लिए इकोकार्डियोग्राम भी किया जाता है। डॉक्टर ECG और छाती का एक्स-रे भी कर सकता है।
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मिटी स्ट्रोक या ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक का उपचार इसके कारणों पर निर्भर करता है। डॉक्टर ब्लड क्लॉट की संभावना को कम करने के लिए दवा दे सकता है या सर्जरी की सलाह दे सकता है।
दवाएं- दवा भी मिनी स्ट्रोक के कारण, मस्तिष्क का कौन सा हिस्सा प्रभावित हुआ है और उसकी गंभीरता पर निर्भर करती है।
एंटी प्लेटलेट दवा- यह दवा रक्त में प्लेटलेट्स को आपस में चिपकर ब्लड क्लॉट बनाने से रोकती है। इन दवाओं में शामिल है- एस्पिरिन और डिपाइरिडामोल, क्लोपीडोगरेल।
एंटीकोगुलैंट्स- यहा दवा कई अन्य दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकती है। इसलिए आप यदि किसी भी तरह की दवा या सप्लीमेंट्स ले रहे हैं तो उसके बारे में डॉक्टर को बताएं। वारफेरिन (कौमडिन) और हेपरिन एंटीकोगुलैंट्स दवाओं में शामिल हैं।
हाइपरटेंशन की दवा- ब्लड प्रेशर के लिए कई तरह की दवाएं उपलब्ध है। हालांकि यदि कोई व्यक्ति ओवरवेट है तो एक्सराइज, पर्याप्त नींद और बैलेंस डायट के जरिए वजन घटाकर अपना ब्लड प्रेशर कंट्रोल कर सकता है।
कोलेस्ट्रॉल की दवा- ब्लड प्रेशर की तरह ही कोई व्यक्ति एक्सराइज, पर्याप्त नींद और बैलेंस हेल्दी डायट अपनाकर कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकता है। हालांकि कई बार इसके लिए दवा लेना जरूरी हो जाता है।
सर्जरी- कैरोटिड एंडेर्टेक्टोमी नामक एक ऑपरेशन के जरिए क्षतिग्रस्त कैरोटिड आर्टरी की लाइनिंग और आर्टरी में होने वाली किसी ब्लॉकेज को हटाया जाता है। जिन लोगों की आर्टरी पूरी तरह से ब्लॉक है उन्हें सर्जरी की सलाह नहीं दी जाती है, यहां तक की आंशिक ब्लॉकेज की स्थिति में भी ऑपरेशन नहीं किया जाता है क्योंकि इस दौरान स्ट्रोक का खतरा रहता है।
भविष्य में स्ट्रोक या मिनी स्ट्रोक के खतरे को कम करने के लिए जीवनशैली में कुछ बदलाव जरूरी है। इन बदलावों में शामिल हैः
डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को कंट्रोल करके भी मिनी स्ट्रोक के खतरे को कम किया जा सकता है।
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Accessed on 10 April 2020
What is a transient ischemic attack (TIA)?
https://www.medicalnewstoday.com/articles/164038
Signs and Symptoms of Ministroke (TIA)
https://www.healthline.com/health/stroke/signs-symptoms-tia-mini-stroke
Transient ischemic attack (TIA)
TIA Treatment and Prevention: What to Know