के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
सैटरडे नाइट पाल्सी एक ऐसी स्थिति है जो रेडियल नर्व को प्रभावित करती है। रेडियल नर्व बांह के ऊपरी हिस्से से शुरु होती है और कलाई एवं उंगली तक जाती है। यह बांह और हाथ के मूवमेंट को कंट्रोल करती है। साथ ही यह कलाई और उंगली को फैलाने में भी मदद करती है और हाथ के कई हिस्सों में सनसनाहट को कंट्रोल करती है। रेडियल नर्व में चोट लगने या डैमेज होने के कारण सैटरडे पाल्सी होती है। इसे रेडियल नर्व पाल्सी भी कहा जाता है। आमतौर पर फिजिकल ट्रॉमा, इंफेक्शन और विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आने से यह बीमारी होती है। जिससे हाथ और कलाई में सुन्न हो जाती है और कई बार जलन और झुनझुनी महसूस होती है। इस बीमारी के कारण बांह के ऊपरी हिस्से की तंत्रिका डैमेज हो जाती है जिससे कलाई, हाथ और उंगली को घुमाने में कठिनाई होती है। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
सैटरडे नाइट पाल्सी एक आम समस्या है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग सैटरडे नाइट पाल्सी से पीड़ित हैं। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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सैटरडे नाइट पाल्सी आमतौर पर हाथ के कई हिस्से को प्रभावित करता है। सैटरडे नाइट पाल्सी से पीड़ित व्यक्ति में प्रायः हाथ के पीछे, अंगूठे के पास, तर्जनी और मध्यमा उंगली में कुछ असामान्य महसूस होता है। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से हाथ हल्का महसूस होने लगता है। इसके साथ ही हाथ में जलन, बेचैनी और घबराहट का अनुभव होता है।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर सैटरडे नाइट पाल्सी अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि आपके घाव के पास पस, सूजन एवं लालिमा तथा हाथ और बांह में झुनझुनी और सुन्नता महसूस हो तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
सैटरडे नाइट पाल्सी का मुख्य कारण कोहनी से कंधे तक जाने वाली ह्यूमरस हड्डी का टूटना है। बांह की सर्जरी या बंदूक चलाते समय भी व्यक्ति को रेडियल नर्व पाल्सी की समस्या हो सकती है। इसके अलावा कार एक्सिडेंट और स्पोर्ट्स इंजरी के दौरान हड्डी पर सीधे झटका लगने, नुकीली चीज जैसे चाकू या ग्लास से चोट लगने और बांह पर सिर रखकर सोने के कारण भी सैटरडे नाइट पाल्सी की समस्या होती है। सिर्फ यही नहीं बांह के अंदर सिस्ट या ट्यूमर बनने या रेडियल नर्व पर दबाव पड़ने के कारण भी यह बीमारी होती है।
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सैटरडे नाइट पाल्सी बांह के ऊपरी हिस्से को सबसे अधिक प्रभावित करती है। समय पर इस बीमारी का इलाज न कराने से मांसपेशियों में कमजोरी आ सकती है और हाथ से कोई वस्तु उठाने में कठिनाई हो सकती है। इसके अलावा रेडियल नर्व स्थायी रुप से डैमेज हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
सैटरडे नाइट पाल्सी का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
कुछ मरीजो में इलेक्ट्रोमायोग्राफी या नर्व कंडक्शन टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए मांसपेशियों की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी को मापा जाता है। मांसपेशियों की जांच तब की जाती है जब आप आराम कर रहे होते हैं या कोई काम कर रहे होते हैं। इस टेस्ट से मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका की जांच की जाती है।
सैटरडे नाइट पाल्सी का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में सैटरडे नाइट पाल्सी के असर को कम किया जाता है। सैटरडे नाइट पाल्सी के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
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इसके अलावा सर्जरी से रेडियल नर्व को रिपेयर किया जाता है। सैटरडे नाइट पाल्सी का यह स्थायी इलाज है।
अगर आपको विल्सन डिजीज है तो आपके डॉक्टर रेडियल नर्व पर अधिक दबाव देने से बचने के लिए कहेंगे। इसके साथ ही कुछ एक्सरसाइज और बेहतर जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से बचा जा सकता है। एक ही पॉश्चर में देर तक नहीं रहना चाहिए और सोते समय सिर को बांह के ऊपर नहीं रखना चाहिए। डायट में बदलाव करने से कंधे और कोहनी की हड्डी मजबूत होती है। इसलिए आपको निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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