इन दोनों तरह के स्ट्रोक्स के सिम्पटम्स, एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) के समान हो सकते हैं। जैसे कमजोरी, थकावट और चक्कर आना आदि। हालांकि, एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) में कुछ अन्य लक्षण भी नजर आ सकते हैं जैसे बोलने में समस्या, विजिन में समस्या, गंभीर सिरदर्द, सीजर्स, फेशियल ड्रूपिंग आदि। यह एक गंभीर स्थिति है, जिसमें तुरंत उपचार की जरूरत होती है।
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सिक साइनस सिंड्रोम (Sick sinus syndrome)
सिक साइनस सिंड्रोम उस डिसऑर्डर को कहा जाता है, जो तब होता है जब हार्ट में साइनस नोड ठीक से काम करना बंद कर देते हैं। साइनस नोड हार्ट का वह भाग है, जो हार्ट रिदम को नियंत्रित करता है। जब साइनस नोड ठीक से काम नहीं कर रहा होता है, तो हार्ट सही से नहीं धड़क पाता है। इसके लक्षण भी एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) के जैसे होते हैं जो इस प्रकार हैं चक्कर आना, बेहोशी आदि। हालांकि, इस रोग में रोगी मेमोरी लॉस और नींद में समस्या को भी महसूस कर सकते हैं।
यह तो थी जानकारी एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) क्या हैं, इसके बारे में। इन लक्षणों को पहचानने के बाद तुरंत इसका उपचार जरूरी है। लेकिन, इस बात का भी ध्यान रखें कि इस समस्या के हर मामले में जरूरी नहीं है कि रोगी हमेशा लक्षणों का अनुभव करे। बहुत से लोग इस स्थिति में किसी भी तरह के लक्षणों का अनुभव नहीं करते हैं। कई बार किसी अन्य समस्या के लिए स्क्रीनिंग के दौरान इस रोग का निदान हो सकता है। इस रोग के निदान के लिए डॉक्टर कई टेस्ट्स की सलाह देते हैं जैसे इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (Electrocardiogram) ,ब्लड टेस्ट्स (Blood tests), हॉल्टेर मॉनिटर (Holter monitor), इवेंट रिकॉर्डर (Event recorder), स्ट्रेस टेस्ट (Stress test) आदि। निदान के बाद दवाइयों, थेरेपीज, सर्जरी या कैथिटर प्रोसीजर (Surgery or catheter procedures) से इस समस्या का उपचार किया जा सकता है।
उम्मीद है कि एट्रियल फिब्रिलेशन के प्रायमरी लक्षण (Primary symptoms of Atrial fibrillation) क्या है, यह इंफॉर्मेशन आपको पसंद आई होगी। हेल्दी लाइफस्टाइल से भी हार्ट डिजीज का जोखिम कम हो सकता है और एट्रियल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) से राहत मिल सकती है। इसके लिए हेल्दी आहार का सेवन करें, नियमित व्यायाम करें, अपने वजन को सही बनाए रखें, स्मोकिंग करने से बचें, एल्कोहॉल और कैफीन को सीमित मात्रा में लें और स्ट्रेस को मैनेज करें। अगर इस समस्या को लेकर आपके मन में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से इस बारे में अवश्य जानें।
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