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स्क्वामस सेल कार्सिनोमा: लंग कैंसर के इस टाइप के बारे में जानते हैं आप? स्मोकिंग है इसका पहला कारण

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 21/02/2022

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा: लंग कैंसर के इस टाइप के बारे में जानते हैं आप? स्मोकिंग है इसका पहला कारण

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) नॉन स्माल सेल लंग कैंसर (Non-Small Cell Lung Cancer) का एक प्रकार है। स्क्वामस सेल कार्सिनोमा स्क्वामस सेल से शुरू होता है। ये कोशिकाएं लंग्स के अंदर एयरवेज में होती है। अक्सर ध्रूमपान (Smoking) इस कैंसर का कारण बनता है। इसे एपिडरमॉइड कार्सिनोमा (Epidermoid carcinoma) भी कहते हैं। लंग कैंसर के मामलों में अक्सर सबसे ज्यादा मामले नॉन स्माल सेल कार्सिनोमा के होते हैं और उनमें से स्क्वामस सेल कार्सिनोमा का प्रतिशत काफी ज्यादा है। स्क्वामस सेल कार्सिनोमा उन टिशूज से शुरू होते हैं जो फेफड़ों में एयर पैसेज को लाइन करते हैं। यह ज्यादातर बड़ी ब्रोंकाई (Bronchi) जो श्वासनली (Trachea) को फेफड़ों से जोड़ती है में स्थित होते हैं।

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा के लक्षण (Symptoms Squamous cell lung carcinoma)

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा के लक्षण दूसरे लंग कैंसर (Lung Cancer) के समान ही हैं। जिनमें निम्न शामिल हैं।

  • लगातार कफ की समस्या
  • सांस लेने में परेशानी
  • घरघराहट
  • कफ में ब्लड आना
  • थकान
  • निगलने में कठिनाई
  • सीने में दर्द
  • बुखार
  • भूख में कमी
  • 6 महीने से 1 साल के अंदर वजन में तेजी से कमी

एक बात जान लें कि स्क्वामस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma) के ये लक्षण किसी दूसरी कंडिशन से भी मैच कर सकते हैं। इसलिए ऐसे लक्षण दिखाई देने पर इस बारे में डॉक्टर से संपर्क करें। स्क्वामस सेल कार्सिनोमा के लक्षण जल्दी दिखाई दे सकते हैं क्योंकि एडिनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) जो फेफड़ों के किनारों को प्रभावित करता है के विपरीत यह फेफड़े के बड़े वायुमार्ग को प्रभावित करता है। कैंसर की पहचान जल्दी होने से ट्रीटमेंट प्रभावी होता है और मरीज का सर्वाइवल रेट बढ़ जाता है।

और पढ़ें: लंग कैंसर वैक्सीन : क्या कैंसर को मात देने में सक्षम है?

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma)

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा के कारण  (Squamous cell carcinoma causes)

  • स्क्वामस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) का पहला कारण स्मोकिंग है। यह कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक पाया जाता है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार 91 प्रतिशत स्क्वामस सेल कार्सिनोमा का कारण स्मोकिंग पाया गया है। इसका रिस्क सीधे तौर पर इससे जुड़ा है कि आप दिन में कितनी सिगरेट पीते हैं।
  • घर में रेडॉन (Radon) का एक्सपोजर फेफड़ों के कैंसर का दूसरा प्रमुख कारण है। डीजल ईंधन और अन्य जहरीले धुएं और गैसें भी महत्वपूर्ण जोखिम कारक हैं।
  • जेनेटिक्स भी कैंसर में अहम रोल निभाते हैं। परिवार में किसी को कैंसर होने पर दूसरे लोगों को इसके होने का रिस्क बढ़ जाता है।
  • हाल के वर्षों में फेफड़ों के स्क्वामस सेल कार्सिनोमा की घटनाओं में कमी आई है, जबकि एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) की दर बढ़ रही है। ऐसा माना जाता है कि सिगरेट में फिल्टर जोड़ने से धुएं को फेफड़ों में अधिक गहराई से प्रवेश करने की अनुमति मिलती है जहां एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) विकसित होते हैं, हालांकि, ये कैंसर उन लोगों में भी हो सकते हैं जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है।

और पढ़ें: COPD और लंग कैंसर : क्या हैं दोनों में कनेक्शन?

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा का डायग्नोसिस (Squamous cell carcinoma Diagnosis)

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा के बारे में सबसे पहले एक्स रे (X Ray) द्वारा पता चलता है। जिसमें असामान्यताओं की जानकारी होती है। इसके बाद डॉक्टर निम्न तरीके से इस लंग कैंसर के बारे में पता करते हैं।

चेस्ट सीटी स्कैन (Chest CT Scan)

यह भी एक्स रे का एक प्रकार है। जिसमें लंग्स की क्रॉस सेक्शनल पिक्चर्स ली जा सकती हैं। इसके अलावा डॉक्टर एमआरआई (MRI) भी कर सकते हैं। ताकि ट्यूमर और इसके फैलाव के बारे में जानकारी मिल सके।

स्प्यूटम साइटोलॉजी (Sputum cytology)

डॉक्टर कैंसर का पता लगाने के लिए स्प्यूटम (Sputum) सैम्पल ले सकते हैं। अगर मरीज के लंग्स के आसपास फ्लूइड है तो इसमें कुछ कैंसर सेल्स भी हो सकती हैं। डॉक्टर नीडल की मदद से स्किन से कुछ सैम्पल लेते हैं। इसके बाद सेल्स को माइक्रोस्कोप की मदद से एग्जामिन किया जाता है।

बायोप्सी (Biopsy)

यह कोशिकाओं को माइक्रोस्क्रोप के जरिए एग्जामिन करने का एक और तरीका है। जिसमें डॉक्टर ट्यूमर की बायोप्सी करते हैं। नीडल की मदद से टिशूज का कुछ हिस्सा लेकर उसका कैंसर के लक्षणों के लिए अध्ययन करते हैं। इसी तरह ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) की जाती है। जिसमें लाइट और कैमरे वाली एक ट्यूब को मुंह या नाक के जरिए इंसर्ट किया जाता है।

पीईटी स्कैन (PET Scan)

यह भी एक प्रकार का इमेंजिंग टेस्ट है जिसकी मदद से टिशूज में मौजूद कैंसर के बारे में पता किया जाता है। इस टेस्ट के जरिए फेफड़ों को और बेहतर तरीके से एग्जामिन किया जा सकता है।

और पढ़ें: लंग कैंसर में क्या एक्युपंक्चर दिखाता है अपना असर?

मॉलिक्युलर टेस्ट (Molecular test)

इस परीक्षण से डॉक्टर देख सकते हैं कि क्या कैंसर कोशिकाओं में कुछ प्रकार के जीन उत्परिवर्तन हैं या उनकी सतह पर विशिष्ट प्रकार के प्रोटीन हैं। मरीज के लिए इम्यूनोथेरिपी प्रभावी हो सकती है या टार्गेटेड थेरिपी यह निर्धारित करने ये टेस्ट मदद करते हैं।

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा की स्टेज (Squamous cell carcinoma Staging)

कैंसर की पुष्टि होने के बाद डॉक्टर स्टेज का निर्धारण करते हैं। स्क्वामस सेल कार्सिनोमा को चार स्टेज में बांटा गया है।

स्टेज 1 कैंसर लंग में ही है। यह बॉडी के किसी दूसरे हिस्से में नहीं फैला है।

स्टेज 2 कैंसर लिम्फ नोड्स और लंग्स की लाइनिंग तक फैल चुका है या यह ब्रोंकस (Bronchus) के कुछ हिस्से में है।

स्टेज 3 कैंसर लंग्स के आसपास के टिशूज में फैल चुका है।

स्टेज 4 कैंसर बॉडी के दूसरे हिस्सों में फैल चुका है। जिसमें बोन, ब्रेन, लिवर आदि शामिल हैं।

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा का ट्रीटमेंट (Squamous cell carcinoma Treatment)

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा का ट्रीटमेंट कैंसर की स्टेज पर निर्भर करता है। इसके ट्रीटमेंट सर्जरी, कीमोथेरिपी, रेडिएशन थेरिपी, टार्गेटेड थेरिपी, इम्यूनोथेरिपी या इनका कॉम्निनेशन यूज किया जाता है।

सर्जरी (Surgery)

स्क्वामस सेल कार्सिनोमा के लिए सर्जरी की जा सकती है। कैंसर की किसी भी स्टेज पर सर्जरी की जा सकती है। सर्जरी से पहले ट्यूमर की साइज को कम करने के लिए कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी दी जाती है।

कीमोथेरिपी (Chemotherapy)

कीमोथेरिपी का उपयोग अकेले या रेडिएशन थेरिपी के साथ किया जाता है। यह लंग कैंसर सर्जरी के पहले या बाद दोनों समय दी जा सकती हैं। इसमें ड्रग्स का यूज करके कैंसर सेल्स को डिस्ट्रॉय किया जाता है।

और पढ़ें: कीमोथेरिपी के दौरान होने वाले ओरल कॉम्प्लिकेशन को कैसे करें मैनेज?

इम्यूनोथेरिपी (Immunotherapy)

इसमें इम्यून सिस्टम को बूस्ट करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है ताकि इम्यून सिस्टम कैंसर सेल्स को पहचानकर उन पर हमला कर सके।

टार्गेटेड थेरिपी (Targeted therapy)

इसमें कैंसर सेल्स के म्यूटेशन और विशेषताओं के आधार पर दवाओं का उपयोग किया जाता है। जो कैंसर सेल्स को बढ़ने और फैलने से रोकने में मदद करती हैं।

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि इस कैंसर का कारण स्मोकिंग है, तो अगर आप स्मोकिंग के आदी है, चेन स्मोकर हैं तो आपको रिस्क बहुत बढ़ जाता है। अच्छा होगा कि आप स्मोकिंग को कम कर दें या पूरी तरह छोड़ दें। स्मोकिंग का ओवरऑल हेल्थ पर भी बुरा प्रभाव डालती है। इसलिए इसको छोड़ना ही सही होगा। साथ ही किसी भी प्रकार के असामान्य लक्षण दिखने पर डॉक्टर से समय पर संपर्क करने से बड़े खतरे को टाला जा सकता है।

उम्मीद करते हैं कि आपको स्क्वामस सेल कार्सिनोमा (Squamous cell carcinoma) संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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