इंटेंसिटी मॉड्यूलेटेड रेडिएशन थेरिपी (Intensity modulated radiation therapy) (IMRT)
लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) में इंटेंसिटी मॉड्यूलेटेड रेडिएशन थेरिपी का उपयोग भी किया जाता है। यह 3डी थेरिपी का रूप है। बीम के शेप और ट्यूमर को कई एंगल से टार्गेट करने के साथ ही इस थेरिपी में नॉर्मल टिशूज तक पहुंचने वाली बीम का डोज भी एडजस्ट किया जा सकता है। इस तनकीन का उपयोग ज्यादातर तभी किया जाता है जब ट्यूमर स्पाइनल कोर्ड (spinal cord) के पास होता है। आइएमआरटी (IMRT) का ही एक और वेरिएशन है वॉल्यूमेट्रिक मॉड्यूलेटेड अर्क या अर्च थेरिपी। इसमें एक ऐसी मशीन का उपयोग किया जाता है जो शरीर के चारों और घूमकर तेजी से रेडिएशन डिलिवर करती है। इसकी मदद से कुछ मिनटों में ही ट्रीटमेंट हो जाता है।
स्टिरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी (Stereotactic radiosurgery) (SRS)
यह सर्जरी नहीं है। यह स्टिरियोटैक्टिक रेडिएशन थेरिपी का एक प्रकार है जिसका केवल एक सेशन ही दिया जाता है। इसका उपयोग कई बार सर्जरी के साथ या सर्जरी के बिना सिंगल ट्यूमर के इलाज में किया जाता है जो ब्रेन तक फैल चुका होता है। इसमें कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक लगभग 200 बीम का उपयोग ट्यूमर पर अलग-अलग एंगल से किया जाता है।
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2.ब्रैंकी थेरिपी (Brachytherapy) इंटरनल रेडिएशन थेरिपी (internal radiation therapy)
लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) में ब्रैंकी थेरिपी का उपयोग एयरवे में मौजूद ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए किया जाता है ताकि लक्षणों से राहत प्राप्त हो सके। इसमें डॉक्टर रेडियोएक्टिव मटेरियल के छोटे से सोर्स को डायरेक्टली कैंयर या कैंसर के पास के एयरवे में प्लेस कर सकते हैं। यह प्रॉसेस सामान्यत: ब्रोंकोस्कोप (Bronchoscope) की मदद से की जाती है, लेकिन यह सर्जरी के दौरान भी संपन्न हो सकती है।
लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी के साइड इफेक्ट्स (Side effects of radiation therapy for lung cancer)
लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) के साइड इफेक्ट्स रेडिएशन के डोज और ट्रीटमेंट कितनी बार लिया गया है पर निर्भर करता है। ज्यादातर साइड इफेक्ट्स कम समय के लिए होते हैं और ट्रीटमेंट कुछ हफ्तों या महीनों के बाद ठीक हो जाते हैं। रेडिएशन थेरिपी में दर्द नहीं होता है, लेकिन ये कुछ साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकती हैं जो निम्न हैं।
निगलने में कठिनाई और सीने में जलन (Discomfort when swallowing and heartburn)
ये दोनों साइड इफेक्ट्स ट्रीटमेंट के दौरान सामने आते हैं और ट्रीटमेंट खत्म होने के बाद 4 हफ्ते तक जारी रह सकते हें। इनके ठीक होने तक मरीज को सॉफ्ट फूड्स खाना चाहिए। साथ ही गर्म ड्रिंक्स जैसे कि चाय या कॉफी नहीं पीना चाहिए।
थकान (Fatigue)
रेडिएशन थेरिपी के बाद थकान महसूस करना सामान्य है। ट्रीटमेंट के जारी रहने पर थकान बढ़ती जाती है। कई बार मरीज को डेली एक्टिविटीज करने में भी परेशानी का अनुभव होता है। थकान की समस्या ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद एक से दो महीने तक रह सकती है। इस दौरान मरीज को अच्छी तरह आराम करने के साथ ही फिजिकली एक्टिव रहना भी जरूरी है।
स्किन में परिवर्तन (Skin Changes)
मरीज की पीठ और सीने की त्वचा ड्राय और लाल हो सकती है। जैसे कि सनबर्न के दौरान होती है। इन हिस्सों पर डायरेक्ट सनलाइट ना पड़ने दें। स्किन पर रोज डॉक्टर द्वारा रिकमंड किया गया मॉश्चराइजर का इस्तेमाल करें।
सांस लेने में परेशानी और कफ (Shortness of breath and cough)
रेडिएशन थेरिपी लंग में सूजन का कारण बन सकती है जिसे रेडिएशन न्यूमोनाइटिस (Radiation pneumonitis) कहा जाता है। इसकी वजह से सांस लेने में परेशानी और खांसी हो सकती है। ये साइड इफेक्ट्स ट्रीटमेंट के दौरान शुरू हो जाते हैं और ट्रीटमेंट के बाद 1 से 6 महीने तक रह सकते हैं। रेडिएशन न्यूमोनाइटिस अस्थायी होता है और इसका इलाज स्टेरॉइड्स टैबलेट्स की मदद से किया जा सकता है।
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इनके अलावा कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं:
- उल्टी आना या जी मिचलाना
- भूख की कमी
- उस जगह पर हेयर लॉस जहां से रेडिएशन बॉडी में एंटर करता है
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