backup og meta

लंग कैंसर के लिए दी जाती है 6 प्रकार की रेडियोथेरिपीज, जानें किस स्टेज पर काम आती है कौन सी थेरिपी

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    लंग कैंसर के लिए दी जाती है 6 प्रकार की रेडियोथेरिपीज, जानें किस स्टेज पर काम आती है कौन सी थेरिपी

    लंग कैंसर (Lung Cancer) बेहद आम और गंभीर प्रकार का कैंसर है। शुरुआती स्टेज में इस कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन धीरे-धीरे खांसी, कफ में ब्लड आना, सांस लेने में परेशानी, अत्यधिक थकान और वजन कम होना, सांस लेते और खांसते समय दर्द होना आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं। लंग कैंसर के टाइप के आधार पर ट्रीटमेंट रिकमंड किया जाता है जिसमें रेडियोथेरिपी (Radiotherapy), कीमोथेरिपी (Chemotherapy) और सर्जरी (Surgery) शामिल है। लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) का उपयोग कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकने के लिए किया जाता है। रेडियोथेरिपी लंग कैंसर के लक्षणों को कम करने के लिए भी प्रभावी है। लंग कैंसर के प्रकार के आधार पर ट्रीटमेंट रिकमंड किया जाता है।

    लंग कैंसर के प्रकार

    जो कैंसर लंग्स से शुरू होता है उसे प्राइमरी लंग कैंसर (Primary Lung cancer) कहा जाता है। वहीं जो कैंसर बॉडी के किसी दूसरे हिस्से शुरू होकर लंग्स तक फैलता है उसे सेकेंड्री लंग कैंसर (Secondary Lung Cancer) कहा जाता है। प्राइमरी लंग कैंसर निम्न दो प्रकार का होता है।

    1. नॉन स्माल सेल लंग कैंसर (Non-small-cell lung cancer)- यह लंग कैंसर का सबसे कॉमन प्रकार है। 87 प्रतिशत से ज्यादा मामले इस कैंसर के सामने आते हैं।
    2.  स्माल सेल लंग कैंसर (Small-cell lung cancer)– यह कैंसर कॉमन नहीं है। यह नॉन स्माल सेल लंग कैंसर की तुलना में तेजी से फैलता है।

    नॉन स्माल कैंसर सेल लंग कैंसर की स्टेज और दूसरे फैक्टर्स के आधार पर रेडिएशन थेरिपी का उपयोग किया जाता है।

    और पढ़ें: एक या दो नहीं, बल्कि इतनी तरह की हो सकती है ब्रेन ट्यूमर रेडिएशन थेरेपी!

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer)

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer)

    लंग कैंसर रेडिएशन थेरिपी में पावरफुल हाय एनर्जी एक्स रे (High-energy X) का उपयोग किया जाता है। ताकि कैंसर सेल्स को मारने के साथ ही उनके विकास को रोका जा सके। मरीज के लिए रेडिएशन का उपयोग बाहर से या रेडियोएक्टिव मेटेरियल्स को डायरेक्टली लंग कैंसर ट्यूमर के अंदर प्लेस करके किया जाता है। ज्यादातर एक्सर्टनल रेडियोथेरिपी का ही उपयोग किया जाता है। जिसका उद्देश्य लंग कैंसर के ट्यूमर और लंग के विशेष हिस्से में मौजूद कैंसर सेल्स को खत्म करना है।

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) सर्जरी के पहले ट्यूमर को सिकड़ोने या सर्जरी के बाद बची हुई कैंसर सेल्स को मारने के लिए किया जाता है। कई बार सिर्फ रेडिएशन थेरिपी को ही लंग के कैंसर के मुख्य ट्रीटमेंट के तौर पर उपयोग किया जाता है। ऐसा तब होता है जब मरीज इतना हेल्दी नहीं होता कि वो सर्जरी कराने सके। या फिर कैंसर इतना फैल चुका होता है कि सर्जरी नहीं की जा सकती।

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) का उपयोग कैंसर के लक्षणों जैसे कि दर्द, ब्लीडिंग और एयरवेज का ब्लॉक आदि को कम करने के लिए भी किया जाता है। कई बार स्माल लंग सेल कैंसर (Small cell lung cancer) (SCLC) के मरीजों के लिए रेडिएक्शन थेरिपी का उपयोग ब्रेन पर किया जाता है। इससे लंग कैंसर का ब्रेन में फैलने के रिस्क को कम किया जा सके जो स्माल लंग सेल कैंसर के साथ आम है।

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी के प्रकार (Types of Radiotherapy for lung cancer)

    लंग कैंसर के इलाज के लिए कई दो प्रकार की रेडियोथेरिपी का उपयोग किया जाता है। पहली एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी और दूसरी इंटरर्नल रेडिएशन थेरिपी। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

    1.एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी (External beam radiation therapy)

    एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी में कैंसर पर बाहर से रेडिएशन का उपयोग किया जाता है। यह थेरिपी ज्यादातर नॉन स्माल कैंसर सेल लंग कैंसर के लिए उपयोग की जाती है। ट्रीटमेंट एक्स रे की तरह होता है, लेकिन रेडिएशन का डोज काफी स्ट्रॉन्ग होता है। यह प्रॉसीजर सिर्फ कुछ मिनटों का और दर्दरहित होता है। ज्यादातर लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी ट्रीटमेंट 5-7 हफ्तों के लिए होता है। हफ्ते में 5 दिन रेडियोथेरिपी दी जाती है, लेकिन यह एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी के प्रकार और इस कारण से दी जा रही है इस पर भी निर्भर करता है।

    नई एक्सटर्नल बीम रेडिएशन थेरिपी तकनीक (EBRT techniques) डॉक्टर की लंग का कैंसर का इलाज करने में मदद करती हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।

    और पढ़ें: प्रोस्टेट कैंसर के लिए रेडिएशन थेरिपी से जुड़े सवालों के जवाब हैं यहां!

     स्टीरियोटैक्टिक बॉडी रेडिएशन थेरिपी (Stereotactic body radiation therapy)

    इस थेरिपी का उपयोग अक्सर अर्ली स्टेज के लंग कैंसर के लिए किया जाता है। जब मरीज के खराब स्वास्थ्य के चलते सर्जरी ऑप्शन नहीं होती या जब वे सर्जरी करवाना नहीं चाहते। यह ट्यूमर के लिए की जाती है जब यह बॉडी के दूसरे हिस्सों जैसे कि ब्रेन और एड्रेनल ग्लैंड adrenal gland तक नहीं फैलते। ज्यादा समय तक रेडिएशन का कम डोज देने की इस थेरिपी में कुछ दिनों के लिए हाय डोज दिया जाता है। कई तरह की किरणें ट्यूमर को कई एंगल से टारगेट करती हैं।

    थ्री डायमेंशनल कॉनफॉर्मल रेडिएशन थेरिपी (Three-dimensional conformal radiation therapy) (3D-CRT)

    इस थेरिपी में स्पेशल कंप्यूटर के उपयोग से ट्यूमर के लोकेशन पर फोकस किया जाता है और फिर रेडिएशन बीम ट्यूमर को कई डायरेक्शन से टार्गेट करती हैं। जिससे नॉर्मल टिशूज के डैमेज होने की आशंका कम हो जाती है।

    और पढ़ें: COPD और लंग कैंसर : क्या हैं दोनों में कनेक्शन?

    इंटेंसिटी मॉड्यूलेटेड रेडिएशन थेरिपी (Intensity modulated radiation therapy) (IMRT)

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) में इंटेंसिटी मॉड्यूलेटेड रेडिएशन थेरिपी का उपयोग भी किया जाता है। यह 3डी थेरिपी का रूप है। बीम के शेप और ट्यूमर को कई एंगल से टार्गेट करने के साथ ही इस थेरिपी में नॉर्मल टिशूज तक पहुंचने वाली बीम का डोज भी एडजस्ट किया जा सकता है। इस तनकीन का उपयोग ज्यादातर तभी किया जाता है जब ट्यूमर स्पाइनल कोर्ड (spinal cord) के पास होता है। आइएमआरटी (IMRT) का ही एक और वेरिएशन है वॉल्यूमेट्रिक मॉड्यूलेटेड अर्क या अर्च थेरिपी। इसमें एक ऐसी मशीन का उपयोग किया जाता है जो शरीर के चारों और घूमकर तेजी से रेडिएशन डिलिवर करती है। इसकी मदद से कुछ मिनटों में ही ट्रीटमेंट हो जाता है।

    स्टिरियोटैक्टिक रेडियो सर्जरी (Stereotactic radiosurgery) (SRS)

    यह सर्जरी नहीं है। यह स्टिरियोटैक्टिक रेडिएशन थेरिपी का एक प्रकार है जिसका केवल एक सेशन ही दिया जाता है। इसका उपयोग कई बार सर्जरी के साथ या सर्जरी के बिना सिंगल ट्यूमर के इलाज में किया जाता है जो ब्रेन तक फैल चुका होता है। इसमें कुछ मिनटों से लेकर घंटों तक लगभग 200 बीम का उपयोग ट्यूमर पर अलग-अलग एंगल से किया जाता है।

    और पढ़ें: लंग नीडल बायोप्सी : क्यों और कब किया जाता है यह टेस्ट?

    2.ब्रैंकी थेरिपी (Brachytherapy) इंटरनल रेडिएशन थेरिपी  (internal radiation therapy)

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) में ब्रैंकी थेरिपी का उपयोग एयरवे में मौजूद ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए किया जाता है ताकि लक्षणों से राहत प्राप्त हो सके। इसमें डॉक्टर रेडियोएक्टिव मटेरियल के छोटे से सोर्स को डायरेक्टली कैंयर या कैंसर के पास के एयरवे में प्लेस कर सकते हैं। यह प्रॉसेस सामान्यत: ब्रोंकोस्कोप (Bronchoscope) की मदद से की जाती है, लेकिन यह सर्जरी के दौरान भी संपन्न हो सकती है।

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी के साइड इफेक्ट्स (Side effects of radiation therapy for lung cancer)

    लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) के साइड इफेक्ट्स रेडिएशन के डोज और ट्रीटमेंट कितनी बार लिया गया है पर निर्भर करता है। ज्यादातर साइड इफेक्ट्स कम समय के लिए होते हैं और ट्रीटमेंट कुछ हफ्तों या महीनों के बाद ठीक हो जाते हैं। रेडिएशन थेरिपी में दर्द नहीं होता है, लेकिन ये कुछ साइड इफेक्ट्स का कारण बन सकती हैं जो निम्न हैं।

    निगलने में कठिनाई और सीने में जलन (Discomfort when swallowing and heartburn)

    ये दोनों साइड इफेक्ट्स ट्रीटमेंट के दौरान सामने आते हैं और ट्रीटमेंट खत्म होने के बाद 4 हफ्ते तक जारी रह सकते हें। इनके ठीक होने तक मरीज को सॉफ्ट फूड्स खाना चाहिए। साथ ही गर्म ड्रिंक्स जैसे कि चाय या कॉफी नहीं पीना चाहिए।

    थकान (Fatigue)

    रेडिएशन थेरिपी के बाद थकान महसूस करना सामान्य है। ट्रीटमेंट के जारी रहने पर थकान बढ़ती जाती है। कई बार मरीज को डेली एक्टिविटीज करने में भी परेशानी का अनुभव होता है। थकान की समस्या ट्रीटमेंट पूरा होने के बाद एक से दो महीने तक रह सकती है। इस दौरान मरीज को अच्छी तरह आराम करने के साथ ही फिजिकली एक्टिव रहना भी जरूरी है।

    स्किन में परिवर्तन (Skin Changes)

    मरीज की पीठ और सीने की त्वचा ड्राय और लाल हो सकती है। जैसे कि सनबर्न के दौरान होती है। इन हिस्सों पर डायरेक्ट सनलाइट ना पड़ने दें। स्किन पर रोज डॉक्टर द्वारा रिकमंड किया गया मॉश्चराइजर का इस्तेमाल करें।

    सांस लेने में परेशानी और कफ (Shortness of breath and cough)

    रेडिएशन थेरिपी लंग में सूजन का कारण बन सकती है जिसे रेडिएशन न्यूमोनाइटिस (Radiation pneumonitis) कहा जाता है। इसकी वजह से सांस लेने में परेशानी और खांसी हो सकती है। ये साइड इफेक्ट्स ट्रीटमेंट के दौरान शुरू हो जाते हैं और ट्रीटमेंट के बाद 1 से 6 महीने तक रह सकते हैं। रेडिएशन न्यूमोनाइटिस अस्थायी होता है और इसका इलाज स्टेरॉइड्स टैबलेट्स की मदद से किया जा सकता है।

    और पढ़ें: कहीं आप में भी तो नहीं है ये लंग कैंसर के लक्षण

    इनके अलावा कुछ अन्य साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं:

    • उल्टी आना या जी मिचलाना
    • भूख की कमी
    • उस जगह पर हेयर लॉस जहां से रेडिएशन बॉडी में एंटर करता है

    उम्मीद है कि आपको लंग कैंसर के लिए रेडियोथेरिपी (Radiotherapy for lung cancer) से संबंधित जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. प्रणाली पाटील

    फार्मेसी · Hello Swasthya


    Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/02/2022

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement