जब शरीर के किसी हिस्से में तेजी से सेल्स डिवाइड होना शुरू हो जाती है, तो ये कैंसर का कारण बन सकती है। मलाशय की कोशिकाओं जब तेजी से विभाजन होता है, तो ये कोलोरेक्ल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। इसे रेक्टल कैंसर (Rectal Cancer)भी कहते हैं। रेक्टम के अंदर की कोशिकाएं बढ़ कर गुच्छे के रूप में विकसित होती हैं। धीरे-धीरे आसपास की सेल्स डैमेज होना शुरू हो जाती हैं और कैंसर का समय पर ट्रीटमेंट न कराने पर शरीर के अन्य हिस्से में भी कैंसर सेल्स डेवलेप होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में ट्रीटमेंट ही एकमात्र उपाय होता है, जिससे कैंसर को शरीर में फैलने से रोका जा सके। रेक्टल कैंसर की चौथी स्टेज में ये लिवर, लंग्स आदि में भी फैल जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान सर्जरी और कीमोथेरिपी के साथ ही रेडिएशन भी किया जा सकता है। शधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर को ठीक करने के लिए नए ड्रग्स का इस्तेमाल शुरू किया है, जिसे टारगेट थेरिपी के नाम से भी जाना जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कोलोरेक्टल कैंसर टारगेट थेरिपी (Colorectal Cancer Targeted Therapy)की बारे में जानकारी देंगे।
![कोलोरेक्टर कैंसर टारगेट थेरिपी](https://cdn.helloswasthya.com/wp-content/uploads/2021/06/5aa97688-colorectal-cancer-targeted-therapy.jpg)
शोधकर्ताओं ने रेक्टल कैंसर के दौरान कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तन का अध्ययन किया और फिर कोशिकाओं में आने वाले बदलावों को लक्षित कर विशेष प्रकार की दवाएं बनाई, तो कोशिकाओं में आने वाले परिवर्तनों को टारगेट कर कैंसर को खत्म करने की कोशिश करते हैं। टारगेट ड्रग्स कीमोथेरिपी ड्रग्स से अलग होते हैं। टारगेट ड्रग्स का इस्तेमाल बिना कीमोथेरिपी या फिर कीमोथेरिपी के साथ भी किया जा सकता है। टारगेट ड्रग्स के भी दुष्प्रभाव होते हैं। अगर कीमोथेरिपी (Chemotherapy) कैंसर पर अपना असर नहीं दिखा रही है, तो टारगेट ड्रग्स का इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं कुछ मामलों में कीमोथेरिपी के साथ ही टारगेट ड्रग्स दिए जाते हैं। जब कैंसर की स्टेज बढ़ती है, तो कैंसर की सेल्स शरीर के विभिन्न हिस्सों में फैलने लगती हैं। ऐसे में टारगेट ड्रग्स को ब्लडस्ट्रीम के माध्यम से शरीर के विभिन्न हिस्सों में पहुंचाया जाता है ताकि शरीर के विभिन्न हिस्सों में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोका जा सके।
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कोलोरेक्टल कैंसर टारगेट थेरिपी में इस्तेमाल किए जाने वाले ड्रग्स
वैस्कुलर एंडोथीलियल ग्रोथ फैक्टर (Vascular endothelial growth factor) प्रोटीन होती है, जो ट्यूमर्स को न्यू ब्लड वैसल्स बनाने में मदद करती है। इस प्रोसेस को एंजियोजेनेसिस (Angiogenesis) के नाम से जानते हैं। इस तरह से ट्यूमर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिलते रहते हैं, जिसके कारण वो आसानी से ग्रो करता है। टारगेट ड्रग्स की मदद से वैस्कुलर एंडोथीलियल ग्रोथ फैक्टर को टारगेट किया जाता है ताकि ट्यूमर (Tumor) को मिलने वाले पोषण को बंद किया जा सके और ट्यूमर की ग्रोथ को रोका जा सके। जानिए कोलोरेक्टल कैंसर टारगेट थेरिपी (Colorectal Cancer Targeted Therapy) में किन दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।
अवास्टिन 100mg इंजेक्शन (Avastin 100mg Injection)
ये एक एंटीकैंसर मेडिकेशन है। इस इंजेक्शन का इस्तेमाल कोलन कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान किया जाता है। साथ ही इसे किडनी कैंसर, ब्रेन ट्यूमर (brain tumor), सर्वाइकल कैंसर आदि में भी इस्तेमाल किया जाता है। इस दवा का इस्तेमाल करने से ट्यूमर की न्यू ब्लड वैसल्स सेल्स की ग्रोथ में रुकावट पैदा होती है और ट्यूमर बढ़ना बंद कर देता है। इस दवा को वेंस की मदद से शरीर में पहुंचाया जाता है। इस दवा के इस्तेमाल से रेक्टल ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही पेशेंट को सिरदर्द, स्वाद में बदलाव भी महसूस हो सकता है। इस दवा में एक्टिव इंग्रीडिएंट के रूप में बेवाकिजुमैब (Bevacizumab) होता है। आप इसे लगभग 27 हजार रु में खरीद सकते हैं।
सरैमजा इंजेक्शन का इस्तेमाल एंटीकैंसर मेडिसिन के रूप में किया जाता है। ये दवा कोलन और रेक्टम कैंसर के साथ ही स्टमक कैंसर आदि में भी इस्तेमाल की जाती है। इस दवा में एक्टिव इंग्रीडिएंट के रूप में रमुसीरमब (Ramucirumab) होता है। ये दवा वेंस के माध्यम से शरीर में पहुंचाई जाती है। इस इंजेक्शन को लेने के बाद हाय ब्लड प्रेशर के साथ ही सिरदर्द या डायरिया (diarrhea) जैसे साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। ये दवा रेड ब्लड सेल्स में कमी भी कर सकता है। आपको ये इंजेक्शन एक से दो लाख की कीमत में मिल सकता है। आपको इसके बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से मिल सकती है।
जाल्ट्रैप (Zaltrap)
मेटास्टेटिक कोलोरेक्टल कैंसर(metastatic colorectal cancer) के ट्रीटमेंट में जाल्ट्रैप (Zaltrap) दवा का इस्तेमाल किया जाता है। इस दवा को ऑनलाइन खरीदा जा सकता है। इस दवा की कीमत लाखों में होती है और ये आसानी से उपलब्ध नहीं होती है। डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन के बाद ही इसे लिया जा सकता है। इसे इंजेक्शन की सहायता से शरीर में इंजेक्ट किया जाता है। इस दवा में एक्टिव इंग्रीडिएंट के रूप में जिव-एफ्लिबरसेप्ट (Ziv-aflibercept) होता है। ये 100 एजी और 200 एमजी में उपलब्ध होती है। ये दवा कोलोरेक्टल कैंसर के दौरान बनने वाले ट्यूमर की ग्रोथ को रोकने का काम करती है। दवा शरीर में जाकर ट्यूमर को पोषण प्रदान करने वाले न्यूट्रिएंट्स को रोकने का काम करती है ताकि ट्यूमर की ग्रोथ को रोका जा सके।
इन दवाओं का इस्तेमाल कैंसर पेशेंट में दो से तीन हफ्ते में किया जाता है। कुछ पेशेंट्स को ये दवाएं कीमोथेरिपी (Chemotherapy) के दौरान भी दी जाती हैं। कोलोरेक्टल कैंसर टारगेट थेरिपी का इस्तेमाल करने से पेशेंट के शरीर में कैंसर सेल्स की ग्रोथ रोकने में मदद मिलती है और साथ ही पेशेंट की उम्र की अवधी भी लंबी होती है। ट्रीटमेंट के दौरान शरीर को विभिन्न प्रकार के दुष्प्रभावों से गुजरना पड़ता है। आपको इस बारे में डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
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इस आर्टिकल में दिए गए ब्रांड के नाम का हैलो स्वास्थ्य प्रचार नहीं कर रहा है। डॉक्टर से परामर्श के बाद ही दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए। कैंसर में दी जाने वाली दवाओं का सही समय पर रोजाना सेवन करना चाहिए वरना बीमारी को जड़ से ठीक करना संभव नहीं हो पाएगा। दवाओं के साथ ही आपको स्वस्थ्य जीवनशैली का चुनाव भी करना चाहिए। हैलो हेल्थ किसी भी प्रकार की चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार उपलब्ध नहीं कराता। इस आर्टिकल में हमने आपको कोलोरेक्टल कैंसर टारगेट थेरिपी (Colorectal Cancer Targeted Therapy) के संबंध में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे और आपकी परेशानी का समाधान करेंगे।