जब शरीर के किसी हिस्से में तेजी से सेल्स डिवाइड होना शुरू हो जाती है, तो ये कैंसर का कारण बन सकती है। मलाशय की कोशिकाओं जब तेजी से विभाजन होता है, तो ये कोलोरेक्ल कैंसर की संभावना बढ़ जाती है। इसे रेक्टल कैंसर (Rectal Cancer)भी कहते हैं। रेक्टम के अंदर की कोशिकाएं बढ़ कर गुच्छे के रूप में विकसित होती हैं। धीरे-धीरे आसपास की सेल्स डैमेज होना शुरू हो जाती हैं और कैंसर का समय पर ट्रीटमेंट न कराने पर शरीर के अन्य हिस्से में भी कैंसर सेल्स डेवलेप होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में ट्रीटमेंट ही एकमात्र उपाय होता है, जिससे कैंसर को शरीर में फैलने से रोका जा सके। रेक्टल कैंसर की चौथी स्टेज में ये लिवर, लंग्स आदि में भी फैल जाता है। कोलोरेक्टल कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान सर्जरी और कीमोथेरिपी के साथ ही रेडिएशन भी किया जा सकता है। शधकर्ताओं ने कोलोरेक्टल कैंसर को ठीक करने के लिए नए ड्रग्स का इस्तेमाल शुरू किया है, जिसे टारगेट थेरिपी के नाम से भी जाना जाता है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको कोलोरेक्टल कैंसर टारगेट थेरिपी (Colorectal Cancer Targeted Therapy)की बारे में जानकारी देंगे।