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पोस्ट्युरल ड्रेनेज तकनीक, क्या होती है खांसी में फायदेमंद?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/04/2021

    पोस्ट्युरल ड्रेनेज तकनीक, क्या होती है खांसी में फायदेमंद?

    सर्दी-खांसी होने पर छाती में बलगम जमा होने की समस्या आम है। ऐसे में दवा के साथ ही डॉक्टर भाप लेने जैसे घरेलू उपाय करने की भी सलाह देते हैं, जिससे छाती में जमा बलगम ढीला होकर धीरे-धीरे निकलने लगता है। दरअसल, छाती में जब बलगम ज्यादा जमा हो जाता है तो उससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है, इसलिए जरूरी है इसे बाहर निकालना। पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage) फेफड़ों को साफ करने की तकनीक है जिसमें पोजिशन बदलकर फेफड़ों को साफ किया जाता है, यानी बलगम को बाहर निकाला जाता है। पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage) तकनीक श्वसन प्रणाली से जुड़ी कई तरह की समस्या में कारगर होती है। क्या है यह तकनीक और यह कैसे काम करती है, जानिए इस आर्टिकल में।

    पोस्ट्युरल ड्रेनेज क्या है? (Postural Drainage)

    यह एक खास तरह की तकनकी है जिसमें पोजिशन बदलकर फेफड़ों (lungs) को साफ किया जाता है। इसमें ग्रैविटी की मदद से बलगम को फेफड़े से आसानी से बाहर निकालने में मदद मिलती है। निमोनिया (pneumonia) से बचने में यह तकनीक बहुत कारगर साबित हो सकती है। उदाहरण के लिए जैसे ही किसी व्यक्ति को सर्दी या फ्लू के लक्षण दिखे तो इस तकनीक का इस्तेमाल करके फेफड़ों में बलगम या तरल पदार्थ (Fluids) जमा होने से रोका जा सकता है, साथ ही फेफड़ों के संक्रमण (Lung infections) से भी बचाव किया जा सकता है। आमतौर पर फेफड़ों को साफ करने की तकनीक पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage) सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित मानी जाती है, लेकिन फेफड़ों को साफ करने की तकनीक का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें चाहे घर पर या फिर अस्पताल में भी मेडिकल प्रोफेशनल की निगरानी में इसे किया जा सकता है। यदि इसकी वजह से आपको सांस लेने में दिक्कत हो रही है या आपके हार्ट रेट को प्रभावित करता है तो इसे बिल्कुल न करें और अपने डॉक्टर से बात करें। पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage) रूटीन में क्लैपिंग (Clapping) और वाइब्रेशन (Vibration) को भी शामिल किया जा सकता है। इससे बलगम (Mucous) को ढीला करने में मदद मिलती है। यह तकनीक बलगम (Mucous) को स्मॉल एयर सैक्स (Small air sacs ) से बड़े वायुमार्ग (Airways) में ले जाती हैं जहां खांसी या सक्शन के जरिए यह बाहर निकलता है।

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    मैं पोस्ट्युरल ड्रेनेज कैसे कर सकता हूं? (Postural Drainage Process)

    आप कई पोजिशन में पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage) कर सकते हैं। आप फेफड़ों को साफ करने की इस तकनीक का इस्तेमाल किसी थेरेपिस्ट या नर्स की निगरानी में कर सकते हैं। आइए, जानते है इसके कुछ सामान्य नियम (General guidelines)।

    • हर पोजिशन में आपको कम से कम 5 मिनट तक रहना होगा।
    • पोजिशन आप जमीन पर या बिस्तर पर कर सकते हैं।
    • हर पोजिशन में बलगम (Mucus) को बाहर निकालने के लिए जरूरी है की आपकी छाती (Chest) आपके नितंब (Hips) से नीचे रहे।
    • किसी भी पोजिशन में खुद को सहज रखने के लिए आप तकिया या फोम का इस्तेमाल कर सकते हैं।
    • ज्यादा असर के लिए किसी भी पोजिशन में नाक के जरिए सांस लें और उसे मुंह से छोड़े लंबे समय के लिए।
    • फेफड़ों को साफ करने की इस तकनीक का इस्तेमाल आप सुबह कर सकते हैं जिससे रातभर जमा हुआ बलगम निकल जाए या रात में सोने से पहले ताकि रात में फेफड़ों में बलगम जमा न हो।

    बलगम कहां जमा है, इसके आधार पर रेस्पिरेटरी थेरेपिस्ट (Respiratory therapist), नर्स या डॉक्टर आपको फेफड़ों को साफ करने की तकनीक के लिए बेस्ट पोजिशन बताएगा।

    पोस्ट्युरल ड्रेनेज की अलग-अलग पोजिशन (Postural Drainage Position)

    Postural Drainage: पोस्ट्युरल ड्रेनेज

    फेफड़ों को साफ करने की तकनीक पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage) में कई पोजिशन होती है। डॉक्टर या एक्सपर्ट आपकी स्थिति का मुआयना करने के बाद उनमें से आपके लिए कौन-सा सबसे उपयुक्त है उसे करने की सलाह देता है।

    पोजिशन 1

    अपर लोब एपिकल सेग्मेंट (Upper Lobe Apical Segments)

    अपल लोब एपिकल सेग्मेंट से बलगम को बाहर निकालने के लिए व्यक्ति आरामदायक पोजिशन में बिस्तर पर या जमीन पर बैठ सकता है। पीछे सपोर्ट के लिए तकीया लगा सकते हैं। इसके बाद देखभाल करने वाला व्यक्ति करीब 5 मिनट तक मरीज के कॉलरबोन और कंधे के ऊपर के दोनों तरफ के ब्लेड के बीच की मांसपेशियों के हिस्से में हाथों से दबाव देगा (Percussion) और वाइब्रेट (vibrate) करेगा। मरीज को इस दौरान गहरी सांस लेने और खांसी के लिए प्रोस्ताहित किया जाना चाहिए।

    पोजिशन 2

    अपर लोब पोस्टिरियर सेग्मेंट (Upper Lobe Posterior Segments)

    मरीज कुर्सी पर आराम से बैठ सकता है या बेड के किनारे पर बैठकर गोद में एक तकिया ले और उसके ऊपर दोनों हाथों को आगे की ओर करके झुक जाए। पहले की तरह ही इस पोजिशन में भी दोनों तरफ ऊपरी पीठ पर दबाव (Percussion) और कंपन (vibrate) करना होता है।

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    पोजिशन 3

    अपर लोब एंटीरियर सेग्मेंट (Upper Lobe Anterior Segments)

    इस पोजिशन में मरीज बिस्तर या टेबल पर सीधा लेट जाता है और आराम के लिए उसके सिर और पैर के नीचे तकिया लगाया जाता है। फिर देखभालकर्ता कॉलरबोन और निप्पल के बीच छाती के सामने के हिस्से के दाएं और बाएं हिस्से में टक्कर/दबाव (Percussion) और कंपन (vibrate) करता है।

    पोजिशन 4

    लिंगुला पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Lingula Postural Drainage)

    मरीज दाहिनी करवट में लेट जाएगा, चेहरा बिस्तर के किनारे यानी पैरों की ओर होगा, नितंब और पैरों को तकिए पर ले जाएं। शरीर को पीछे की ओर एक चौथाई तक घुमाएं। मरीजे के पीछे भी सपोर्ट के लिए तकिया रखा जा सकता है। पैरों को थोड़ा मोड़कर रखें और घुटनों के बीच एक और तकिया रखें। इसके बाद देखभाल करने वाला व्यक्ति निप्पल एरिया के बिल्कुल बाहर दबाव/टक्कर (Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा।

    पोजिशन 5

    मिडल लोब का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Middle Lobe)

    मिडल लोब पोजिशन (Middle lobe position) के लिए मरीज अपने बाई ओर मुंह करके लेटेगा, हाथों को सिर की तरफ करे और पीठ व पैरों को एक चौथाई तक घुमाएं। पैरों (Legs) और नितंब (Hips) को जितना संभव हो उतना ऊंचा करें। एक तकिया पीछे की और और एक मुड़े हुए पैरों के बीच में लगाएं। इसके बाद देखभाल करने वाला व्यक्ति दाहिने निप्पल एरिया के ठीक बाहर दबाव (Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा।

    पोजिशन 6

    एंटीरियर बेसल सेग्मेंट का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Anterior Basal Segments)

    इस पोजिशन में मरीज दाहिनी ओर लेटता है और चेहरा बेड के अंतिम छोर यानी पैरों की ओर होगा, एक तकिया पीछे की ओर लगाएं। नितंब और पैरों को तकिये के ऊपर जितना हो सके ऊपर की तरफ रखें। घुटनों के बीच में एक तकिया रखकर घुटनों को थोड़ा मोड़ लें। इसके बाद देखभाल करने वाला मरीज की लोअर रिब्स के दाहिनी और बाई ओर ऊपर बारी-बारी से दबाव (Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा।

    पोजिशन 7

    पोस्टीरियर बेसल सेग्मेंट का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Posterior Basal Segments)

    इस पोजिशन के लिए मरीज पेट के बल लेट जाता है और उसके पैर और नितंब (Hips) तकिये पर ऊपर की ओर रहता है। इसके बाद देखभाल करने वाला रीढ़ (Spine) की बाईं और दाईं ओर से पीठ के निचले हिस्से को दबाव देगा Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा।

    पोजिशन 8

    लोअर लोब्स लैटरल बेसल सेग्मेंट का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Lower Lobes Lateral Basal Segments)

    इस पोजिशन के लिए दाहिनि तरफ लेट जाए, नितंब और पैरों को तकिये के ऊपर रखकर पैरों को थोड़ा मोड़कर पीछे की ओर ले जाएं और एक चौथाई आगे की ओर झुकें। ऊपरी पैर को सपोर्ट के लिए तकिये ऊपर टिकाएं। फिर देखभाल करने वाला व्यक्ति बाई पसलियों (Left ribs) के ऊपरी भाग के ऊपरी हिस्से  पर दबाव  (Percussion) डालेगा और कंपन (vibrate) करेगा। ऐसा ही दाहिनी ओर भी करें।

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    पोजिशन 9

    लोअर लोब्स सुपीरियर सेग्मेंट का पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural Drainage of the Lower Lobes Superior Segments)

    इस अंतिम पोजिशन के लिए मरीज सीधा या पेट के बल बिस्तर या टेबल पर लेट सकता है। नितंब (Hips) के नीचे दो तकिया रखें। इसके बाद देखभाल करने वाला रीढ़ के दाएं और बाएं दोनों तरफ कंधे के ब्लेड के निचले हिस्से को टक्कर (Percussion) और कंपन (vibrate) करेगा, रीढ़ की हड्डी का ख्याल रखते हुए।

    पोस्ट्युरल ड्रेनेज क्या सचमुच काम करता है? (Does postural drainage work?)

    Postural Drainage: पोस्ट्युरल ड्रेनेज

    हालांकि, इस संबंध में विस्तृत अध्ययन की जरूरत है। इसलिए अपनी मर्जी से इस तकनीक को अपनाने की बजाय अपने डॉक्टर से सलाह लें वह बताएगा कि आपको कौन सी पोजिशन करनी है या आपके लिए कौन सी दूसरी चेस्ट फिजियोथेरेपी (chest physiotherapy techniques) तकनीक असरदार है।

    क्या पोस्ट्युरल ड्रेनेज जोखिम भरा हो सकता है? (Postural drainage risk)

    यदि आप भोजन के तुरंत बाद पोस्ट्युरल ड्रेनेज करते हैं तो आपको उल्टी आ सकती है, इसलिए खाना खाने के डेढ़ या दो घंटे बाद ही इसे करें। कुछ पोजिशन से आपको हार्टबर्न (Heartburn) और एसिड रिफ्लक्स (Acid reflux) की भी समस्या हो सकती है।

    यदि फेफड़ों में जमा बलगम को बाहर न निकाला जाए तो स्थिति गंभीर हो सकती है, इसलिए यदि आप पोस्ट्युरल ड्रेनेज का निर्णय लेते हैं तो डॉक्टर की सलाह पर अमल करना जरूरी है। आपको अतिरिक्त उपचार की भी जरूरत पड़ सकती है। फेफड़ों में जमा बलगम किसी अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या का भी संकेत हो सकता है जिसके उपचार की जरूरत है, जैसे क्रॉनिक पलमनरी ऑब्सट्रक्टिव डिसीज (Chronic pulmonary obstructive disease (COPD)।

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    कब बुलाएं डॉक्टर को?

    जब आपको घरघराहट के साथ खांसी आने लगे या बुखार 100.4°F (38°C) या इससे अधिक हो, तो तुरंत डॉक्टर को फोन करें। साथ ही यदि आपको लगता है कि आपका बलगम भूरे, खून के रंग का है या उसमें से दुर्गंध आ रही है तो इस बारे में डॉक्टर को बताएं। यदि आपको पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural drainage) के बाद निम्न लक्षण दिखें तो इमरजेंटी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ सकती है-

    ​बलगम वाली खांसी के लिए घरेलू उपाय (Home remedies of mucus)

    यदि आपको बलगम वाली खांसी (Cough) है तो समय पर सावधानी नहीं बरतने से छाती में कफ यानी बलगम (Mucus) जमा होने लगता है जो आगे चलकर गंभीर परेशानी खड़ी कर सकता है और कोरोना काल में तो खांसी आने पर आपको तुरंत उपचार शुरू करने की जरूरत है। जरूरी नहीं कि हर बार आप डॉक्टर के पास ही जाएं घर पर कुछ आसान घरेलू तरीके  (Home remedies) अपनाकर भी आप बलगम वाली खांसी से राहत पा सकते हैं।

    • गुनगुने पानी में चुटकीभर सेंधा नमक मिलाकर गरारे करें इससे गले में इंफेक्शन (Throat infection) से आराम मिलता है और खांसी की वजह से जो गले में दर्द होता है उससे भी राहत मिलती है।
    • शरीर को हाइड्रेट (Hydrate) रखें। बलगम वाली खांसी से राहत के लिए दिन भर गुनगुना पानी पीते रहें, इसके अलावा अदरक वाली चाय या जूस जैसे तरल पदार्थ भी ले सकते हैं, इससे बलगम ढीला होकर निकल जाएगा।
    • गुड़ की तासीर भी गर्म होती है इसलिए खांसी होने पर गुड़ खाना भी फायदेमंद होता है।
    • अदरक (Ginger) और तुलसी (Basil) का भी सेवन किया जा सकता है। इससे खांसी और कफ से राहत मिलती है।
    • कालीमिर्च का काढ़ा भी फायदेमंद है। इसके लिए दो कप पानी में थोड़ा सा कालीमिर्च मिलाएं और पानी को एक चौथाई होने तक उबालें फिर इसमें शहद मिलाकर सुबह-शाम इसे पी लें।
    • नींबू  (Lemon) और शहद (Honey) का सेवन भी बलगम से निजात दिलाने में मदद करता है। गुनगुने पानी में एक चम्मच शहद और दो चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीएं। नींबू कफ को पतला करता है और शहद से गले को आराम मिलता है।
    • इसके अलावा अदरक, कालीमिर्च, तुलसीपत्ता, लौंग, इलायची, अजवायन आदि को पानी में डालकर काढ़ा बनाएं और इसमें गुड़ या शहद मिलाकर पीएं।

    पोस्ट्युरल ड्रेनेज (Postural drainage) में बलगम को ढीला करके बाहर निकलने में मदद के लिए ग्रैविटी का इस्तेमाल किया जाता है, इसकी प्रभावशीलता को लेकर भले ही थोड़ा विवाद हो, लेकिन यह बहुत जोखिमपूर्ण नहीं है, इसलिए किसी डॉक्टर या मेडिकल प्रोफेशनल की सलाह पर आप इसे ट्राई कर सकते हैं।

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    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 29/04/2021

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