जिस स्थान में कैथेटर को डालना होता है,उस स्थान को सुन्न कर दिया जाता है। डॉक्टर पहले उस स्थान को अच्छी तरह से साफ कर देते हैं और उसके बाद कैथेटर को अंदर डाला जाता है। यह गर्दन या फिर कमर में डाला जा सकता है। पीएसी को एक वेंस के माध्यम से शरीर में डाला जाता है, जिसके लिए छोटा चीरा लगाने की जरूरत होती है। अब इसके बाद डॉक्टर पल्मोनरी आर्टरी में ब्लड प्रेशर की जांच करते हैं और साथ ही रक्त में ऑक्सीजन की जांच करने के लिए ब्लड का सैंपल भी लिया जाता है। जब टेस्ट पूरा हो जाता है तो डॉक्टर इक्विपमेंट को हटा लेते हैं और घाव को टांके के की मदद से बंद कर देते हैं।
प्रोसीजर के दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम की मदद से हार्टबीट की निगरानी भी रखी जाती है। जब यह प्रोसेस होती है, तब आप सो नहीं रहे होते हो बल्कि आपको सभी चीजें समझ में आ रही होती हैं लेकिन दर्द का एहसास नहीं होगा। आपको प्रेशर का एहसास तब होगा जब कैथेटर को अंदर की तरफ डाला जाएगा।
स्वान-गेंज कैथेटेराइजेशन (Swan-Ganz catheterization) से जुड़े रिस्क क्या हैं?
इस प्रोसीजर के साथ कुछ रिस्क भी जुड़े हुए हैं। जैसे की अधिक मात्रा में ब्लीडिंग होना, वेंस में चोट आ जाना, रक्त के थक्के बनना, कम ब्लड प्रेशर, धड़कन का अनियमित होना आदि रिस्क जुड़े होते हैं। यह जरूरी नहीं है कि सभी लोगों को इन समस्याओं का सामना करना पड़े लेकिन कुछ लोगों को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। आपको इस बारे में अधिक जानकारी डॉक्टर से लेनी चाहिए।
इस आर्टिकल में हमने आपको स्वान-गेंज कैथेटेराइजेशन (Swan-Ganz catheterization) की समस्या से संबंधित जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की ओर से दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।