हार्ट फेलियर के लक्षण
वही हार्ट फेल होने पर सांस लेने में तकलीफ मुख्य समस्या के रूप में सामने दिखता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने के कारण सांस लेने में मेहनत करनी पड़ती है। इसके साथ ही खांसी आना, ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होना, नाखूनों का रंग नीला हो जाना, नींद ना आना, पेट में दर्द, जी मिचलाना, बार-बार यूरिन आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर का ट्रीटमेंट
हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर (Heart Attack and Heart Failure) की कंडीशन से बचा जा सकता है लेकिन इसके लिए लाइफस्टाइल में सुधार करना बहुत जरूरी है। हार्ट अटैक के ट्रीटमेंट के दौरान ब्लड फ्लो को रिस्टोर करने पर फोकस किया जाता है और साथ ही एडिशनल डैमेज से बचा जाता है। हार्ट अटैक के ट्रीटमेंट के दौरान मेडिकेशन में क्लॉट-बस्टिंग मेडिकेशन का इस्तेमाल ब्लड क्लॉट से बचने के लिए, नाइट्रोग्लिसरीन, जो धमनियों को खोलने और रक्त प्रवाह में सुधार करने में मदद कर सकता है, ब्लड थिनर्स (blood thinners), दर्द से छुटकारा दिलाने वाली दवाएं और बीटा ब्लॉकर्स या एसीई इनहिबिटर, जो ब्लड प्रेशर को कम करने का काम करते हैं और स्टैटिन, जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करते हैं आदि का इस्तेमाल किया जाता है।
परक्यूटेनियस कोरोनरी इंटरवेंशन (PCI) प्रोसेस में ब्लॉक कोरोनरी आर्टरी को ओपन करने का काम किया जाता है और साथ ही ब्लड फ्लो को रीस्टोर किया जाता है। धमनी को खुला रखने में मदद के लिए एक स्टेंट भी लगाया जा सकता है।
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कोरोनरी आर्टरी बायपास सर्जरी (Coronary artery bypass surgery) शरीर के एक क्षेत्र से एक स्वस्थ धमनी या नस को हटा दिया जाता है और फिर कोरोनरी धमनी के ब्लॉक एरिया में बाईपास के लिए लगा दिया जाता है।
डॉक्टर इन सभी ट्रीटमेंट के साथ ही आपको लाइफ स्टाइल में सुधार करने की सलाह भी दे सकते हैं। इसमें रोजाना एक्सरसाइज करने के साथी हेल्दी फूड्स का सेवन शामिल हो सकता है। आपको हार्ट अटैक और हार्ट फेलियर के बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लेनी चाहिए।