उपयोग
क्रैनबेरी (Cranberries) या करौंदा क्या है?
करौंदे को एक सुपरपावर वाला खाद्य पदार्थ कहा जाता है। इसमें फ्लेवोनॉयड, एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, ऑर्गेनिक एसिड, विटामिन-सी, पॉलिफेनॉलिक और डायटरी जैसे फायबर तत्व पाए जाते हैं, जो इसे पौष्टिक बनाते हैं। क्रैनबेरी हीथर फैमिली का मैंबर है और ब्लूबेरीज(blueberries), बिलबेरी (bilberries) और लिंगोनबेर (lingonberries) से रिलेटेड है। क्रैनबेरी का स्वाद खट्टा होता है इसलिए लोग इसे लोग कच्चा नहीं खाते हैं। करौंदे का सेवन लोग जूस के रूप में, चटनी के रूप में अधिक करते हैं। अगर क्रैनबेरी के जूस को अन्य फलों के साथ मिलाकर पिया जाए तो ये अधिक स्वादिष्ट हो जाता है। क्रैनबेरी बेस्ड प्रोडक्ट भी मार्केट में मिलते हैं जिनमे सॉस, सूखे क्रैनबेरी और क्रैनबेरी का पाउडर भी शामिल है।
इसके अलावा, यह मूत्र संक्रमण में भी काफी लाभकारी होता है। आमतौर पर लोग इसका इसका इस्तेमाल खाद्य पदार्थ के तौर पर करते हैं। भारतीय घरों में लोग इसका इस्तेमाल अचार बनाने या चटनी बनाने के लिए करते हैं। क्रैनबेरी जूस में ऑर्गेनिक एसिड होते हैं जो शरीर के लिए लाभकारी होते हैं। क्रैनबेरी का सेवन करने से बार-बार खाने की इच्छा नहीं होती है। अधिक वजन वाले लोग करौंदे का सेवन कर सकते हैं। ये शरीर को बहुत लाभ पहुंचाता है।
एक कप कच्चे क्रैनबेरी में (100 ग्राम) में पोषक तत्वों की मात्रा जानिए
- कैलोरी: 46
- वॉटर: 87%
- प्रोटीन: 0.4 ग्राम
- कार्ब्स: 12.2 ग्राम
- शुगर: 4 ग्राम
- फाइबर: 4.6 ग्राम
- वसा: 0.1 ग्राम
क्रैनबेरी (Cranberries) या करौंदे का इस्तेमाल किसलिए किया जाता है?
करोंदे (cranberry) में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (UTI) के इलाज में इस्तेमाल किया जाता है। करोंदें का जूस यूटीआई (UTIs) इंफेक्शन को रोकने में मदद तो करता है लेकिन इसको ठीक करने में ज्यादा प्रभावी नहीं है।
करोंदा (cranberry) न्यूरोजेनिक ब्लैडर यानी ब्लैडर संबंधी बीमारी के अलावा ऐसे लोग जिनको मूत्र नियंत्रण करने में कठिनाई होती है, उनके मूत्र की दुर्गंध को दूर करने में इस्तेमाल होता है। कुछ लोग यूरीन के फ्लो को बढाने, कीटाणुओं को मारने, त्वचा के घाव को जल्दी भरने और बुखार को कम करने में क्रैनबेरी का इस्तेमाल करते हैं।
कई लोग टाइप 2 डायबिटीज, क्रोनिक फटीग सिंड्रोम (chronic fatigue syndrome, CFS), स्कर्वी रोग, फेफड़े के चारों तरफ होने वाले इन्फ्लेमेशन और कैंसर आदि में क्रैनबेरी का इस्तेमाल करते हैं।
कब्ज की समस्या से राहत पाने के लिए क्रैनबेरी
क्रैनबेरी का जूस शरीर के लिए फायदेमंद होता है। क्रैनबेरी या करौंदे में फाइबर उचित मात्रा में पाए जाते हैं जो पाचन की क्रिया में मदद करते हैं। करौंदे में लिक्विड यानी पानी भी पाया जाता है। कब्ज की समस्या का सामना उन लोगों को अधिक करना पड़ता है जो लोग कम पानी पीते हैं और साथ ही कम मात्रा में फाइबर का सेवन करते हैं। क्रैनबेरी में दोनों ही पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। आप करौंदे का सेवन कई प्रकार से खाने के साथ कर सकते हैं। अगर आपको कब्ज की समस्या है तो बेहतर रहेगा कि आप दिन में आठ से दस ग्लास पानी पिए और साथ ही खाने में ऐसे फूड जरूर शामिल करें, जो फाइबर से भरपूर हो।
और पढ़ें : Black Pepper : काली मिर्च क्या है? जानिए इसके फायदे और साइड इफेक्ट
पेट के कैंसर और अल्सर की रोकथाम में काम आता है क्रैनबेरी
दुनियाभर में पेट के कैंसर से मरने वालों की संख्या अधिक है। हेलिकोबैक्टर पाइलोरी ( Helicobacter pylori) बैक्टीरिया के कारण स्टमक कैंसर का कारण, पेट में सूजन और अल्सर का कारण बन सकता है। क्रैनबेरी या करौंदे में प्रोएंथोसाइनिडिन्स (proanthocyanidins) नामक कम्पाउंड पाया जाता है जो हेलिकोबैक्टर पाइलोरी बैक्टीरिया को स्टमक की लाइनिंग से जुड़ने से रोकता है और साथ की कैंसर के खतरे को भी कम करने का काम करता है। करीब 189 लोगों में हुई स्टडी में ये बात सामने आई कि करीब 2.1 कप यानी 500 एमएल करौंदे के जूस का सेवन रोजाना करने से बैक्टीरिया का इंफेक्शन कम हो सकता है। वहीं एक अन्य स्टडी के दौरान 295 बच्चों को रोजाना 3 सप्ताह के लिए क्रैनबेरी रस का सेवन करने को कहा गया। फिर पाया गया कि करीब 17 % लोगों में बैक्टीरिया का इंफेक्शन कम हो गया।
दिल की बीमारी से छुटकारा दिलाए करौंदा
क्रैनबेरी में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो हार्ट के लिए फायदेमंद होती है। साथ ही इसमे एंथोसायनिन, प्रोन्थोसाइनिडिन और क्वेरसेटिन पाए जाते हैं। ह्युमन स्टडी में ये बात सामने आई है कि क्रैनबेरी जूस का सेवन करने से हार्ट डिजीज का रिस्क कम हो जाता है। क्रैनबेरी शरीर में गुड कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाने का काम करती है और साथ ही बेड कोलेस्ट्रॉल को कम करने का काम करती है। जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होती है, उनके लिए भी क्रैनबेरी का जूस फायदेमंद होता है। क्रैनबेरी जूस का सेवन करने से हाई ब्लड प्रेशर कम होता है। जिन लोगों को लो ब्लड प्रेशर की समस्या हो उन्हें करौंदे का सेवन करने से पहले एक बार हर्बल विशेषज्ञ से जानकारी जरूर लें।
इम्यून सिस्टम को करौंदा करता है मजबूत
करौंदे का उपयोग करने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। करौंदे में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी एलीमेंट बॉडी के इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। जो लोग बार-बार बीमार पड़ जाते हैं या फिर खांसी-जुकाम की समस्या हो जाती है, उन व्यक्तियों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। अगर करौंदे का सेवन उचित मात्रा में किया जाए तो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। एक बात का ध्यान रखें कि करौंदे का सेवन करने से पहले एक बार हर्बल एक्सपर्ट से जानकारी जरूर लें। अगर आपको किसी प्रकार की हेल्थ कंडीशन है तो बिना सलाह के किसी भी हर्बल सप्लीमेंट या फिर दवा का सेवन न करें।
हेयरफॉल रोकने के लिए करौंदे का सेवन
करौंदे के रस में विटामिन सी और विटामिन ए की मात्रा मुख्य रूप से पाई जाती है। जिन लोगों को हेयर फॉल की समस्या है या फिर जनिके बाल कमजोर है, उन्हें करौंदे का सेवन करना चाहिए। करौंदे के रस का सेवन करने से बालों के झड़ने की समस्या में भी राहत मिलती है। साथ ही ये हेयर ग्रोथ में भी हेल्प करता है। एक बात का ध्यान रखें कि हेयर फॉल कई कारणों की वजह से हो सकता है। अगर आपको थायरॉयड की बीमारी है तो भी हेयर फॉल की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा कि आप पहले अपनी जांच कराएं और डॉक्टर की सलाह को जरूर मानें।
क्रैनबेरी (Cranberries) या करौंदा कैसे काम करता है?
यह हर्बल सप्लीमेंट शरीर मे कैसे काम करता है इस बारे में अभी ज्यादा शोध मौजूद नहीं है। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए आप किसी डॉक्टर या किसी हर्बल विशेषज्ञ से संपर्क करें। हालांकि, कुछ शोध ऐसा मानते हैं कि क्रैनबेरी और इसकी तरह तमाम सब्जियों और फलों में पर्याप्त मात्रा में सैलिसिलिक एसिड पाया जाता है जोकि ऐस्प्रिन का एक महत्वपूर्ण इंग्रेडिएंट (ingredient) होता है।
करोंदा का जूस पीने से शरीर मे सैलिसिलिक एसिड की मात्रा बढ़ जाती है। आपको बता दें कि सैलिसिलिक एसिड सूजन को कम करता है, ब्लड क्लॉट को रोकता है और इसमें ढेर सारे एन्टी-ट्यूमर इफेक्ट्स भी होते हैं।
क्रैनबेरी में मुख्य रूप से कार्ब्स और फाइबर पाए जाते हैं। करौंदा में शुगर के रूप में सुक्रोज, ग्लूकोज और फ्रक्टोज पाए जाते हैं। बाकी करौंदे में इनसॉल्युबल फाइबर पाए जाते हैं। कुछ फाइबर जैसे कि पेक्टिन(pectin) , सेल्युलोज ( cellulose) और हेमिकेलुलोज (hemicellulose) आदि पाए जाते हैं। करौंदे या क्रैनबेरी में सॉल्युबल फाइबर भी पाए जाते हैं। करौंदे का अधिक सेवन शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है। क्रैनबेरी में विटामिन और मिनिरल्स भ पाए जाते हैं जो स्किन की मेंटिनेंस के साथ ही मसल्स और बोंस के लिए भी जरूरी होते हैं।
और पढ़ें : Cotton: कॉटन क्या है?
क्रैनबेरी से जुड़ी सावधानियां और चेतावनी
क्रैनबेरी (Cranberries) के इस्तेमाल से पहले मुझे क्या जानकारी होनी चाहिए?
क्रैनबेरी और उससे जुड़े पदार्थों को धूप और नमी से दूर रखना चाहिए।
क्रैनबेरी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन Urinary Tract Infection (UTI) को रोकने में प्रभावी है लेकिन इस बीमारी को पूर्णतः ठीक नहीं कर पाता है।
क्रैनबेरी का इस्तेमाल करते समय आपको जेनिटोयूरिनरी स्टेटस (genitourinary status) को मॉनिटर करना चाहिए: जैसे यूरिनरी फ्रीक्वेंसी(urinary frequency), हेजीटेंसी पेन (Hesitency Pain) या जलना आदि। यदि किसी को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Urinary Tract Infection) है, तो उस मरीज को एंटीबायोटिक थेरेपी का इस्तेमाल करना चाहिए।
हर्बल सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़े नियम दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की जरूरत है। इस हर्बल सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना जरूरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
कितना सुरक्षित है क्रैनबेरी (Cranberries) का सेवन?
ऐसे लोग जिनको कम मात्रा में मूत्र निकलने की समस्या हो या मूत्र न निकलने की समस्या हो या फिर जो लोग इस हर्ब (Herbs) के प्रति अतिसंवेदनशील हों, उनको क्रैनबेरी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
अगर किसी को यूरिनरी फ्रीक्वेंसी(Urinary Frequency), हेजिटेन्सी पेन(Hesitency Pain), या फिर जलन की समस्या है, तो ऐसे लोग एंटीबायोटिक थेरैपी की जगह पर क्रैनबेरी का इस्तेमाल न करें।
अगर आपको किडनी स्टोन की समस्या है, तो आप क्रैनबेरी से जुडे किसी भी पदार्थ या फिर क्रैनबेरी के जूस से परहेज करें।
और पढ़ें : Olive Oil : जैतून का तेल क्या है?
साइड इफेक्ट्स
करौंदे (Cranberries) के सेवन से मुझे क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
क्रैनबेरी के सेवन से कई तरह के साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे
- डायरिया की बीमारी (अधिक मात्रा में इस्तेमाल करने पर)
- अतिसंवेदनशीलता (Hypersensitivity Reactions)
परस्पर प्रभाव
क्रैनबेरी (Cranberries) या करौंदे के सेवन से अन्य किन चीजों पर प्रभाव पड़ता है?
क्रैनबेरी के सेवन से आपकी बीमारी या आप जो वतर्मान में दवाइयां खा रहे हैं उनके असर पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सेवन से पहले डॉक्टर से इस विषय पर बात करें। कुछ परस्पर प्रभाव इस प्रकार हैं,
वयस्कों- नीचे दी गईं दवाओं के साथ सावधानी बरतें।
वारफैरिन(Warfarin): वारफैरीन(कॉमाडीन, Coumadin), ब्लड क्लॉटिंग को धीमा कर देता है। आपको बता दें कि क्रैनबेरी शरीर में वारफैरिन को बढ़ा देता है जिसकी वजह से कटने और ब्लीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। आपको अपने ब्लड की जांच नियमित रूप से करानी चाहिए। आपके वारफैरीन की खुराक में बदलाव की जरूरत है।
और पढ़ें : Grains of paradise : स्वर्ग का अनाज क्या है?
लीवर से जुड़ी दवाइयां (साइटोक्रोम p450, 2C9(CYP2C9) सब्सट्रेट): कुछ दवाओं का स्वरूप लिवर के द्वारा बदल जाता है। आपको बता दें कि क्रैनबेरी लीवर की इस क्रिया को कम कर देता है। अगर आप ऐसी दवाओं के साथ जिनका स्वरूप लिवर द्वारा बदल जाता है, क्रैनबेरी का सेवन करते हैं, तो इन दवाओं के साइड इफेक्ट बढ़ सकते हैं। अगर आप ऐसी दवाएं ले रहे हैं जिनका स्वरूप लिवर के द्वारा बदल जाता है, तो ऐसी स्थिति में क्रैनबेरी का सेवन करने से पहले किसी हेल्थकेयर प्रोवाइडर से संपर्क करें।
वो दवाइयां जिनका स्वरूप लिवर के द्वारा बदल जाता है वो निम्नलिखित हैं,
एमीट्रिप्टीलीन (इलविल, Elavil), डायजेपॉम (वेलियम, Valium), जिलेउटान (जाइफ़्लो, Zyflo), सेलीकॉक्सिब (सेलेब्रेक्स, Celebrex), डिक्लोफेनेक (वोलटैरिन, Voltaren), फ्लूवास्टेटिन (लेस्कोल, Lescol), ग्लिपीजाइड (ग्लूकोट्रॉल, Glucotrol), आइबूप्रोफेन (ऐडविल, मोट्रीन), इर्बेसारटन (ऐवाप्रो, Avapro), लोसारटन (कोजार, Cozaar), फेनीटोइन ( डाईलैटिंन, Dillantin), पाईरोक्सिकेम (फेल्डन, Feldene), टैमोक्सिफेन (नोल्वाडेक्स,Nolvadex), टॉलब्यूटामाइड ( टोलीनेज, Tolinase), टोरसेमाइड (डेमाडेक्स, Demadex), वारफैरीन (कौमाडीन, Coumadin) एवं अन्य।
और पढ़ें : Aloe Vera : एलोवेरा क्या है?
क्रैनबेरी की खुराक
यहां पर दी गई जानकारी को डॉक्टर की सलाह का विकल्प न मानें। किसी भी दवा या सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
आमतौर पर कितनी मात्रा में क्रैनबेरी (Cranberries) का सेवन करना चाहिए?
कैप्सूल: रोजाना 400 से 500 mg की 9 से 15 कैप्सूल का सेवन किया जा सकता है।
जूस: रोजाना एक से दो कप क्रैनबेरी के जूस का सेवन कर सकते हैं।
इस हर्बल सप्लीमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग-अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
[embed-health-tool-bmi]