के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya
वेस्ट नील वायरस मच्छर जनित बीमारी है. यह वायरस मनुष्यों में घातक न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बन सकता है। इस वायरस से संक्रमित 80 से 85 प्रतिशत लोगों में इसके लक्षणों का पता नहीं लग पाता है। कुछ मामलों में यह वायरस छोटे बच्चों के लिए गंभीर हो सकता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ सकता है। इसलिए समय रहते वेस्ट नील वायरस इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरुआती स्थिति को समझ सकते हैं।
वेस्ट नील वायरस को लेकर अनुमान लगाया गया है कि यह लगभग संक्रमित लगभग 150 में से किसी 1 व्यक्ति में ही गंभीर रूप से प्रवेश करेगा। वेस्ट नील वायरस एक रेयर डिसॉर्डर है। यह महिला और पुरुष दोनों में समान प्रभाव डालता है। इस वायरस की पहचान 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में हुई थी। इस वायरस से संबंधित किसी भी तरह का कोई सवाल अगर आपके मन में है तो अपने डॉक्टर या स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।
वेस्ट नील वायरस एक मच्छर के काटने से इंसान के शरीर में घुसता है। वायरस शरीर में प्रवेश करने के बाद बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द, चक्कर आना, उल्टी आना और त्वचा पर निशान पड़ना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। वेस्ट नील वायरस पर हुए शोध में यह बात सामने आई है कि इस वायरस से पीड़ित लोगों को लंबे समय तक बुखार और सिर दर्द की समस्या हो सकती है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
यह भी पढ़ें- Chest Pain : सीने में दर्द क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। इस बात का ध्यान रखें कि वेस्ट नील वायरस हर किसी व्यक्ति पर अलग-अलग प्रभाव डालता है। इसलिए जरूरी है कि इनमें से कोई भी प्रभाव दिखने पर तुरंत अपने डॉक्टर से बातचीत करें। वेस्ट नील वायरस को लेकर आपके मन में किसी भी तरह का कोई सवाल है तो इस बारे में अपने डॉक्टर से सलाह लें।
और पढ़ें: Gaucher Diesease : गौशर रोग क्या है? जानें इसके लक्षण, कारण और निवारण
यह वायरस होने का मुख्य कारण पश्चिमी नील का विषाणु हैं। यह विषाणु सबसे पहले घोड़ों में पाए जाते थे। घोड़ों से यह विषाणु मच्छर की मदद से इंसानों पर पहुंच जाते हैं और इस तरह यह वायरस फैलता है। अब तक इस वायरस के अधिकतर मामले उत्तर अमेरिका में सामने आए हैं।
और पढ़ें: Pellagra : पेलाग्रा रोग क्या है?
इस वायरस से बुखार, सिर में दर्द, डिप्रेशन, स्किन पर लाल चकत्ते होने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर या नजदीकी अस्पताल में संपर्क करें।
और पढ़ें : अस्थमा के लिए ज़िम्मेदार हो सकती हैं ये चीजें
वेस्ट नील वायरस का पता लगाने के लिए मरीज को डॉक्टर के पास ले जाएं और सभी टेस्ट को विस्तार पूर्वक करवाएं।
और पढ़ें: दस्त होना कर देता शरीर का बुरा हाल, राहत पाने के लिए अपनाएं ये घरेलू उपाय
वेस्ट नील वायरस संक्रमण के लिए कोई विशिष्ट उपचार नहीं है। अधिक गंभीर मामलों में गहन अस्पताल देखभाल की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में डॉक्टरों द्वारा खास तरह की दवाईयां और ट्रीटमेंट दिया जाता है, ताकि वायरस किसी दूसरे व्यक्ति के शरीर में प्रवेश न करें। इस वायरस से पीड़ित मरीज को डॉक्टर द्वारा नसों से लिक्विड फू़ड दिया जाता है।
इंटरफेरोन थेरेपी: वेस्ट नील वायरस वायरस द्वारा उत्पन्न एन्सेफलाइटिस का इलाज करने के लिए अक्सर डॉक्टर इंटरफेरोन थेरेपी को अपनाते हैं। इस थैरेपी के दौरान मरीज को किसी भी तरह का खाना खाने की मनाही होती है। थेरेपी के दौरान मरीज को सिर्फ डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए तरल पदार्थों का ही सेवन करने दिया जाता है।
लेख में वेस्ट नील वायरस के बारे में जो जानकारी दी गई है उसे किसी भी तरह के मेडिकल सलाह के तौर पर ना लें। इस वायरस से संबंधित अगर कोई भी सवाल और ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
और पढ़ें: Huntington Disease : हनटिंग्टन रोग क्या है?
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे वेस्ट नील वायरस को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
कुछ मामलों में समय अनुसार दवा का सेवन करने के बाद भी वायरस के लक्षण कम नहीं हो सकते है। इससे राहत पाने के लिए आपको रोजाना के लाइफस्टाइल में थोड़ा सा बदलाव करने की आवश्यकता है।
वेस्ट नील वायरस के दौरान आपको किस तरह का खाना खाना है और कैसे शरीर को आराम देना है इस बारे में अगर आपके मन में कोई भी सवाल है तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
डिस्क्लेमर
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।