जब आपको बुखार आता है तो क्या आप जानते हैं कि बुखार किस कारण से आया है ? नहीं ना ! अगर बुखार का कारण जाने बिना ही दवा का सेवन कर लिया जाए तो कई बार ये शरीर को नुकसान पहुंचाने का काम भी कर सकती है। कई लोग वायरल फीवर में एंटीबायोटिक का सेवन कर लेते हैं। वायरल फीवर में एंटीबायोटिक का सेवन करना शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकता है। कई बार बुखार बैक्टीरिया के इंफेक्शन के कारण होता है तो ऐसे में एंटीबायोटिक लेना सही लेकिन वायरल फीवर में एंटीबायोटिक लेने से समस्या में राहत नहीं मिलती है।
वर्ल्ड एंटीबायोटिक अवेयरनेस वीक नवंबर महीने में सेलिब्रेट किया जाता है। ये सप्ताह लोगों को एंटीबायोटिक की जानकारी से अवगत कराने के लिए मानाया जाता है। बहुत से लोगों को एंटीबायोटिक दवा के बारे में जानकारी नहीं है जिसके कारण वो गलत दवा का सेवन कर लेते हैं। हम जो बीमारी है उसके अनुसार ही दवा का सेवन करना चाहिए। वायरल डिजीज को खत्म करने के लिए एंटीवायरल डोज लेने पड़ते हैं जबकि बैक्टीरिया के कारण उत्पन्न हुई बीमारी को खत्म करने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं की जरूरत पड़ती है। आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से एंटीबायोटिक दवाओं के बारे में अहम जानकारी देंगे।
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वायरल फीवर में एंटीबायोटिक का सेवन न करें
वायरल फीवर में एंटीबायोटिक लेने की सलाह नहीं दी जाती है। जब किसी व्यक्ति को वायरल फीवर होता है तो डॉक्टर कुछ एंटीवायरल ड्रग लेने की सलाह देते हैं जिससे वायरल इंफेक्शन धीमे-धीमे कम हो जाता है। वायरस से होने वाली माइनर डिजीज के लिए डॉक्टर खाने में अधिक लिक्विड लेने की सलाह दे सकता है। यहीं वायरल डिजीज को खत्म करने का ट्रीटमेंट होता है। वायरल डिजीज में एंटीबायोटिक लेने बाद में बैक्टीरियल इंफेक्शन के चांसेज बढ़ जाते हैं। साथ ही बाद में जब एंटीबायोटिक ली जाती है तो ट्रीटमेंट के दौरान सुधार भी नहीं नजर आता है।
सीडीसी की स्टडी में ये बात सामने आई है कि बहुत से एडल्ट फीवर होने पर एंटीबायोटिक का उपयोग करते हैं। स्टडी के बाद ये बात सामने आई कि अधिकतर लोगों को एंटीबायोटिक के उपयोग के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग करने से एंटीबायोटिक रेसिस्टेंट (Antibiotic Resistance) की समस्या हो सकती है। बेहतर होगा कि डॉक्टर की सलाह पर ही एंटीबायोटिक का उपयोग करें।
एंटीबायोटिक रसिस्टेंस (Antibiotic Resistance) का क्या मतलब होता है?
जो लोग ज्यादा एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं उनमे एंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic Resistance) की समस्या पैदा हो जाती है। इस समस्या के कारण एंटीबायोटिक की प्रभावशीलता कम होने लगती है। अगर कोई व्यक्ति ज्यादा एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करेगा तो एक समय ऐसा आएगा कि बैक्टीरिया का इंफेक्शन होने पर भी एंटीबायोटिक का प्रभाव नहीं दिखाई पड़ेगा। ऐसे में व्यक्ति पर एंटीबायोटिक का असर धीमे-धीमे कम होने लगेगा। ऐसी अवस्था में व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत भी पड़ सकती है। साथ ही व्यक्ति को हाई डोज एंटीबायोटिक देनी पड़ती है। ऐसे व्यक्ति के आसपास के लोग भी रसिस्टेंस बैक्टीरिया प्राप्त कर सकते हैं और इस तरह की समस्या का सामना भी उन्हें करना पड़ सकता है।
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एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कब करना चाहिए ?
एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन सभी प्रकार की बीमारियों में नहीं किया जाता है। स्पेसिफिक हेल्थ प्रॉब्लम से छुटकारा पाने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग किया जाता है। जानिए डॉक्टर कब आपको एंटीबायोटिक मेडिसिन लेने की सलाह दे सकता है।
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कान के दर्द में एंटीबायोटिक का यूज
कान के दर्द के कई कारण हो सकते हैं। कान का दर्द बैक्टीरिया या फिर वायरस दोनों के कारण भी हो सकता है। अगर आपको कान में दर्द की समस्या 72 घंटे से अधिक रहती है तो आपको डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए। अगर आपको कान में बैक्टीरियल इंफेक्शन है तो डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकता है।
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एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग : साइनस इंफेक्शन में एंटीबायोटिक का यूज
अगर किसी व्यक्ति को लंबे समय से स्थायी या गंभीर साइनस इंफेक्शन है तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं को लेने की सलाह दे सकता है। अगर किसी व्यक्ति को थिक और ग्रीन म्यूकस यानी बलगम आ रहा है तो उसे आपको साइनस संक्रमण होने की संभावना नहीं है। आपको अगर किसी भी तरह की समस्या महसूस हो रही है तो बेहतर होगा कि एक बार डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।
खांसी या ब्रोंकाइटिस की समस्या में
अगर आपको लगातार खांसी आ रही है और साथ ही ब्रोंकाइटिस की समस्या है तो ऐसे में वायरल इंफेक्शन का ही खतरा होता है। वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक का सेवन नहीं करना चाहिए। वायरल इंफेक्शन एक निश्चित समय तक रहता है और फिर खत्म हो जाता है। ऐसे में एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन आपको लाभ नहीं पहुंचाएगा।
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गले में खराश की समस्या
गले में खराश वायरस के इंफेक्शन की वजह से हो सकती है। अगर ऐसे में कोई व्यक्ति एंटीबायोटिक लेता है तो उसे लाभ नहीं मिलेगा। वहीं स्ट्रेप थ्रोट की समस्या में एंटीबायोटिक ली जा सकती है और ये गले की खराश में आराम भी दिलाती है। गले की खराश होने पर डॉक्टर जांच कर सकता है और फिर एंटीबायोटिक लेने की सलाह दे सकता है।
जुकाम या फिर फ्लू होने पर
ऐसा देखा गया है कि वायरल फीवर होने पर एंटीबायोटिक का सेवन करते हैं, जो कि गलत है। जुकाम और फ्लू वायरस के कारण होता है। ये समस्या दो सप्ताह तक रह सकती है। एंटीबायोटिक्स का सर्दी या फ्लू पर कोई असर नहीं होता है। अगर आपको वायरल फीवर या फिर फ्लू हुआ है तो डॉक्टर से जांच कराएं।
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एंटीवायरल ड्रग क्या हैं ?
जिस तरह से एंटीबायोटिक दवाएं बैक्टीरिया जनित रोग को ठीक करने का काम करती है ठीक वैसे ही एंटीवायरल ड्रग वायरस के लक्षणों को कम करता है। एंटीवायरल ऐसी मेडिसिन होती हैं जो फ्लू और वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकने का काम करती है। सीडीसी ने ‘एंटीवायरल ड्रग को फ्लू के अगेंस्ट सेकेंड लाइन डिफेंस (second line of defense against the flu)’ माना है। जबकि फस्ट लाइन एनुअल फ्लू वैक्सीन को माना है। एंटीवायरल का सेवन करने से शरीर में वायरस के कारण दिखने वाले लक्षणों में कमी आती है।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको किसी भी प्रकार की बीमारी है तो बेहतर होगा कि सबसे पहले डॉक्टर से जांच जरूर कराएं। डॉक्टर जांच के बाद तय करता है कि व्यक्ति को एंटीबायोटिक दवाओं की जरूत है या फिर नहीं। आप बिना जानकारी के बुखार में दवाओं का सेवन न करें। बिना जानकारी के एंटीबायोटिक मेडिसिन का सेवन करने से शरीर में दुष्प्रभाव भी दिखाई पड़ सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से जानकारी जरूर लें।