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रोजवुड आयल जिसका बोटोनिकल नाम बायो डी रोज ऑयल है, जिसे शीशम के नाम से भी जाना जाता है। शीशम के पेड़ की लकड़ी जहां फर्नीचर बनाने में इस्तेमाल होती है, वही इसके तने से निकाले गये तेल को रोजवुड आयल के नाम से जाना जाता है। ब्राजील और पेरू में इसे आनिबा रोसाइओडोरा (Aniba rosaeodora) के नाम से भी जाना जाता है। ये एक एसेंशियल (essential) ऑयल है, जिसको एरोमा थेरिपी के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। रोजवुड आयल मांसपेशियों की मालिश करने में इस्तेमाल होता है। ये मांसपेशियों को ढीला कर के दर्द में आराम पहुंचता है।
रोजवुड आयल की खुशबू तनावमुक्त कर के एक सुकून की अनुभूति करवाती है, इसलिए इसका इस्तेमाल परफ्यूम और कॉस्मेटिक बनाने में भी होता है।
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रोजवुड आयल में अल्फा-पेनी(alpha-pinene) कंटेंट होता है, जो इसको एक असरकारक एंटी-बायोटिक प्रॉपर्टीज देता है, और रोज़वुड में मौजूद बाकी के रसायन (chemical) जेरेनियल(geraniol), नेरोल(nerol) , 8-सिनेऑल (8-cineole), लिनलोल(linalool) और लिमुनिन(limonene) मांसपेशियों के टिश्यू को ढीला कर के आराम पहुंचते हैं।
शोधो में ये भी पता चला है की रोज़वुड आयल, कैंसर के पहले (stage0) और कैंसर के सेल को बिना किसी नुकसान के ख़तम करने की क्षमता रखता है अगर इसे सीधे प्रभावित सेल की जगह पर लगाया जाये।
रोज़वुड आयल को मालिश के अलावा, सीधे नाक से सूंघ कर और पानी के भाप के जरिये भी शरीर में पहुंचाया जाता है।
रोजवुड आयल अपने सुगंध की वजह से एरोमा थेरिपी में और आयुर्वेद में इस्तेमाल किया जाता है, पर इसका उपयोग इतने तक ही सीमित नहीं है।
रोज़वुड आयल एक सौम्य एनाल्जेसिक सत्व से निहित होता है, जिसके कारण ये किसी भी प्रकार के दर्द को काम करता है जैसे सरदर्द, जोड़ो का दर्द, दांतो का दर्द, और मांसपेशियों का दर्द।
एक रिसर्च के मुताबिक रोज़वुड आयल खून में मौजूद स्ट्रेस हॉर्मोन कोर्टिसोल (stress hormone cortisol) को कम कर सकता है। लैब में चूहों पर किये गए रिसर्च में ये बात साबित हुई। एक दूसरी शोध में ये पाया गया कि प्लेसिबो आयल कि तुलना में रोज़वुड आयल मांसपेशियों को रिलैक्स करने में ज्यादा असरकारक है।
एरोमा थेरेपी के प्रैक्टिसनर ये मानते हैं कि मेनोपॉज़ तथा उसके सिम्पटम्स को कम करने में मदद करता है जैसे कि हॉट फ्लैशेस, बेचैनी (एंग्जायटी), नाईट स्वीट्स(night sweats), and लो लिबिडो(low libido)
कुछ स्टडी में ये बात सामने आयी है कि रोज़वुड आयल, न्यूरोड़ेगेनेरेटिव डिसऑर्डर(neurodegenerative disorder) के लक्षणों को भी धीमा कर सकता है। न्यूरोड़ेगेनेरेटिव डिसऑर्डर(neurodegenerative disorder) जैसे कि अल्झाइमर, इंसान के यादशक्ति और तर्कसंगत वाले दिमागी हिस्से को प्रभावित करता है।
रोज़वुड आयल में मौजूद एंटी-बायोटिक घाव को भरने में असरकारक है, और दर्द को कम कर और संक्रमण को भी रोकने में कारगर है। ये घाव को जल्दी भरने में भी मदद करता है।
रोज़वुड आयल को सूंघने से सर्दी और खांसी में राहत मिलती है। इसके साथ ही ये ब्रोन्कियल (bronchial) यानि स्वास सम्बंधित समस्या जैसे की अस्थमा में असरकारक है।
रोज़वुड आयल के माध्यम खुशबू के वजह से काफी बार इसे खाने में फ़ूड एस्सेंस की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है
रोजवुड आयल सदियों से एसेंशियल आयल की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। त्वचा के काफी सारी तकलीफो तथा दर्द में भी काफी असरकारक है, लेकिन इस से होने वाले साइड इफेक्ट्स के बारे में ज्यादा तथ्य उपलब्ध नहीं हैं।
बरसो से रोज़वुड आयल तथा बाकि एसेंशियल आयल गर्भावस्था में होने वाले दर्द में राहत दिलाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ये भी माना जाता हैं की इसकी मनमोहक खुशबू और तनाव कम करने वाले गुण, भ्रूण को विकसित होने में सहायक होते हैं। फिर भी इस बात के कोई भी पुख्ता वैज्ञानिक तथ्य नहीं होने की वजह से इसे डॉक्टरों द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। ऐसे में गर्भावस्था और स्तनपान में रोज़वुड आयल को इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर से मशवरा करने की सलाह दी जाती हैं।
रोज़वुड आयल को लेने का डोज़ मुख्य रूप से काफी बातों पर निर्भर करता है जैसे की इसे लेने वाले की उम्र, उसका स्वास्थ्य और भी संभावित बातें। रोज़वुड के बारे में किसी भी प्रकार का वैज्ञानिक तथ्य उपलब्ध नहीं होने के वजह से इस बारे में ज्यादा कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, परन्तु कई प्राकृतिक औषधि या प्रोडक्ट भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होते हैं। ऐसी अवस्था में रोज़वुड के प्रोडक्ट इस्तेमाल न करना ही उचित रहेगा या फिर इसके इस्तेमाल के पहले डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
तेल की एक बूँद को टिश्यू पेपर पर डालें। अगर तेल एक बड़ी जगह में फ़ैल जाता है तो ये शुद्ध रोज़वुड आयल नहीं है और सस्ते वनस्पति तेल की इसमें मिलावट है। ऐसे तेल को ना ख़रीदे।
एसेंशियल आयल बेहद महंगे होते हैं, तो अगर आपको कोई विक्रेता कम दाम पर तेल दे रहा है तो वो निसंदेह उसकी गुणवत्ता (quality) ख़राब होगी।
एसेंशियल आयल सस्ते प्लास्टिक बोतल में नहीं आते, इसलिए प्लास्टिक बोतल की पैकेजिंग को नज़र अंदाज़ करना चाहिए।
काफी सारी निर्माता अधिक बिक्री के लिए क्लीनिकल ग्रेड को लिखते हैं, जो की सही नहीं है क्योकि रोज़वुड आयल को किसी भी प्रकार की क्लीनिकल ग्रेडिंग नहीं दी जा सकती है। ऐसे प्रोडक्ट नकली या मिलावटी हो सकते हैं।
रोज़वुड आयल के किसी भी प्रकार के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है, पर फिर भी इसे गर्भवती और स्तनपान करवानी वाली महिलाओं तथा बच्चो पर बिना डॉक्टर के परामर्श के इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। रोज़वुड आयल काफी प्रबल असर रखता है, जिसकी वजह से इसे बहुत छोटे बच्चो पर इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है।
इसके अलावा जिन लोगो की त्वचा अधिक संवेदनशील होती है, उन्हें भी इसके इस्तेमाल से दूर रहना चाहिए। अगर इसके इस्तेमाल से किसी भी प्रकार का जलन या परेशानी लगे तो इसका इस्तेमाल तुरंत बंद कर देना चाहिए और डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
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