परिचय
नीम भारत मे पाया जाने वाला एक ऐसा पेड़ है जिसकी छाल, पत्ती, बीज, जड़, फूल और फल आदि सभी दवाओं के रूप में इस्तेमाल होते हैं। आइये इनमें से प्रत्येक के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नीम भारत मे पाया जाने वाला एक ऐसा पेड़ है जिसकी छाल, पत्ती, बीज, जड़, फूल और फल आदि सभी दवाओं के रूप में इस्तेमाल होते हैं। आइये इनमें से प्रत्येक के बारे में विस्तार से जानते हैं।
नीम की पत्ती (Neem leaves): इसकी पत्ती कुष्ठ रोग, आंखों की बीमारी, नाक से बहने वाले खून, आंतो के इन्फेक्शन, पेट खराब होने, भूख ना लगने, त्वचा से जुड़े अल्सर, हृदय संबंधी बीमारी, बुखार, डायबिटीज, मसूड़ों की बीमारी और लीवर संबंधी बीमारियों में इस्तेमाल होती है। इसके अलावा यह बर्थ कंट्रोल और अबोर्शन (Abortion) कराने में भी इस्तेमाल होती है।
नीम की छाल (Bark of Neem): इसकी छाल मलेरिया, पेट और आंतों के अल्सर, त्वचा संबंधी बीमारियों, दर्द और बुखार आदि में इस्तेमाल होती है।
नीम का फूल (Flower of Neem): इसका फूल पित्त को कम करने, कफ को नियंत्रित करने और आंतों के इंफेक्शन को ठीक करने में इस्तेमाल होता है।
नीम का फल (Fruits of Neem): इसका फल बवासीर, आंतो के इंफेक्शन, यूरिनरी ट्रैक्ट डिसॉर्डर (urinary tract disorders), नाक से बहने वाले खून, कफ़, आंखों की बीमारी, डायबिटीज, घाव और कुष्ठ रोग में इस्तेमाल होता है।
नीम की टहनियां: इसकी टहनियां कफ, अस्थमा, बवासीर, आंतो के इंफेक्शन, स्पर्म कम होने, यूरिनरी डिसॉर्डर और डायबिटीज में इस्तेमाल होती हैं। इसकी टहनियों को टूथब्रश की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
नीम के बीज और उसका तेल: इसके बीज और उसका तेल कुष्ठ रोग और आंतों के इन्फेक्शन में इस्तेमाल होता है। इसके अलावा यह बर्थ कंट्रोल (birth control) और अबोर्शन (Abortion) में इस्तेमाल होता है।
नीम का तना (Stem), जड़ और फल: इसका तना, जड़ और फल टॉनिक और एस्ट्रिंजेंट (Astringent) के रूप में इस्तेमाल होता है।
इसके अलावा कुछ लोग सिर के जूं को दूर करने, त्वचा की बीमारियों, घाव, स्किन अल्सर, मच्छर को भगाने, और स्किन को मुलायम रखने के लिए नीम को सीधे त्वचा पर इस्तेमाल करते हैं।
इसके और भी उपयोग हैं। इस बारे में ज्यादा जानकारी में लिए अपने डॉक्टर या फार्मासिस्ट से संपर्क करें।
इसमें कुछ केमिकल पाये जाते हैं जो ब्लूड शुगर लेवल को कम करने, पाचन तंत्र के अल्सर को भरने, कॉन्सेप्शन (Conception) को रोकने, बैक्टीरिया को मारने और मुंह मे बनने वाले प्लाक (Plaque) को रोकने का काम करते हैं। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर और हर्बल विशेषज्ञ से संपर्क करें।
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इसका इस्तेमाल करने से पहले आपको डॉक्टर या फार्मासिस्ट या फिर हर्बल विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, यदि
हर्बल सप्लीमेंट के उपयोग से जुड़े नियम दवाओं के नियमों जितने सख्त नहीं होते हैं। इनकी उपयोगिता और सुरक्षा से जुड़े नियमों के लिए अभी और शोध की ज़रुरत है। इस हर्बल सप्लीमेंट के इस्तेमाल से पहले इसके फायदे और नुकसान की तुलना करना ज़रुरी है। इस बारे में और अधिक जानकारी के लिए किसी हर्बल विशेषज्ञ या आयुर्वेदिक डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चों में
इसके बीज या उसके तेल को मुंह से लेना बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं है। इसके तेल को लेने के एक घन्टे के अंदर नवजात शिशु और छोटे बच्चों में गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
गर्भावस्था और स्तनपान के दौरान (During pregnancy and breastfeeding)
प्रेगनेंसी में समय मुंह के द्वारा नीम के तेल और नीम के छाल का सेवन करना सुरक्षित नहीं है। इससे गर्भपात होने का खतरा बढ़ सकता है।
स्तनपान के दौरान नीम के इस्तेमाल को लेकर ज्यादा जानकारी मौजूद नहीं है इसलिए इसके सेवन से परहेज करें।
सर्जरी (Surgery)
नीम आपके ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। आपको बता दें कि सर्जरी के बाद और सर्जरी के दौरान अगर नीम का सेवन करते हैं तो ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए सर्जरी शुरू होने के कम से कम दो हफ्ते पहले से ही इसके सेवन को बंद कर देना चाहिए।
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इसके सेवन से निम्नलिखित गंभीर साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं जैसे,
हालांकि हर किसी को ये साइड इफ़ेक्ट हों ऐसा ज़रुरी नहीं है। कुछ ऐसे भी साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं जो ऊपर बताए नहीं गए हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी साइड इफ़ेक्ट महसूस हो या आप इनके बारे में और जानना चाहते हैं तो नज़दीकी डॉक्टर से संपर्क करें।
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इसके सेवन से आपकी बीमारी या आप जो वतर्मान में दवाइयां खा रहे हैं उनके असर पर प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए सेवन से पहले डॉक्टर से इस विषय पर बात करें।
निम्नलिखित दवाइयों और बीमारियों पर नीम का प्रभाव पड़ सकता है।
लिथियम (Lithium)
यह वाटर पिल (Water Pill) या डाईयूरेटिक की तरह काम करता है। इसके सेवन से शरीर से लिथियम का निकलना कम होता है जिससे इसकी मात्रा शरीर मे बढ़ सकती है। आपको बता दें कि इसके गंभीर साइड इफेक्ट्स होते है। अगर आप लिथियम का इस्तेमाल करते हैं तो इसका सेवन करने से पहले हेल्थ प्रोवाइडर से जरूर संपर्क करें। आपके लिथियम की खुराक में बदलाव की जरूरत है।
डायबिटीज की दवाइयां (एंटी-डायबिटिक ड्रग्स)
यह ब्लड शुगर को कम करता है और डायबिटीज की दवाइयां भी यही काम करती हैं। इसलिए अगर आप डायबिटिक दवाओं के साथ इसका सेवन करते हैं तो इससे आपका ब्लड शुगर लेवल और भी कम हो जाएगा। अपने ब्लड शुगर की जांच करवाते रहिये। हो सकता है कि डायबिटीज की दवाओं की खुराक में बदलाव की जरूरत हो।
डायबिटीज से जुड़ी कुछ दवाइयां इस प्रकार हैं, ग्लिमिपिराइड (Glimepiride) ऐमारिल (Amaryl), ग्लाइबुराइड (डायाबीटा, ग्लाइनेज प्रेस टैब, माइक्रोनेज), इंसुलिन, पॉयोग्लिटाजोन (एक्ट्स, Actos), रोसीग्लिटाज़ोन (ऐवान्डिया, Avandia), क्लोरपोपामाइड (डायाबिनीज, Diabinese), ग्लिपिजाइड ( ग्लूकोट्रोल, Glucotrol), टॉलब्यूटामाइड (ओरीनेज, Orinase) एवं अन्य।
इम्यून सिस्टम को कम करने वाली दवाइयां (इम्युनोसप्रेसेंट, Immunosuppressant)
यह शरीर के इम्यून सिस्टम को बढाने का काम करता है। लेकिन इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए नीम उन दवाइयों के प्रभाव को कम कर देता है जो इम्यून सिस्टम को कम करती हैं।
इम्यून सिस्टम को कम करने वाली दवाइयां इस प्रकार हैं, ऐजाथियोप्रीन (इम्यूरन, Imuran), बैसिलिक्सीमैब (सिमुलेक्ट, simulect), साइक्लोस्पोरिन (निओरल, Neoral, सैंडिम्यून, Sandimmune), डेक्लिजुमैब (जेनापैक्स, Zenapax), मुरोमोनैब सी डी3 (ओके टी3, OKT3, ऑर्थोक्लोन ओके टी3), माइकोफिनोलेट (सेलसेप्ट, Cellcept), टैक्रोलिमस ( एफ के 506, प्रोग्राफ), सिरोलिमस (रेपाम्यून, Rapamune), प्रेडनीसोन (डेल्टासोन, ओरासोन), कॉर्टिकोस्टेरॉइड (ग्लूकोकॉर्टिकोइड) एवं अन्य।
यह इम्यून सिस्टम को और अधिक एक्टिव कर देता है जिससे ऑटो-इम्यून डिसीज (auto-immune diseases) के लक्षण बढ़ जाते हैं। अगर आपको ऑटो-इम्यून डिसीज (auto-immune diseases) जैसे मल्टीपल स्क्लेरोसिस (एमएस), ल्युपस (सिस्टेमिक ल्युपस ऐरिथमैटोसस (systemic lupus erithematosus), रयूमेटाइड आर्थराइटिस(rheumatoid arthritis) आदि की समस्या हो तो आप नीम का सेवन ना करें।
डायबिटीज
इसके सेवन से ब्लड शुगर लेवल बहुत ज्यादा कम हो जाता है इसलिए अगर आप डायबिटिक हैं और नीम का सेवन करते हैं तो अपने ब्लड शुगर का रेगुलर जांच करवाएं।
बच्चा होने की क्षमता कम होती है
कुछ शोध यह मानते हैं कि इसके सेवन से स्पर्म को नुकसान होता है जिससे फर्टीलिटी कम हो जाती है। यदि आप बच्चा चाहते हैं तो नीम का सेवन करने से परहेज करें।
ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant)
नीम ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ transplant) में इस्तेमाल होने वाली दवाओं के असर को कम कर देता है। इसलिए अगर आपका ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ transplant) हो रहा है तो इसका सेवन ना करें।
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यहां पर दी गई जानकारी को डॉक्टर की सलाह का विकल्प ना मानें। किसी भी दवा या सप्लीमेंट का इस्तेमाल करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह ज़रुर लें।
नीम की छाल का एक्सट्रैक्ट (Neem bark extract)
जिन लोगों को एसिड से सम्बंधित समस्या हो और जिन्हें अल्सर हो उन्हें रोजाना दो बार दस दिन तक 30 mg नीम की छाल का एक्सट्रैक्ट इस्तेमाल करना चाहिए।
अगर दस हफ्तों तक रोजाना दो बार 30 से 60 mg इसका इस्तेमाल करते हैं तो ड्यूओडनल अल्सर (Duodenal ulcers) में सुधार होता है।
अगर छह हफ्तों तक रोजाना दो बार 30 mg नीम की छाल का एक्सट्रेक्ट इस्तेमाल करते हैं तो इसोफेगल अल्सर (Esophageal ulcer) और गैस्ट्रिक अल्सर में आराम मिलता है।
नीम का तेल: (Neem oil)
वयस्कों में इसकी मात्रा 0.2 ml/kg निर्धारित की गई है।
नीम कैप्सूल: (Neem Capsule)
एक महीने तक रोजाना दो या तीन बार एक से दो कैप्सूल भोजन करने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है।
इस हर्बल सप्लीमेंट की खुराक हर मरीज के लिए अलग हो सकती है। आपके द्वारा ली जाने वाली खुराक आपकी उम्र, स्वास्थ्य और कई चीजों पर निर्भर करती है। हर्बल सप्लीमेंट हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए सही खुराक की जानकारी के लिए हर्बलिस्ट या डॉक्टर से चर्चा करें।
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डिस्क्लेमर
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