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ऑलिव के पेड़ की पत्तियों और फलों से निकले लिक्विड को ऑलिव ऑयल कहा जाता है। इसका इस्तेमाल दवाईयां और खाना बनाने के लिए किया जाता है। ऑलिव ऑयल का बोटेनिकल नाम ओलिया यूरोपा एल. (Olea europaea L.) है, जो कि ओलियसी (Oleaceae) फैमिली का है। ऑलिव ऑयल को हार्ट अटैक और स्ट्रोक (cardiovascular disease), ब्रैस्ट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ओवेरियन कैंसर और माइग्रेन आदि से बचाव के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
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जैतून का तेल इस्तेमाल किया जाता है:
जैतून का तेल कैसे काम करता है, इस बारे में अभी पर्याप्त जानकारी नहीं हैं। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से बात करें। हालांकि, कुछ अध्ययन में ये बात सामने आई है कि जैतून के तेल में मौजूद फैटी एसिड, कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है।
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जैतून के बीजों को पीसकर ऑलिव ऑयल निकाला जाता है। इस तेल में लगभग 14 फीसदी मोनोअनसैचुरेटेड फैट और 11 फीसदी पॉलीअनसैचुरेटेड फैट जैसे कि ओमेगा 6 फैटी एसिड और ओमेगा 3 फैटी एसिड मौजूद होता है।
मोनोअनसैचुरेटेड एसिड में सबसे ज्यादा ओलिएक एसिड पाया जाता है, जो कि कुल 73 फीसदी होता है। अध्ययनों की मानें तो ओलिएक एसिड सूजन को कम करता है और यह कैंसर पैदा करने वाले जीन्स पर भी लाभकारी असर डालता है।
एक्स्ट्रा वर्जिन ऑयल बहुत पौष्टिक होता है। फैटी एसिड के अलावा इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन-ए और विटामिन-के भी होता है। लेकिन ऑलिव ऑयल शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट्स से युक्त होता है। ये एंटीऑक्सीडेंट्स जैविक रूप से सक्रिय होते हैं और लंबी बीमारियां होने के खतरे को कम कर सकते हैं। ये सूजन से लड़ने और ऑक्सीडेशन की वजह से होने वाले ब्लड कोलेस्ट्रोल से भी बचाने में मदद करता है।
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कैंसर, ह्रदय रोगों, मेटाबॉलिक सिंड्रोम, टाइप 2 डायबिटीज, अल्जाइमर, अर्थराइटिस और ओबेसिटी का कारण लंबे समय से चली आ रही सूजन होती है। एक्स्ट्रा वर्जिन ऑयल सूजन को कम कर सकता है। इसमें मौजूद ओलिओकैंथल एंटी-इंफ्लमेट्री दवा आईबूप्रोफेन की तरह काम करता है।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि 3.4 चम्मच यानी पचास मिली एक्स्ट्रा ऑलिव ऑयल में इतना ओलिओकैंथल होता है, जो कि इबूप्रोफेन की तरह ही असर कर सकता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि जैतून के तेल में पाया जाने वाला प्रमुख फैटी एसिड यानी ओलिक एसिड सी रिएक्टिव प्रोटीन यानी सीआरपी जैसे सूजन पैदा करने वाले कारकों को कम कर सकता है। एक अध्ययन में भी सामने आया है कि ऑलिव ऑयल में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स कुछ जीन्स और प्रोटीन सूजन पैदा करने से रोकते हैं।
मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बाधित होने पर स्ट्रोक आता है। कई अध्ययनों में ऑलिव ऑयल और स्ट्रोक के खतरे के बीच संबंध पाया गया है। 841,000 लोगों पर किए गए अध्ययनों के रिव्यू में पाया गया है कि ऑलिव ऑयल में पाए जाने वाले मोनोअनसैचुरेटेड फैट स्ट्रोक और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद करता है।
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दुनियाभर में न्यूरोडिजेनरेटिव स्थितियों में से सबसे आम अल्जाइमर है। इसमें मस्तिष्क की कोशिकाओं के अंदर बीटा एमिलोइड जम जाता है।
चूहों पर किए गए एक अध्ययन में सामने आया है कि ऑलिव ऑयल में मौजूद तत्वों में इन प्लाक को हटाने की शक्ति होती है। मनुष्यों पर की गई एक अन्य स्टडी में पता चला कि ऑलिव ऑयल से युक्त मेडिटेरेनियन डायट दिमाग को लाभ पहुंचाती है। हालांकि, अल्जाइमर पर जैतून के तेल के प्रभाव को लेकर अभी और रिसर्च की जाने की जरूरत है।
टाइप 2 डायबिटीज से बचाने में ऑलिव ऑयल को बहुत असरकारी माना गया है। कुछ अध्ययनों में ब्लड शुगर और इंसुलिन सेंसिटिविटी पर जैतून के तेल का सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
एक क्लीनिकल ट्रायल में 418 स्वस्थ लोगों को ऑलिव ऑयल से लाभ हुआ। इस स्टडी में ऑलिव ऑयल युक्त मेडिटेरेनिय डायट 40 फीसदी टाइप 2 डायबिटीज का खतरा कम कर सकती है।
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अपने डॉक्टर या फार्मसिस्ट से परामर्श करें, यदि:
किसी भी हर्बल सप्लीमेंट के सेवन के नियम उतने ही सख्त होते हैं, जितने कि अंग्रेजी दावा के। सुरक्षा के लिहाज से अभी इसमें और अध्ययन की जरूरत है। जैतून के तेल से होने वाले फायदे से पहले आपको इसके खतरों को समझ लेना चाहिए। ज्यादा जानकारी के लिए अपने हर्बलिस्ट से बात करें।
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गर्भावस्था और स्तनपान: यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैं, तो ऐसे में जैतून के प्रोडक्ट आपके लिए कितने सुरक्षित हैं। अभी इस बात की पर्याप्त विश्वसनीय जानकारी नहीं है।
मधुमेह: जैतून का तेल ब्लड के शुगर लेवल को कम कर सकता है। डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को जैतून के तेल के इस्तेमाल से पहले अपने ब्लड शुगर की जांच करानी चाहिए।
सर्जरी: जैतून का तेल ब्लड शुगर लेवल पर असर डाल सकता है। सर्जरी के दौरान और उसके बाद ऑलिव ऑयल के इस्तेमाल से ब्लड शुगर के कंट्रोल पर असर पड़ सकता है। सर्जरी से दो हफ्ते पहले ही जैतून का तेल लेना बंद कर दें।
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ऑलिव ऑयल का सेवन करने परः बहुत ही कम मामलों में ऑलिव ऑयल का सेवन करने पर जी मिचलाना जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
सांस द्वारा लेने परः ऑलिव का पेड़ पोलेन का उत्पादन करता है, जो कि कुछ लोगों में सीजनल रेस्पेरेटरी एलर्जी का कारण बन सकता है।
त्वचा पर लगाने परः जैतून के तेल से आपको एलर्जी या त्वचा के संपर्क में आने से रिएक्शन जैसे सूजन या किसी चर्म रोग की समस्या हो सकती है।
सभी को इन लिस्टेड साइड इफेक्ट का अनुभव नहीं होता है। साइड इफेक्ट दूसरे तरीके के भी हो सकते हैं। यदि आपको साइड इफेक्ट के बारे में कोई चिंता है, तो कृपया अपने हर्बलिस्ट या डॉक्टर से परामर्श करें।
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जैतून का तेल आपकी दवाओं और मेडिकल कंडीशंस पर विपरीत प्रभाव डाल सकता है। इस्तेमाल से पहले अपने डॉक्टर से राय अवश्य ले लें।
जैतून का तेल ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है। मधुमेह की दवाओं का इस्तेमाल ब्लड शुगर को कम करने के लिए भी किया जाता है। मधुमेह की दवाओं के साथ जैतून का तेल लेने से आपका ब्लड शुगर बहुत ज्यादा कम हो सकता है। अपने ब्लड शुगर को बारीकी से मॉनिटर करें। ऐसे में आपको अपनी मधुमेह की दवा की डोज को बदलना पड़ सकता है।
हाई ब्लड प्रेशर के लिए दवाएं
कैप्ट्रिल (द कैटोटेन), एनालापिल (वासोटेक), लॉसर्टन (कोज़र), वल्सर्टन (डाइवन), डिल्टियाज़ेम (कार्डिज़म), अम्लोडिपिन (नॉर्वास), हाइड्रोक्लोरोथियाज़ाइड (हाइड्रोडिअरिल), फ्योरोसाइड (लासिक्स) और कई अन्य।
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दी गई जानकारी को चिकित्सा सलाह के रूप में न देखें। हमेशा ऑलिव ऑयल का उपयोग करने से पहले अपने हर्बलिस्ट या चिकित्सक से परामर्श करें।
कब्ज के लिए: 30 एमएल जैतून का तेल।
उच्च रक्तचाप के लिए: आहार के रूप में एक्स्ट्रा वर्जिन जैतून का तेल प्रति दिन 30-40 ग्राम। 400 मिलीग्राम जैतून के पत्ते का अर्क, दिन में चार बार।
हाई कोलेस्ट्रॉल के लिए: खाने में प्रति दिन 23 ग्राम जैतून का तेल, (लगभग 2 चम्मच) सेचुरेटेड फैट के मुकाबले 17.5 ग्राम मोनो अनसेचुरेटेड फैटी एसिड प्रदान करता है ।
हृदय रोग और दिल के दौरे को रोकने के लिए: प्रति दिन 54 ग्राम (लगभग चार बड़े चम्मच) का इस्तेमाल। कॉन्टिनेंटल फूड खाने वालों के हिसाब से प्रति सप्ताह एक लीटर एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल या जैतून के तेल का इस्तेमाल किया जाता है।
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जैतून का तेल निम्नलिखित खुराक रूपों में उपलब्ध हो सकता है:
अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।
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