backup og meta

Euthanasia: इच्छामृत्यु क्या है? जानिए इससे संबंधित तथ्यों के बारे में

Euthanasia:  इच्छामृत्यु क्या है? जानिए इससे संबंधित तथ्यों के बारे में

हम सब जानते हैं कि एक दिन हमें मौत का सामना करना है। एक उम्र में पहुंचने पर किसी बीमारी के कारण या फिर अचानक से किसी दुर्घटना के कारण व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाता है। जब जीवन में ऐसे हालात आ जाते हैं कि व्यक्ति खुद को समाप्त करना चाहे, तो उसे यूथेनेशिया या इच्छामृत्यु कहते हैं। सुसाइड एक तरह अपराध है जबकि इच्छामृत्यु लीगल है। इच्छामृत्यु किसी लाइलाज बीमारी से छुटकारा पाने के लिए की जाती है। कई बार डॉक्टर्स से पेशेंट या उसके घरवाले इच्छामृत्यु की मांग कर सकते हैं। ये एक कॉम्प्लेक्स प्रोसेस होता है और इसमें कई फैक्टर्स शामिल होते हैं। इच्छामृत्यु किसी भी देश के कानून, व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, पर्सनल बिलीफ आदि बातों पर निर्भर करता है। इच्छामृत्यु के विभिन्न प्रकार भी होते हैं। आपको बताते चले कि भारत में सुप्रीम कोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु या पैसिवि यूथेनेशिया को मंजूरी दे दी है। जानिए यूथेनेशिया से संबंधित जरूरी बातें।

और पढ़ें: रिटायरमेंट के बाद बिगड़ सकती है मेंटल हेल्थ, ऐसे रखें बुजुर्गों का ख्याल

जानिए इच्छामृत्यु ( Euthanasia) के प्रकार के बारे में

इच्छामृत्यु कई प्रकार की होती है। व्यक्ति की कंडीशन या हालत कैसी है, ये इस बात पर निर्भर करता है। जानिए मरने की इच्छा या इच्छामृत्यु किस तरह से भिन्न होती है।

असिस्टेड सुसाइड और इच्छामृत्यु (Assisted suicide and euthanasia) में क्या है अंतर?

आपको पहले असिस्टेड सुसाइड (Assisted suicide ) के बारे में जान लेना चाहिए। असिस्टेड सुसाइड (Assisted suicide ) को कभी-कभी फिजिशियन असिस्टेड सुसाइड (PAS) भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि डॉक्टर जानबूझकर किसी व्यक्ति का जीवन समाप्त करने में उसकी मदद करते हैं। डॉक्टर खुद निर्धारित करता है कि व्यक्ति को कैसी दवा दी जाए या फिर ऐसा क्या इफेक्टिव तरीका है, जिससे पेशेंट को हमेशा के लिए दर्द से मुक्ति मिल जाए। डॉक्टर पेशेंट को ऐसे ड्रग दे सकते हैं, जिसके सेवन से व्यक्ति का जीवन समाप्त हो जाए। अगर पेशेंट होशोहवास में है, तो पेशेंट से भी उसकी इच्छा पूछी जाता है कि क्या वो इसे लेने के लिए तैयार है।

और पढ़ें: बच्चे के सुसाइड थॉट को अनदेखा न करें, इन बातों का रखें ध्यान

इच्छामृत्यु में डॉक्टर को दर्द रहित तरीकों को अपनाकर पेशेंट के जीवन को खत्म करने की अनुमति होती है। डॉक्टर लीथल इंजेक्शन का इस्तेमाल कर पेशेंट को जीवन से छुटकारा दिलाते हैं। इच्छामृत्यु को आखिरी इच्छा के तौर पर अपनाया जाता है, जब पेशेंट के ठीक होने की कोई उम्मीद नहीं होती है और पेशेंट बहुत दर्द से गुजर रहा होता है। भारत में पैसिव यूथेनेशिया की अनुमति है, जिसमें पेशेंट के मेडिकल सपोर्ट सिस्टम जैसे कि वेंटीलेटर या अन्य मेडिकल सुविधाओं को रोक दिया जाता है।

जानिए क्या होती है निष्यक्रिय और सक्रिय इच्छामृत्यु (Active and passive euthanasia)

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि निष्यक्रिय इच्छामृत्यु (Passive euthanasia) के दौरान डॉक्टर पेशेंट को बिना कष्ट पहुंचाएं ऐसी प्रक्रिया अपनाते हैं, ताकि पेशेंट मृत्यु को प्राप्त हो और उसे दर्द भी न हो। अगर व्यक्ति की मेडिकल सुविधाओं को कम किया जाएगा या फिर दवाई, डायलिसिस (Dialysis) और वेंटिलेटर जैसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम को बंद कर दिया जाएगा, तो पेशेंट धीरे-धीरे मत्यु को प्राप्त हो जाता है। जबकि सक्रिय इच्छामृत्यु (Active euthanasia) में डॉक्टर पेशेंट को घातक इंजेक्शन या फिर घातक दवा देते हैं ताकि उन्हें कष्ट से मुक्ति मिल सके।

जानते हैं मेंटल हेल्थ के बारे में, तो खेलें क्विज : Quiz : मेंटल हेल्थ के बारे में जानना है जरूरी, खेलें क्विज

इच्छामृत्यु (Euthanasia) तय करने का अधिकार किसका होता है?

इच्छामृत्यु (Euthanasia) किसी भी व्यक्ति का स्वंय का अधिकार होता है लेकिन कई मामलों में स्थिति ऐसी नहीं होती है कि पेशेंट इस बारे में कह सके। अगर कोई व्यक्ति अपना जीवन समाप्त करने के निर्णय स्वेच्छा से लेता है, तो उसे स्वैच्छिक इच्छामृत्यु कहा जाएगा। नॉनवॉलन्टरी (nonvoluntary euthanasia) किसी और के जीवन सामाप्त करने का निर्णय हो सकता है। इस सिचुएशन में व्यक्ति के परिवार वाले निर्णय लेते हैं। जब व्यक्ति बेहोश होता है या फिर स्थायी रूप से अपनी बात कहने के लिए सक्षम नहीं होता है, तब नॉनवॉलन्टरी इच्छामृत्यु का प्रावधान है।

मरने की इच्छा (Euthanasia) क्या पूरी तरह से लीगल है?

इस विषय पर न केवल भारत में बल्कि दुनिया में लंबी बहस चल चुकी है। सभी देशों में इच्छामृत्यु पर अलग नियम हैं। फिजिशियन असिस्टेड सुसाइड (PAS) को सभी देशों में मान्यता नहीं है। यानी इच्छामृत्यु के साथ ही पीएएस का सभी देश समर्थन नहीं करते हैं। इस विषय को लेकर विभिन्न देशों में रिसर्च हुई है। साल 2013 में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने पोल कराएं और पाया कि करीब 74 देशों के 65 परसेंट लोग फिजिशियन असिस्टेड सुसाइड (PAS) के खिलाफ थे, जबकि 11 प्रतिशत लोगों ने इसे सही माना। अगर ये कहा जाए कि देश बदलने के साथ ही लोगों के मत में बहुत अंतर था, तो ये गलत नहीं होगा।

और पढ़ें: डेवलपमेंटल डिसऑर्डर क्या है? जानिए इसके कारण, प्रकार और उपचार के बारे में

इच्छामृत्यु को लेकर हो चुका है विवाद

भले ही मरणासन्न अवस्था में व्यक्ति को मरने की इच्छा का अधिक मिल गया हो लेकिन इसे लेकर दुनिया भर में विवाद हुआ है। कुछ लोगों ने इसे रिलीजन से जोड़ कर देखा, तो कुछ के लिए ये अपराध की श्रेणी में आता है। कुछ लोग मानते हैं कि इच्छामृत्यु (Euthanasia) मोरल रीजंस के कारण स्वीकार नहीं की जानी चाहिए। कई धार्मिक समूह संगठन इसके खिलाफ तर्क देते हैं। उनके अनुसार खुद से मरना किसी भी लिहाज से भगवान का अपमान है और ये जीवन की पवित्रता को कम कर देता है।  एक तर्क ये भी है कि फिजिशियन असिस्टेड सुसाइड (PAS) के मामलें में अगर व्यक्ति खुद से मृत्यु का चुनाव करता है, तभी इसे कानूनी माना जाएगा लेकिन मानसिक रूप से सक्षम व्यक्ति की पहचान करना डॉक्टर के लिए कई बार मुश्किल साबित हो जाता है।

कुछ डॉक्टर्स के लिए ये इसलिए भी कठिन भी हो जाता है क्योंकि उन्होंने हिप्पोक्रेटिक ओथ में किसी को भी नुकसान न पहुंचाने की शपथ ली थी। वहीं कुछ लोग तर्क देते हैं कि हिप्पोक्रेटिक ओथ (Hippocratic oath) फिजिशियन असिस्टेड सुसाइड (PAS) का समर्थन करती है। ये व्यक्ति को पीड़ा से निकालने का काम करती है। अगर आप विवाद के कुछ बिंदुओं को पढ़ेंगे, तो वाकई मरने की इच्छा पर लोगों की एक नहीं बल्कि बहुत सी राय हैं। अगर पीड़ित व्यक्ति की भावनाओं को ख्याल रखा जाए, तो कई लिहाज से ये फैसला आपको सही भी लग सकता है।

और पढ़ें: सोशल मीडिया और टीनएजर्स का उससे अधिक जुड़ाव मेंटल हेल्थ के लिए खतरनाक

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि भारत में निष्क्रिय इच्छामृत्यु को पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी है। यानि मरणासन्न व्यक्ति को अधिकार है कि वो कब तक आखिरी सांस लें। लिविंग विल के जरिए व्यक्ति पहले ही अपनी मत्यु को दस्तावेज के जरिए रजामंदी दे देता है। इस संबंध में आपको अधिक जानकारी के लिए लीगल एक्सपर्ट से बात करनी चाहिए। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा और उपचार प्रदान नहीं करता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

(Accessed on 7/5/2021)

Oregon death with dignity act.
oregon.gov/oha/ph/ProviderPartnerResources/EvaluationResearch/DeathwithDignityAct/Documents/year19.pdf

Legalizing euthanasia or assisted suicide: the illusion of safeguards and controlshttps://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3070710/

Euthanasia and assisted suicide.
nhs.uk/conditions/euthanasia-and-assisted-suicide/

Euthanasia: right to die with dignity.
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4311376/

Physician-assisted suicide
10.1056/NEJMclde1310667

Attitudes and practices of euthanasia and physician-assisted suicide in the United States, Canada, and Europe.
10.1001/jama.2016.8499

 

 

 

Current Version

07/05/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Bhawana Awasthi


संबंधित पोस्ट

Rumination Syndrome: जानिए रुमिनेशन सिंड्रोम क्या है? जानिए रुमिनेशन सिंड्रोम के लक्षण, कारण और इलाज क्या है! 

Ways to Stop Overthinking: ओवर थिंकिंग से बचने के उपाय में फॉलो करें सिर्फ 5 आसान टिप्स! 


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

डॉ. प्रणाली पाटील

फार्मेसी · Hello Swasthya


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 07/05/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement