परिचय
बर्साइटिस (एंसरीन) क्या है?
बर्साइटिस जोड़ों में होने वाली एक समस्या है। इससे शरीर के जोड़ों में जलन या सूजन हो जाती है। बर्सा शरीर के जोड़ों में स्थित एक थैली होती है जो लुब्रिकेटिंग तरल पदार्थ से भरी होती है। आमतौर मनुष्य के पूरे शरीर में करीब 160 बर्सा होती हैं। बर्सा जिन कोशिकाओं के साथ जुड़ा होता है उसे श्लेष कोशिका कहते हैं। बर्सा से कोलेजेन और प्रोटीन जैसे तरल पदार्थों का निर्माण होता है। यह पदार्थ पूरे शरीर में लुब्रिकेशन का काम करता है।
ये थैली जोड़ों में घर्षण, रगड़ जैसी समस्याओं से जोड़ों को बचाती है। बर्साइटिस घुटनों के अंदरूनी हिस्सों पर होता है। बर्साइटिस होने से चलने—फिरने में परेशानी हो सकती है। बर्साइटिस आमतौर पर कंधे, कोहनी, कूल्हे और घुटने पर होता है। बर्साइटिस होने से जोड़ों में सूजन आने के साथ उसकी कोमलता कम हो जाती है।
बर्साइटिस आमतौर पर तब होता है जब ऊतकों पर चोट लगी हो या कोई बाहरी चोट के कारण भी ये समस्या पैदा हो सकती है। यह किसी इनफेक्शन की वजह से नहीं होता है। कुछ मामलों में देखा गया है कि जब इम्यून सिस्टम पर दबाव पड़ता है तो बर्सा बैक्टीरिया से संक्रमित हो सकता है। इस स्थिति को सेप्टिक बर्साइटिस कहा जाता है। बर्साइटिस होने से लगातार जोड़ों में दर्द बना रहता है। घुटने के बर्साइटिस को knee बर्साइटिस कहते हैं।
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कारण
बर्साइटिस होने का कारण क्या है?
बर्साइटिस आमतौर पर वयस्कों को होता है। 40 साल की उम्र के बाद वाले लोगों में इसकी समस्या ज्यादा देखी गई है। बर्साइटिस तब होता है जब एक ही जगह पर बार—बार दबाव पड़ता है या जोड़ों का बहुत अधिक इस्तेमाल होता है। इस तरह के काम करने पर ये समस्या हो सकती है। जैसे— बगीचे में काम करना, बढ़ई का काम करना, फावड़ा चलाना, पेंटिंग करना, स्क्रबिंग करना, टेनिस खेलना, गोल्फ खेलना, स्कीइंग करना और किसी चीज को फेंकना। इन सभी कार्यों में बार—बार बैठने और खड़े होने की जरूरत पड़ती है। वहीं कभी—कभी गलत तरीके से उठने—बैठने से भी बर्साइटिस हो जाता है।
इसके अलावा घर पर लंबे समय तक गलत तरीके से बैठने खड़े रहने से भी बर्साइटिस हो जाता है। व्यायाम करने से पहले स्ट्रेचिंग न करना भी बर्साइटिस का कारण बनता है। कभी-कभी चोट लगने से भी बर्साइटिस हो सकता है। जैसे—जैसे आपकी उम्र बढ़ती है वैसे—वैसे शरीर में होने वाले तनाव को संभालना मुश्किल हो जाता है। तब बर्साइटिस होने की संभावना ज्यादा रहती है।
यदि हड्डी या जोड़ में गठिया जैसी समस्या है तो इससे जोड़ों पर अधिक तनाव पड़ता है, जिससे बर्साइटिस हो सकता है। थायरॉइड और इनफेक्शन भी बर्साइटिस के जोखिम को बढ़ा सकती है।
एथलीट और खेल—कूद में भाग लेने वालों में पेस एंसेराइन बर्साइटिस आम होता है। इसके अलावा बर्साइटिस के कुछ अन्य कारण भी हो सकते हैं। जैसे:
- पहाड़ों पर चढ़ने
- अचानक भागने
- हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों में तनाव आने
- मोटापा
- घुटने के मुड़ जाने
- घुटने में ऑस्टियोआर्थराइटिस
लक्षण
बर्साइटिस के लक्षण क्या है?
बर्साइटिस होने पर दर्द सबसे आम लक्षण है। दर्द कभी—कभी धीरे से शुरू हो सकता है या कभी अचानक हो सकता है। यह एक गंभीर समस्या है। दर्द में आपको चलने—फिरने में बहुत परेशानी होगी। शरीर में कैल्शियम की अधिकता होगी तो परेशानी बढ़ जाएगी। बर्साइटिस के लक्षण इस बात पर भी निर्भर करते हैं कि बर्साइटिस शरीर के किस हिस्से पर हुआ है। बर्साइटिस के अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
- उस अंग में कठोरता आ जाएगी
- सूजन होगी
- वो हिस्सा लाल पड़ जाएगा
- 102 से अधिक बुखार आना
- उस हिस्से में गर्मी महसूस होना
- खुद को बीमार महसूस करना
- शरीर के अन्य हिस्सों में भी दर्द शुरू हो जाना
- जोड़ों को हिलाने में परेशानी होना
- हाथ—पैर मोड़ने में मुश्किल होना
- चलने में परेशानी होना
- सीढ़ी चढ़ने या व्यायाम करने में भयानक दर्द होना
परीक्षण
बर्साइटिस का परीक्षण क्या है?
आपका डॉक्टर आपके लक्षणों के बारे में पूछेगा और सूजन को देखते हुए एक शारीरिक परीक्षण करेगा। आपके परीक्षण में शामिल होगा:
इमेजिंग परीक्षण- दर्द का कारण जानने के लिए डॉक्टर सबसे पहले एक्स-रे करेंगे। एमआरआई और अल्ट्रासाउंड द्वारा शरीर के उस हिस्से की तस्वीर निकल आएगी जिससे सूजन का पता चल जाएगा।
लैब परीक्षण- डॉक्टर आपके बर्सा से थोड़ा सा तरल पदार्थ लेने के लिए सुई का इस्तेमाल कर सकता है। इससे संक्रमण के संकेतों का पता लगाने के लिए लैब में परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा डॉक्टर ब्लड टेस्ट भी कर सकते हैं।
इलाज
बर्साइटिस का इलाज क्या है?
जो लोग खेल-कूद में ज्यादा हिस्सा लेते हैं उन्हें पेस एंसेरिन बर्सिटिस होता है। ऐसे में मरीज को अपने व्यायाम के जरिए सूजन को कम करने की कोशिश करने चाहिए। साथ ही ये भी देखना चाहिए कि सूजन दोबारा ना हो।
कुछ अन्य उपचार इस प्रकार हैं:
आराम- बर्साइटिस वाले लोगों को ज्यादा शरीर को कष्ट नहीं देना चाहिए। शरीर को ज्यादा चलाने से समस्या बढ़ सकती है। इसी वजह से डॉक्टर बर्साइटिस के मरीजों को आराम करने की सलाह देते हैं।
बर्फ- एक समय में 20 मिनट के लिए दिन में तीन या चार बार बर्साइटिस वाली जगहर पर बर्फ से सिकाई करें।
दवा- बर्साइटिस के मरीजों को डॉक्टर कुछ दवा लेने के लिए कह सकते हैं। एस्पिरिन और नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी दवा हैं जो दर्द को कम करने के काम आती हैं। साथ ही इससे सूजन भी कम होती है।
इंजेक्शन- आपका डॉक्टर बर्सा में एनेस्थेटिक और स्टेरॉयड के घोल को इंजेक्ट कर सकता है, इससे मरीज को जल्द राहत मिलती है।
फिजिकल थेरेपी- आपका डॉक्टर आपको कुछ स्ट्रेचिंग व्यायाम बता सकते हैं। साथ ही बर्फ से सिकाई के लिए कहेंगे। इसके बाद भी अगर दर्द और सूजन नहीं जाती है तो आपका अल्ट्रासाउंड भी हो सकता है।
यदि आपके लक्षण कम नहीं हुए हैं तो आपके डॉक्टर बर्साइटिस के इलाज के लिए सर्जरी करवाने को भी कह सकते हैं। सर्जरी के बाद अगर पैर पर वजन पड़ने से समस्या होती है तो डॉक्टर आपको कुछ समय तक बैसाखी का इस्तेमाल करने के लिए कह सकते हैं। 3 हफ्तों के अंदर आप नॉर्मल तरीके से अपने शरीर से काम ले पाएंगे।
इसके अलावा कुछ उपचार आप घर पर भी कर सकते हैं। बर्साइटिस के मरीजों को स्विमिंग करनी चाहिए।
साथ ही अपने घुटनों पर बैंड लगाकर रखें। साथ ही घुटनों पर कम दबाव डालने की कोशिश करें। इसके लिए अपने शरीर के ऊपरी हिस्से को ऊपर खींचकर रखें।
। बेहतर जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें।