कोउवाडे सिंड्रोम का कारण (Couvade syndrome cause) क्या हाॅर्मोन हैं?
कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) किसी हार्मोन के कारण होता है या नहीं, इसके लिए 2001 में एक अध्ययन किया गया। दो अध्ययनों में सिंड्रोम का संबंध हाॅर्मोन से बताया गया। अध्ययन में बताया गया कि पार्टनर की पहले और तीसरे तिमाही की प्रेग्नेंसी के दौरान पुरुषों में प्रोलेक्टिन और एस्ट्रोजन हार्मोन बढ़ जाता है। साथ ही टेस्टोस्टेरान और स्टैस हार्मोन का लेवल कम हो जाता है। इस कारण से थकान, भूख में बदलाव, वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसका संबंध कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) से हो सकता है।
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कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) और फैंटम प्रेग्नेंसी में क्या है अंतर?
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) में होने वाले पिता को शरीर में कुछ अंतर नजर आने लगते हैं, ठीक वैसा ही महिलाओं के साथ फैंटम प्रेग्नेंसी में भी होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को चक्कर महसूस होना, मॉर्निंग सिकनेस की समस्या, थकान महसूस होना या फिर स्तन में सूजन आदि लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन ऐसा तब होता है जब वाकई में महिला प्रेग्नेंट होती है। कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) की तरह ही महिलाओं में फैंटम प्रेग्नेंसी केवल लक्षणों को ही दिखाती है। फैंटम प्रेग्नेंसी में महिलाओं को प्रेग्नेंसी के केवल लक्षण महसूस होते हैं, जबकि वो सच में प्रेग्नेंट नहीं होती हैं।
स्टडी के मुताबिक करीब 40 प्रतिशत महिलाएं फैंटम प्रेग्नेंसी या फैंटम फीटल किक की समस्या से पीड़ित होती हैं। ऑस्ट्रेलिया के मोनाश यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए ऑनलाइन सर्वे के अनुसार 197 महिलाओं का कहना है कि, वे फैंटम प्रेग्नेंसी की शिकार हुई हैं। डिलिवरी के साढ़े छह साल बाद ऑस्ट्रेलियन महिलाओं ने किया ऐसे एक्सपीरियंस शेयर किए हैं। वहीं एक महिला ने तो डिलिवरी के 28 साल बाद बच्चे के किक को अनुभव किया है। 40 प्रतिशत महिलाएं फैंटम किक हफ्ते में एक बार जरूर महसूस करती हैं वहीं 20 प्रतिशत महिलाओं का कहना है की वे फैंटम प्रेग्नेंसी को (फैंटम किक) तकरीबन हर रोज अनुभव करती हैं।
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कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) और फॉल्स प्रेग्नेंसी
कोउवाडे सिंड्रोम (Couvade syndrome) में जहां पुरुष प्रेग्नेंसी वाले लक्षणों को महसूस करते हैं, वहीं केमिकल प्रेग्नेंसी की वजह से महिलाओं को महसूस होता है कि वो प्रेग्नेंट हो चुकी हैं। कोउवाडे सिंड्रोम में भले ही पुरुषों को पता होता है कि इन लक्षणों के कारण बच्चा पैदा नहीं होगा। जबकि फॉल्स प्रेग्नेंसी में महिला को लगने लगता है कि वो कंसीव कर चुकी हैं और कुछ ही समय बाद मां बन जाएंगी। फॉल्स प्रेग्नेंसी में केमिकल प्रेग्नेंसी, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी को शामिल किया गया है।