टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक रेयर लेकिन गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण होता है। यह तब होता है जब ब्लड स्ट्रीम में स्टैफिलोकोकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया विषाक्त पदार्थ उत्पन्न करता है। इस सिंड्रोम के कारण बुखार, शॉक और शरीर के कई अंगों में समस्याएं होती हैं। हालांकि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम महिलाओं को पीरियड के दौरान सुपर एब्जॉर्बेंट टैम्पोन का इस्तेमाल करने से होता है। साथ ही मेंस्ट्रुअल स्पंज, डायफ्राम और सर्वाइकल कैप के उपयोग से भी यह समस्या होती है। लेकिन यह सिंड्रोम पुरुषों, बच्चों सहित हर उम्र के लोगों को प्रभावित करता है। इसके अलावा मेनोपॉज के बाद भी यह समस्या महिलाओं को प्रभावित करती है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम अलग-अलग बैक्टीरिया के कारण होता है। स्ट्रेप्टोकोकल बैक्टीरिया का इंफेक्शन आमतौर चिकनपॉक्स के बाद होता है। इसके लक्षण अचानक उत्पन्न होते हैं और तेज दर्द के साथ शरीर का तापमान बढ़ जाता है। अगर समस्या की जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक रेयर डिसॉर्डर है। ये महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करता है लेकिन पुरुषों और बच्चों पर भी असर डालता है। पूरी दुनिया में लाखों लोग टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से पीड़ित हैं। बच्चे के जन्म के कुछ समय बाद महिला को टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम होने की संभावना अधिक होती है। इसके साथ ही टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम सर्जरी के बाद, जलने, घाव खुला छोड़ने और प्रोस्थेटिक डिवाइस के उपयोग से पुरुषों और महिलाओं को प्रभावित करता है। 19 साल की उम्र की लगभग एक तिहाई से अधिक महिलाएं टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से पीड़ित होती हैं जबकि लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं को यह समस्या दोबारा होती है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। इस बीमारी के लक्षण प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग नजर आते हैं। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति प्रायः बीमार महसूस करता है। जिसके कारण ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से किडनी और लिवर सहित शरीर के कई अंग फेल हो जाते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति को श्वसन संबंधी समस्याएं भी होती हैं।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी नजर आते हैं:
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के कई लक्षण अपने आप समाप्त हो जाते हैं जबकि कुछ लक्षण काफी गंभीर होते हैं और विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न करते हैं। इसके साथ ही शरीर में अन्य तरह की परेशानियां भी उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति को बेचैनी एवं घबराहट भी महसूस होती है।
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम अलग प्रभाव डाल सकता है। इसलिए किसी भी परिस्थिति के लिए आप डॉक्टर से बात कर लें। यदि आपके त्वचा या घाव पर इंफेक्शन हो या तेज बुखार हो तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
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टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम आमतौर पर इंफेक्शन के कारण होता है। संक्रमण तब होता है जब बैक्टीरिया त्वचा के कटने, घाव और गंभीर जख्म जरिए शरीर के अंदर प्रवेश कर जाता है। इसके अलावा पीरियड के दौरान योनि के अंदर लंबे समय तक टैम्पोन रखने के कारण भी बैक्टीरिया संक्रमण पैदा कर देते हैं। साथ ही टैम्पोन के फाइबर से योनि में स्क्रैच आने से बैक्टीरिया ब्लड स्ट्रीम में प्रवेश कर जाते हैं।
सिर्फ यही नहीं त्वचा जलने, त्वचा में संक्रमण, सर्जरी, कंट्रासेप्टिव स्पंज, वायरल इंफेक्शन जैसे फ्लू और चिकनपॉक्स के कारण भी बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है। इसके अलावा त्वचा पर भाप लगने, कीड़ों के काटने, नाक से खून निकलने के दौरान नेसल पैकिंग का इस्तेमाल करने, स्टैफिलोकोकस या स्ट्रेप्टोकोकल इंफेक्शन, इंपेटिगो और सेल्यूलाइटिस के कारण टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम होता है।
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम एक घातक बीमारी है। यह शरीर के कई प्रमुख अंगों को प्रभावित कर सकता है। यदि समय पर इसका इलाज न कराया जाए तो किडनी, हृदय और लिवर फेल हो सकता है। इसके अलावा पूरे शरीर में रक्त का प्रवाह कम होने के साथ ही व्यक्ति को सदमा भी लग सकता है।
इस समस्या के कारण शरीर के कई अंगों में तकलीफ हो सकती है। लंबे समय तक इस बीमारी को अनदेखा करने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम गंभीर हो सकता है और इससे व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
चूंकि टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम शरीर के कई अंगों को प्रभावित करता है इसलिए डॉक्टर कुछ मरीजों को अन्य टेस्ट जैसे सीटी स्कैन, लंबर पंक्चर, छाती का एक्सरे कराने की सलाह देते हैं। इसके अलावा बुखार, रक्तचाप और मरीज के शरीर पर चकत्ते, फफोले, फुंसी और घाव की जांच भी की जाती है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के असर को कम किया जाता है। टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम के लिए कई तरह की मेडिकेशन की जाती है :
गंभीर मामलों में शरीर से इंफेक्शन को बचाने और मृत ऊतकों एवं कोशिकाओं को हटाने के लिए सर्जरी की जाती है और प्रभावित हिस्से को काटकर बाहर निकाला जाता है।
अगर आपको टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम है तो आपके डॉक्टर आपको पोषक तत्वों से भरपूर आहार और अधिक से अधिक मात्रा में फल और सब्जियों का सेवन करने के लिए बताएंगे। महिलाओं को पीरियड के दौरान कम सोखने वाले टैम्पोन का उपयोग करने के लिए कहा जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं इंफेक्शन से बचने के लिए पीरियड के दौरान टैम्पोन, सैनिटरी टॉवेल और पैंटी लाइनर का उपयोग करने की सलाह दी जाती है।
टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से बचने के लिए हर 4 घंटे बाद टैम्पोन बदलना चाहिए और टैम्पोन लगाने के पहले एवं बाद में हाथों को अच्छी तरह साफ करना चाहिए। चूंकि यह बीमारी इंफेक्शन से होती है इसलिए योनि में कोई भी टैम्पोन एक बार से अधिक नहीं लगाना चाहिए। रात में सोने से पहले फ्रेश टैम्पोन लगाना चाहिए और सुबह जगने के बाद इसे हटा लेना चाहिए। फीमेल बैरियर कंट्रासेप्शन का प्रयोग करते समय दिशा निर्देशों को अच्छी तरह पढ़ना चाहिए और या इसका उपयोग करने से बचना चाहिए। टॉक्सिस शॉक सिंड्रोम से बचने के लिए पीरियड के दौरान साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान निम्न फूड्स का सेवन करना चाहिए:
सिर्फ इतना ही नहीं टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम से बचने के लिए नियमित एक्सरसाइज करना चाहिए। इससे इम्युनिटी बढ़ती है और संक्रमण होने का जोखिम कम हो जाता है।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
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