परिचय
बेल्स पाल्सी क्या है?
बेल्स पाल्सी एक ऐसी स्थिति जिसमें चेहरे की मांसपेशियां कमजोर और लकवाग्रस्त हो जाती हैं। यह समस्या तब होती है जब फेशियल मसल्स को कंट्रोल करने वाली तंत्रिका में सूजन आ जाती है। बेल्स पाल्सी होने पर चेहरे का एक हिस्सा सिकुड़ या अकड़ जाता है जिसके कारण व्यक्ति को हंसने या आंख बंद करने में कठिनाई होती है।
बेल्स पाल्सी को फेशियल पाल्सी भी कहते हैं जो किसी भी उम्र में हो सकती है लेकिन यह डायबिटीज और वायरल इंफेक्शन के पीड़ित लोगों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। ज्यादातर लोगों में बेल्स पाल्सी अस्थायी होती है और लक्षण शुरु होने के कुछ हफ्तों बाद ही समाप्त भी हो जाते हैं जबकि कुछ लोगों में जीवनभर लक्षण बने रहते हैं। हालांकि पूरी तरह से ठीक होने में लगभग छह महीने लगते हैं। अगर समस्या जद बढ़ जाती है तो आपके लिए गंभीर स्थिति बन सकती है । इसलिए इसका समय रहते इलाज जरूरी है। इसके भी कुछ लक्षण होते हैं ,जिसे ध्यान देने पर आप इसकी शुरूआती स्थिति को समझ सकते हैं।
कितना सामान्य है बेल्स पाल्सी होना?
बेल्स पाल्सी एक रेयर डिसॉर्डर है। ये महिला और पुरुष दोनों में सामान प्रभाव डालता है। पूरी दुनिया में प्रत्येक 5000 लोगों में से 1 व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित है। वैसे तो यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है लेकिन 16 से 60 वर्ष के लोगों पर इस बीमारी का ज्यादा असर पड़ता है। ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
लक्षण
बेल्स पाल्सी के क्या लक्षण है?
बेल्स पाल्सी शरीर के कई सिस्टम को प्रभावित करता है। बेल्स पाल्सी से पीड़ित व्यक्ति में प्रायः सर्दी जुकाम, कान और आंख के संक्रमण के एक से दो हफ्ते बाद लक्षण नजर आते हैं , साथ ही खाने या पीने के दौरान नजर आते हैं। यह बीमारी होने पर ये लक्षण सामने आने लगते हैं :
- पलकें बंद करने या झपकाने में कठिनाई
- आंखे असामान्य दिखना
- ड्रूलिंग
- चबाने, खाने और पीने में परेशानी
- चेहरा कमजोर होना
- सिरदर्द
- आवाज के प्रति संवेदनशील होना
- आंख में जलन
- चेहरे की मांसपेशियों में खिंचाव
- हंसने में कठिनाई
कभी-कभी कुछ लोगों में इसमें से कोई भी लक्षण सामने नहीं आते हैं और अचानक से व्यक्ति को कम सुनाई देने लगता है और चेहरे, कान और आंख की मांसपेशियों में असामान्य परिवर्तन महसूस होता है।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण भी सामने आते हैं :
- स्वाद का पता न चल पाना
- चेहरे की मांसपेशियों में अकड़न या तनाव
- कान के पीछे दर्द या सुन्न होना
- आंख में पानी आना
- घबराहट
- बेचैनी और परेशानी
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
ऊपर बताएं गए लक्षणों में किसी भी लक्षण के सामने आने के बाद आप डॉक्टर से मिलें। हर किसी के शरीर पर बेल्स पाल्सी अलग प्रभाव डाल सकता है। यदि आपको किसी भी प्रकार का लकवा महसूस हो या चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी, सूजन और अकड़न नजर आए तो किसी भी परिस्थिति में आप डॉक्टर से बात कर लें।
कारण
बेल्स पाल्सी होने के कारण क्या है?
बेल्स पाल्सी का सटीक कारण स्पष्ट नहीं है। फेशियल मसल्स को नियंत्रित करने वाली तंत्रिका एक हड्डी के एक संकरे रास्ते से होते हुए चेहरे तक पहुंचती है। वायरल इंफेक्शन के कारण यदि चेहरे की तंत्रिका में सूजन आ जाती है तो यह चिकबोन या हड्डी के संकरे रास्ते को पिंच करता है जिसके कारण तंत्रिका का प्रोटेक्टिव कवर डैमेज हो जाता है और मस्तिष्क से चेहरे की मांसपेशियों में सही तरीके से सिग्नल नहीं पहुंच पाता है जिसके कारण चेहरे की मांसपेशियां कमजोर और लकवाग्रस्त हो जाती हैं।
चेहरे की मांसपेशियों के अलावा तंत्रिका आंसू, लार, स्वाद और कान के मध्य हिस्से की छोटी हड्डी को भी प्रभावित करती है। यह बीमारी जननांगों में हर्पिस, चिकनपॉक्स, साइटोमेगालो वायरस इंफेक्सन, जर्मन खसरा या रुबेला, इंफ्लुएंजा बी, हाथ, पैर और मुंह के रोग, एचआईवी और सारकॉयडोसिस आदि कारणों से भी होती है। प्रेगनेंट महिलाओं, डायबिटीज, फेफड़े में संक्रमण और कुछ आनुवांशिक कारकों से बेल्स पाल्सी का जोखिम बढ़ सकता है।
जोखिम
बेल्स पाल्सी के साथ मुझे क्या समस्याएं हो सकती हैं?
बेल्स पाल्सी के कारण चेहरे की तंत्रिका डैमेज हो सकती है या कुछ मांसपेशियां सिकुड़ सकती हैं। इसके साथ ही आंख की कॉर्निया में ड्राईनेस और खरोंच के कारण व्यक्ति को अंधापन हो सकता है। फेशियल मसल्स को नियंत्रित करने वाली सातवीं क्रेनियल नर्व डैमेज हो सकती है और आंखों में संक्रमण और अल्सर भी हो सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
बेल्स पाल्सी का निदान कैसे किया जाता है?
बेल्स का पता लगाने के लिए डॉक्टर शरीर की जांच करते हैं और मरीज का पारिवारिक इतिहास भी देखते हैं। इस बीमारी को जानने के लिए कुछ टेस्ट कराए जाते हैं :
- इलेक्ट्रोमायोग्राफी (ईएमजी)- इस टेस्ट से डैमेज तंत्रिका और उसकी गंभीरता का पता लगाया जाता है। मरीज के चेहरे पर इलेक्ट्रोड रखकर मशीन से उत्तेजना के प्रति तंत्रिका और मांसपेशियों की इलेक्ट्रिकल एक्टिविटी का पता लगाया जाता है। इस टेस्ट से नर्व डैमेज की सटीक जगह पता चल जाती है।
- एमआरआई-मस्तिष्क में बैक्टीरियल इंफेक्शन और अन्य असामान्यताओं का पता लगाने के लिए मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) किया जाता है।
- सीटी स्कैन-चेहरे की मांसपेशियों पर दबाव या ट्यूमर का पता करने के लिए सीटी स्कैन किया जाता है।
- एक्सरे-स्कल फ्रैक्चर और मस्तिष्क में अन्य समस्याओं को जानने के लिए एक्सरे किया जाता है।
कुछ मरीजों में बेल्स पाल्सी के निदान के लिए डॉक्टर मरीज को चेहरे की मांसपेशियां घुमाने, आंखे बंद करने, भौहें ऊपर चढ़ाने और दांतों को दिखाने सहित अन्य मूवमेंट करने के लिए कहते हैं। इसके साथ ही मरीज के सिर, गर्दन, आंख और कान की जांच की जाती है। सिर्फ इतना ही नहीं चेहरे में लकवा, ट्यूमर, लाइम डिजीज और स्ट्रोक को जानने के लिए भी परीक्षण किया जाता है।
बेल्स पाल्सी का इलाज कैसे होता है?
बेल्स पाल्सी का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन, कुछ थेरिपी और दवाओं से व्यक्ति में बेल्स पाल्सी के असर को कम किया जाता है। कई बार कुछ मरीज बिना इलाज के ही ठीक हो जाते हैं। बेल्स पाल्सी के लिए कई तरह की फिजिकल थेरिपी और मेडिकेशन की जाती है :
- कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसे प्रेडनिसोन एक एंटी इंफ्लेमेटरी एजेंट है जो चेहरे की तंत्रिका में सूजन को कम करने में मदद करता है। लक्षण शुरु होने के कुछ दिनों बाद कॉर्टिकोस्टेरॉइड लेने से यह बीमारी जल्दी ठीक हो जाती है।
- कुछ एंटीवायरल दवाओं जैसे एसिक्लोविर को स्टेरॉइड के साथ लेने पर बेल्स पाल्सी के लक्षण कम हो जाते हैं।
- पलकों को झपकाने में कठिनाई और संक्रमण को दूर करने के लिए डॉक्टर मरीज की आंखों में आई ड्रॉप डालकर आंखों के ल्यूब्रिकेशन को बढ़ाते हैं।
- ओटीसी दर्द निवारक दवाएं एसिटामिनोफेन बेल्स पाल्सी के लक्षणों को घटाने में मदद करती हैं।
इसके अलावा बेल्स पाल्सी से पीड़ित कुछ मरीजों में लकवाग्रस्त मांसपेशियां स्थायी रुप से सिकुड़ या छोटी हो जाती हैं। फिजिकल थेरेपिस्ट चेहरेकी मांसपेशियों में मसाज करते हैं जिससे बेल्स पाल्सी के लक्षण हल्के होते हैं। आमतौर पर दवा या थेरिपी से 1 से 2 महीने के अंदर बेल्स पाल्सी के लक्षण गायब हो जाते हैं। यदि दवाओं से बेल्स पाल्सी का असर कम नहीं होता है तो डिकम्प्रेशन सर्जरी से तंत्रिका के संकरे रास्ते को चौड़ा करके फेशियल नर्व में दबाव को कम किया जाता है। स्थायी रुप से चेहरे की तंत्रिका समस्याओं को ठीक करने के लिए प्लास्टिक सर्जरी की जाती है।
घरेलू उपचार
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे बेल्स पाल्सी को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
अगर आपको बेल्स पाल्सी है तो आपके डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव करने के लिए कहेंगे और आंखों को खरोंच या ड्राईनेस से बचाने के लिए काला चश्मा पहनने की सलाह देंगे। नियमित रुप से पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ ही सही तरीके से चेहरे की मालिश करने से मांसपेशियों में संकुचन कम होता है। सिर्फ इतना ही नहीं एकुपंक्चर से भी तंत्रिका और मांसपेशियों को उत्तेजित किया जा सकता है। दर्द से राहत पाने के लिए गुनगुने पानी में टॉवेल भिगोकर चेहरे को साफ करें और पलक पर तर्जनी उंगली रखकर आंख को बंद करें।इसके साथ ही पलक हो हल्के हाथों से दबाएं और आधी आंख खुली रखें। आंखों को हेल्दी रखने के लिए अपने डायट में बदलाव करें और अधिक से अधिक फल,हरी पत्तेदार सब्जियां और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें। बेल्स पाल्सी के मरीज को निम्न फूड्स खाना चाहिए:
- ब्रोकली
- विटामिन सी
- विटामिन बी 12
- ओट्स
- संतरा
- पपीता
- आम
- अखरोट
- बादाम
सिर्फ यही नहीं बेल्स पाल्सी के लक्षणों को कम करने के लिए नियमित फेशियल वर्कआउट करने की भी आदत डालनी चाहिए। यदि घर के किसी सदस्य को बेल्स पाल्सी हो तो भविष्य में इस बीमारी से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। इसके साथ ही रोजाना ताजे फलों का जूस, रंगीन सब्जियों का सूप,स्प्राउट्स और संतुलित आहार लेना चाहिए।
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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