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कारण
फिशर्ड टंग के कारण
फिशर्ड टंग के कारणों के बारे में शोधकर्ता अभी तक स्पष्ट तौर पर कुछ पता नहीं लगा पाए हैं। यह स्थिति अनुवांशिक हो सकती है या किसी दूसरी स्वास्थ्य स्थिति के कारण हो सकती है।
फिशर्ड टंग के संकेत बचपन से ही हो सकते हैं, लेकिन उम्र बढ़ने के साथ ही अधिक स्पष्ट रूप से दिखते हैं।
महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को फिशर्ड टंग की समस्या अधिक होती है और उन बुजुर्गों में इसके लक्षण अधिक दिखते हैं जिनका मुंह बार-बार सूखता रहता है।
फिशर्ड टंग की समस्या अन्य स्वास्थ्य स्थितियों से संबंधित हो सकती है। जिसमें शामिल हैः
- ऑरोफेशियल ग्रैनुलोमैटोसिस (orofacial granulomatosis)
- पस्चुलर सोरायसिस (pustular psoriasis)
- डाउन सिंड्रोम
- जियोग्रैफिक टंग
- कुपोषण(हालांकि ऐसा कम ही मामलों में होता है)
- मेल्कोर्सन-रोसेन्थल सिंड्रोम (फेशियल पैरालाइसिस और ऊपरी होंठ और चेहरे की सूजन से जुड़ी एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति)
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फिशर्ड टंग से संबंधित कंडिशन्स
दुर्लभ मामलों में फिशर्ड टंग इन स्वास्थ्य स्थितियों से संबंधित हो सकता हैः
- कुपोषण और विटामिन की कमी
- सोरायसिस
- ओरोफेशियल ग्रैनुलोमैटोसिस, एक दुर्लभ स्थिति जिसके कारण होंठ, मुंह, और मुंह के आसपास के हिस्से में सूजन हो जाती है
कई बार फिशर्ड टंग किसी सिंड्रोम से संबंधित होता है, खासतौर पर डाउन सिंड्रोम और मेल्कोर्सन-रोसेन्थल सिंड्रोम।
मेल्कोर्सन-रोसेन्थल सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जिसके लक्षण हैं, फिशर्ड टंग, चेहरे और ऊपरी होंठ में सूजन और बेल्स पाल्सी, जो फेशियल पैरालाइसिस का प्रकार है।
डाउन सिंड्रोम के कारण कई तरह की शारीरिक और मानसिक कमजोरी हो सकती है। इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति में क्रोमोजोम 21 की दो की बजाय तीन प्रतियां होती हैं।
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उपचार
फिशर्ड टंग का उपचार
आमतौर पर फिशर्ड टंग के उपचार की जरूरत नहीं पड़ती है। लोगों को इस बारे में पता भी नहीं चलता कि उन्हें फिशर्ड टंग है। दरअसल, ओरल रूटीन चेकअप के दौरान डॉक्टर किसी को इस बारे में बताता है। भले ही फिशर्ड टंग के इलाज की जरूरत न हो, लेकिन ओरल और डेंटल हाइजीन का ध्यान रखना आवश्यक है जैसे, जीभ की ऊपरी सतह को साफ करना ताकि उसके ऊपर खाने की गंदगी जमा न हो। फिशर्स में बैक्टीरिया और प्लाक इकट्ठा हो जाते हैं, जिससे मुंह से दुर्गंध आने के साथ ही दांतों को भी नुकसान पहुंचता है। जीभ की सफाई करने क लिए ब्रश के अलावा कुछ खास तरह की डिवाइस भी मिलती है जिसे आप मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं।
ओरल हाइजीन के लिए दिन में दो बार ब्रश और फ्लॉस करना न भूलें। हर साल कम से कम एक बार डेंटिस्ट के पास कंप्लीट डेंटल चेकअप के लिए जरूर जाएं।
फिशर्ड टंग की वजह से समस्या तब आती है जब खाने के टुकड़े और अन्य गंदगी दरारों में फंस जाती है। ऐसा होने पर इरिटेशन होती है और इससे बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
दुर्लभ मामलों में कैंडिडा अल्बिकन्स दरारों को गहराई तक संक्रमित कर सकता है। जिस किसी को भी इस तरह का संक्रमण हो उसका उपचार टॉपिकल एंटीफंगल दवा से किया जाता है। फिशर्ड टंग से बचने के सबसे अच्छा तरीका है ओरल हाइजिन का ध्यान रखना और नियमित रूप से डेंटल चेकअप करवाना।
कब जाएं डेंटिस्ट के पास?
अधिकांश मामलों में फिशर्ड टंग का कोई लक्षण नहीं दिखता है, इसलिए कोई व्यक्ति इस समस्या के लिए डेंटिस्ट के पास नहीं जाता है। यदि इसकी वजह से गंभीर दर्द होने लगे तभी कोई डेंटिस्ट के पास जाता है। हालांकि बेहतर यह होगा कि आप साल में दो बार रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टर के पास जाएं। इसके अलावा यदि आपको मुंह में दर्द या किसी अन्य तरह की परेशानी होती है तो डॉक्टर के पास जाएं। फिशर्ड टंग से किसी तरह की समस्या नहीं होती, लेकिन इसे देखने पर आपको अजीब फील हो सकता है, इसलिए बेहतर है कि हमेशा अपने दांत, जीभ और मुंह को साफ रखें।
अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।