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क्या होता है टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन? जानें कैसे कमजोर शिशु की बचा सकता है ये जान

क्या होता है टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन? जानें कैसे कमजोर शिशु की बचा सकता है ये जान

पेरेंटेरल न्यूट्रिशन जिसे अक्सर टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन (total parenteral nutrition) कहा जाता है। यह एक मेडिकल टर्म है जिसमें विशेष प्रकार के फूड को वेन (intravenously) के द्वारा शरीर में पहुंचाया जाता है। इस ट्रीटमेंट का लक्ष्य कुपोषण को रोकना और किसी विशेष कंडिशन का इलाज करना है। टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन में पोषक तत्वों जैसे कि कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन, फैट, विटामिन्स, मिनरल्स और इलेक्ट्रोलाइट्स को लिक्विड फॉर्म में बॉडी में भेजा जाता है। कुछ लोग टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन में सप्लिमेंट्स का यूज करते हैं। जिसमें एक ट्यूब को पेट या छोटी आंत के अंदर लगाया जाता है। वयस्क, बच्चे और हाल ही में जन्में बच्चे टीपीएन (TPN) का लाभ ले सकते हैं।

वयस्कों और बच्चों को इस ट्रीटमेंट की जरूरत तब होती है जब वे भोजन से सही मात्रा में न्यूट्रिशन प्राप्त नहीं कर पाते। ऐसा सामान्यत: क्रोहन डिजीज (Crohn’s disease) और अल्सरेटिव कोलाइटिस (Uleractive colitis) (जो गंभीर डायरिया का कारण बनता है) आदि में होता है। शिशुओं (infants) में टीपीएन (टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन) का उपयोग तब किया जाता है जब वे मुंह से फूड और लिक्विड को ग्रहण नहीं कर पाते। इसके साथ ही प्रीमैच्योर और बीमार बच्चों को भी इस तरह पोषण दिया जाता है।  

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शिशुओं को पेरेंटेरल न्यूट्रिशन की जरूरत क्यों पड़ती है? 

अगर बीमार और प्रीमैच्योर शिशु लंबे समय तक पोषक तत्वों को मुंह से एब्जॉर्ब नहीं कर पाते तो यह खतरनाक हो सकता है। ऐसे में एक्सपर्ट रिकमंड करते हैं कि इस स्थिति में पोषक तत्वों को गेस्ट्रोइंटेस्टिनल ट्रेक्ट (Gastrointestinal tract) के जरिए पोषक तत्वों को पहुंचाना चाहिए और अगर ये संभव नहीं है तब टीपीएन (टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन) की शुरुआत की जा सकती है। बीमार और प्रीमैच्योर शिशुओं (Premature newborn) को न्यूट्रिशन की आवश्यकता ज्यादा होती है। इसके कारण निम्न हो सकते हैं। 

  • डायरिया 
  • डिहाइड्रेशन 
  • असामान्य किडनी ग्रोथ जो नॉर्मल किडनी फंक्शनिंग में रुकावट डालती है
  • गर्भाशय में कम समय के लिए रहना जो शिशु को जरूरी पोषक तत्व न मिलने का कारण बनता है। 
  • अमेरिकन सोसायटी फॉर पेरेंटेरल एंड एंटेरल न्यूट्रिशन (ASPEN) के अनुसार टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन उन बच्चों के लिए भी मददगार है जो अंडरवेट हैं या जो जीआई के द्वारा फूड को कंज्यूम नहीं कर पा रहे हैं।
  • टीपीएन वाटर बेस्ट आईवी फीडिंग्स (water-based IV feedings) के जरिए पोषण पहुंचाने का सबसे असरदार तरीका है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन के जरिए सिर्फ शुगर और सॉल्ट (जैसा कि IVs में होता है) नहीं अन्य पोषक तत्वों को भी शिशु की बॉडी में पहुंचाया जाता है। 
  • एक स्टडी के अनुसार टीपीएन के द्वारा 20 से ज्यादा शिशुओं ने पर्याप्त कैलोरीज को प्राप्त किया। जिससे उनका वजन बढ़ा और विकास जारी रहा।
  •  एनसीबीआई में पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार टीपीएन एक इफेक्टिव प्रोग्राम है। जिसने 34 शिशुओं पर असर दिखाया जो बेहद कम वजन के साथ पैदा हुए थे। रिसर्चर्स ने पाया कि टीपीएन में कार्बोहाइड्रेड और प्रोटीन का हायर इंटेक था जो दूध से ज्यादा था।
  •  एक स्टडी में पाया गया कि अगर टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन (Total parenteral nutrition) को अच्छी तरह से मैनेज किया जाए तो यह कम वजन के साथ पैदा हुए शिशुओं के लिए असरदार ट्रीटमेंट है। 
  • हालांकि यह स्टडीज टीपीएन के उपयोग के शुरुआती वर्षों में की गईं थीं। आगे के अनुभवों के आधार पर पाया गया कि टीपीएन के साथ हाई रिस्क जुड़े हुए हैं। इसे कम वजन के साथ पैदा हुए उन शिशुओं के लिए रूटीन के तौर पर रिकमंड नहीं किया जा सकता जो जीआई ट्रेक्ट (GI tract) के जरिए पोषण प्राप्त कर रहे हैं। इसलिए इसके फायदे और जोखिम दोनों को जानने के बाद ही शिशुओं के लिए इस ट्रीटमेंट को अपनाना चाहिए। 

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शिशुओं को टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन कैसे दिया जाता है? (How is total parenteral nutrition given to an infant?)

टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन

टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन (TPN) ट्रीटमेंट शिशु के हाथ, पैर, खोपड़ी या फिर नाभि में नीडल प्लेस करके दिया जाता है। इसमें फ्लूइड्स पेरिफेरल रूट के जरिए जाता है। यानी कि न्यूट्रिशन की सप्लाई छोटी वेन्स के जरिए की जाती है जो कि शिशु की बॉडी के सेंटर में नहीं होती है। इस तरीका का उपयोग कम समय के ट्रीटमेंट के लिए किया जाता है। जिसमें कम समय के लिए न्यूट्रिशन सपोर्ट उपलब्ध कराया जाता है। जब शिशु को पोषक तत्वों की अधिक जरूरत होती है तब बड़ी आईवी (longer IV) का उपयोग होता है। इसे सेंट्रल लाइन (Central line) कहा जाता है। सेंट्रल लाइन में बड़ी वेन्स से शिशु को ज्यादा पोषण दिया जाता है। पोषण की बात करें तो टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन (TPN) में बॉडी में कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन और फैट को पहुंचाया जाता है ताकि वह ठीक से काम कर सके। 

  • कार्बोहाइड्रेड बॉडी को कैलोरीज प्रदान करता है। जो बॉडी को काम करने के लिए एनर्जी देता है। टीपीएन में कार्बोहाइड्रेड का मुख्य सोर्स डेक्ट्रोस (dextrose) शुगर होती है। 
  • प्रोटीन एमिनो एसिड से मिलकर बनता है।  बॉडी प्रोटीन का उपयोग मसल्स बनाने, टिशूज को रिपेयर करने, इंफेक्शन से लड़ने और पोषक तत्वों को बॉडी में ले जाने के लिए करती है।
  • फैट कैलोरीज और एनर्जी का एक दूसरा सोर्स है। फैट भी विटामिन्स को ब्लड स्ट्रीम में ले जाता है। फैट बॉडी के अंगों को सपोर्ट और प्रोटेक्ट करता है। 
  • इसके साथ ही टीपीएन में शिशु को विटामिन्स भी दिए जाते हैं जो डेली इंटेक के हिसाब से होते हैं। जिसमें विटामिन A, B, C, D, E और K शामिल हैं। जब मिक्चर में विटामिन्स को मिलाया जाता है तो यह यलो हो जाता है। 
  • बॉडी को मिनरल्स की जरूरत भी होती है जिनमें जिंक, कॉपर, मैग्नीज, सेलेनियम आदि शामिल हैं। शिशु को विकास करने और स्वस्थ रहने के लिए विटामिन्स और मिनरल्स दोनों की जरूरत होती है। 
  • टीपीएन में दिए जाने वाले इलेक्ट्रोलाइट्स (Electolytes) शिशु की हड्डियों, नर्व और मसल्स फंक्शन के लिए जरूरी होते हैं। इसके लिए टीपीएन में कैल्शियम, पौटेशियम, मैग्नीशियम, सोडियम, क्लोराइड को एड किया जाता है। 
  • इसके साथ ही टीपीएन का प्रमुख हिस्सा पानी होता है। यह आपके बच्चे को पर्याप्त मात्रा में फ्लूइड उपलब्ध करवाता है। टीपीएन में यूज होने वाला पानी बच्चे की हाइट, वजन और फ्लूइड की उसे कितनी जरूरत है उस पर निर्भर करता है। इस तरह टीपीएन का मिक्चर तैयार कर शिशु को पर्याप्त पोषण पहुंचाया जाता है।  

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शिशुओं में टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन (TPN) के जोखिम 

टोटल पेरेंटेरल न्यूट्रिशन

सामान्य रूप से पोषण प्राप्त करने में असमर्थ शिशुओं के लिए टीपीएन एक लाइफसेविंग ट्रीटमेंट है, लेकिन इसके जोखिम भी हैं। सभी एज ग्रुप के लोगों में सेंट्रल लाइन आईवी एक्सेस के कॉम्प्लिकेशन देखे गए हैं। इसके साथ शिशुओं में निम्न परेशानियां देखी गई हैं। 

  • लिवर से जुड़ी समस्याएं 
  • फैट, ब्लड शुगर और इलेक्ट्रोलाइट्स का बहुत अधिक बढ़ना या कम होना 
  • सेप्सिस बैक्टीरिया या जर्म के कारण होने वाला इंफेक्शन 
  • जहां नीडल को लगाया और हटाया जाता है वहां पर ब्लड क्लॉट का होना 
  • टीपीएन में दिए जाने वाले फैट इंटेक से क्रोनिक लंग डिजीज और हाय ब्लड प्रेशर जैसी प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। 
  • शिशुओं में लिवर से जुड़ी परेशानियां ट्रीटमेंट की शुरुआत में हो सकती हैं। आईवी मिक्चर में प्रोटीन की मात्रा को कम करके इस परेशानी की ठीक किया जा सकता है
  •  इस दौरान डॉक्टर को शिशु को ध्यान पूर्वक निरीक्षण करना चाहिए। इसके लिए ब्लड टेस्ट और यूरिन टेस्ट लेना जरूरी होता है। इससे डॉक्टर्स को पता चलता है कि शिशु को टीपीएन के कंपोनेंट्स में कुछ बदलाव करने की जरूरत है या नहीं। 

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न्यूट्रिशन केयर ऑर्गनाइजेशन के अनुसार अगर किसी प्रकार का कोई जोखिम नहीं होता है तो बच्चे और व्यस्क दोनों इस ट्रीटमेंट का यूज कर सकते हैं। जब तक इसकी आवश्यकता रहती है तब तक इसका उपयोग किया जा सकता है।  

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Total parenteral nutrition – infants/https://medlineplus.gov/ency/article/007239.htm/ Accessed on 4th Feb 2021

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Home parenteral nutrition/https://www.mayoclinic.org/tests-procedures/total-parenteral-nutrition/about/pac-20385081/Accessed on 4th Feb 2021

Current Version

04/02/2021

Manjari Khare द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Toshini Rathod


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 04/02/2021

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