रिफ्लक्स (Reflux)
शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) में रिफ्लक्स भी शामिल है। अगर शिशु फीड के तुरंत बाद रोता है, तो यह हार्टबर्न का लक्षण हो सकता है। लेकिन, अगर आप शिशु को बोतल से फीड कराती हैं, तो ध्यान रखें यह समस्या शिशु को एयर को निगलने के कारण तो नहीं हो रही। इससे शिशु को आराम पहुंचाने के लिए शिशु को फीड कराने के बाद ड़कार अवश्य दिलाएं। अगर आप बोतल से फीड करा रही हैं, तो बाजार में आपको खास तरह के निप्पल और बोतल मिल जाएंगे जिन्हें अधिक एयर निगलने से बचाने के लिए बनाया गया होता है। अगर इससे राहत नहीं मिलती है तो इसका कारण रिफ्लक्स हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से बात करना जरूरी है।

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शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons): कोलिक (Colic)
कई नवजात शिशुओं को यह समस्या होती है। जिसमें वो दिन में लंबे समय तक रोते हैं। यह परेशानी आमतौर पर उनके जन्म के पहले महीने के दौरान होती है। इस दौरान उनका रोग सामान्य से अधिक लाउड हो जाता है। यही नहीं, वो रोते हुए पैरों को कर्ल कर लेते हैं और अपनी मुट्ठी को बंद कर लेते हैं। इस समस्या के स्पष्ट कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, यह परेशानी आमतौर पर तीन या चार महीने में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, फिर भी अपने शिशु को शांत करने के लिए आप पेसिफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं, शिशु को वॉक पर ले जा सकते हैं, उसे कोई गाना सुना सकते हैं आदि। लेकिन, अगर लम्बे समय तक यह समस्या ठीक नहीं होती है, तो अपने डॉक्टर से बात करें ताकि जाना जा सके कि बेबी को कोई अन्य परेशानी तो नहीं है।
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शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons): स्लीप हैबिट्स (Sleep habits)
शिशु के छह महीने के होने पर शिशु खुद सो सकते हैं। यानी, इसके लिए पेरेंट्स को मेहनत नहीं करनी पड़ती। लेकिन कई बार हो सकता है कि शिशु आपके बिना बेड में न जाए। स्लीप शेड्यूल होने के बाद भी अगर शिशु को नींद आने में समस्या हो रही है तो हो सकता है कि वो बीमार हो या जगह में बदलाव के कारण भी इसकी वजह हो सकती है। शिशु को इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए सबसे पहले जानें कि आपका शिशु बीमार तो नहीं है। अगर ऐसा है तो उसका उपचार कराएं। जगह में बदलाव के कारण अगर ऐसा हो रहा है तो चिंता न करें कुछ ही दिनों में शिशु को इसकी आदत हो जाएंगी। यह तो थे शिशु के रोने के कारण(Baby crying reasons)। अब जानते हैं कि आपको कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?
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