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शिशु के अत्यधिक रोने से हैं परेशान? तो जानिए क्या हो सकते हैं इसके कारण!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


AnuSharma द्वारा लिखित · अपडेटेड 25/05/2022

    शिशु के अत्यधिक रोने से हैं परेशान? तो जानिए क्या हो सकते हैं इसके कारण!

    जब शिशु जन्म लेता है, तो वो सबसे पहले रोता है। इस समय उसका रोना अच्छा माना जाता है। छोटे बच्चों का रोना बेहद नार्मल है और इसके कई कारण हो सकते हैं। शिशु बोल कर अपनी परेशानी नहीं बता सकता। ऐसे में वो रो कर इसे एक्सप्रेस करने की कोशिश करता है। शिशु को जब भूख लगती है, वो डायपर गीला करता है या कभी-कभी मां की अटेंशन पाने के लिए भी शिशु रोता है। लेकिन, कई बार इसके पीछे कोई गंभीर कारण भी हो सकता है। आज हम इस बारे में बात करने वाले हैं कि शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) क्या हो सकते हैं। इसके साथ ही शिशु को शांत कैसे कराएं इसके बारे में भी जानें। शुरुआत करते है शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) जानने से।

    शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) क्या हो सकते हैं?

    क्या आप जानते हैं कि शिशु अपनी विभिन्न नीड्स और इमोशंस को व्यक्त करने के लिए अलग-अलग तरह से रोता है। हो सकता है कि आपको इसके बारे में समझने में वक्त लग जाए। लेकिन, धीरे-धीरे पेरेंट्स इसे समझने लगते हैं। आइए जानने शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) कौन से हो सकते हैं?

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    भूख (Hunger)

    भूख शिशु के रोने का सबसे बड़ा कारण है।  शिशु के तीन महीने का होने पर उन्हें हर थोड़े देर में फीड कराना होता है। जब भी उन्हें भूख लगती है, तो वो शॉर्ट और लो पिच में रोते हैं।  बीच-बीच में यह रोना अधिक भी हो सकता है। अगर आपका शिशु भूख की वजह से रो रहा है, तो उसे तुरंत ब्रेस्टफीड या बॉटल-फीड कराएं, ताकि वो शांत हो सके। कई बार शिशु को इस स्थिति में पेसिफायर (Pacifier) भी दिया जा सकता है। कई बार बेबी भूख लगने पर अपना खुद का अंगूठा भी चूसने लगते हैं।

    थकावट (Fatigue)

    अधिकतर वयस्कों के विपरीत, ऐसा माना गया है कि जो बच्चे थके हुए होते हैं, वे अक्सर सोने के बजाय ज्यादा उधम मचाते हैं। थकावट को भी शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) माना जा सकता है। अगर ऐसा है, तो सबसे पहले शिशु का डायपर चेक करें। हो सकता है गंदे डायपर की वजह से शिशु न सो पा रहा हो। इसके साथ ही शिशु को अपनी गोद में लें और सुलाने की कोशिश करें या आप उसे स्ट्रोलर में वॉक पर भी ले जा सकती हैं। इससे उसको आराम मिलेगा और वो जल्दी सो जाएगा।

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    शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons): एलर्जी (Allergy)

    जो भी मां खाती है, वो ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से शिशु तक पास होता है। इससे कई बार उनके पेट में समस्या हो सकती है। अगर ऐसा बहुत बार होता है तो शिशु एलर्जिक हो सकता है। ऐसा भी हो सकता है कि वो गाय के दूध, नट्स या अन्य फूड्स के प्रति एलर्जिक हो। अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे को फूड एलर्जी है, तो डॉक्टर से बात करें। अगर आप ब्रेस्टफीड करा रही हैं, तो डॉक्टर आपको कुछ चीजों का सेवन करना बंद करने के लिए कह सकते हैं। अगर आप अपने शिशु को फॉर्मूला दे रही हैं, तो डॉक्टर आपको डिफरेंट फॉर्मूला देने की सलाह दे सकते हैं।

    रिफ्लक्स (Reflux)

    शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) में रिफ्लक्स भी शामिल है। अगर शिशु फीड के तुरंत बाद रोता है, तो यह हार्टबर्न का लक्षण हो सकता है। लेकिन, अगर आप शिशु को बोतल से फीड कराती हैं, तो ध्यान रखें यह समस्या शिशु को एयर को निगलने के कारण तो नहीं हो रही। इससे शिशु को आराम पहुंचाने के लिए शिशु को फीड कराने के बाद ड़कार अवश्य दिलाएं। अगर आप बोतल से फीड करा रही हैं, तो बाजार में आपको खास तरह के निप्पल और बोतल मिल जाएंगे जिन्हें अधिक एयर निगलने से बचाने के लिए बनाया गया होता है। अगर इससे राहत नहीं मिलती है तो इसका कारण रिफ्लक्स हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से बात करना जरूरी है।

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    शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons): कोलिक (Colic)

    कई नवजात शिशुओं को यह समस्या होती है। जिसमें वो दिन में लंबे समय तक रोते हैं। यह परेशानी आमतौर पर उनके जन्म के पहले महीने के दौरान होती है। इस दौरान उनका रोग सामान्य से अधिक लाउड हो जाता है। यही नहीं, वो रोते हुए पैरों को कर्ल कर लेते हैं और अपनी मुट्ठी को बंद कर लेते हैं। इस समस्या के स्पष्ट कारणों के बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन, यह परेशानी आमतौर पर तीन या चार महीने में खुद ही ठीक हो जाती है। लेकिन, फिर भी अपने शिशु को शांत करने के लिए आप पेसिफायर का इस्तेमाल कर सकते हैं, शिशु को वॉक पर ले जा सकते हैं, उसे कोई गाना सुना सकते हैं आदि। लेकिन, अगर लम्बे समय तक यह समस्या ठीक नहीं होती है, तो अपने डॉक्टर से बात करें ताकि जाना जा सके कि बेबी को कोई अन्य परेशानी तो नहीं है।

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    शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons): स्लीप हैबिट्स (Sleep habits)

    शिशु के छह महीने के होने पर शिशु खुद सो सकते हैं। यानी, इसके लिए पेरेंट्स को मेहनत नहीं करनी पड़ती। लेकिन कई बार हो सकता है कि शिशु आपके बिना बेड में न जाए। स्लीप शेड्यूल होने के बाद भी अगर शिशु को नींद आने में समस्या हो रही है तो हो सकता है कि वो बीमार हो या जगह में बदलाव के कारण भी इसकी वजह हो सकती है। शिशु को इस परेशानी से बाहर निकलने के लिए सबसे पहले जानें कि आपका शिशु बीमार तो नहीं है। अगर ऐसा है तो उसका उपचार कराएं। जगह में बदलाव के कारण अगर ऐसा हो रहा है तो चिंता न करें कुछ ही दिनों में शिशु को इसकी आदत हो जाएंगी। यह तो थे शिशु के रोने के कारण(Baby crying reasons)। अब जानते हैं कि आपको कब डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए?

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    डॉक्टर की सलाह कब लें?

    कुछ परिस्थितियों में शिशु के रोने को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बल्कि, तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए, जैसे:

    • अगर आपका बच्चा दो घंटे तक लगातार रो रहा हो और चुप न हो रहा हो।
    • शिशु को 100.4 degree F से अधिक बुखार हो।
    • बेबी कुछ भी खा-पी न रहा हो और उल्टी कर रहा हो।
    • अगर शिशु को मूत्र त्याग न कर पाना, ब्लडी पूप जैसी समस्याएं हो, तो भी तुरंत मेडिकल हेल्प लेनी जरूरी है। अब जानिए शिशु के रोने की स्थिति को कैसे मैनेज करें?

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    शिशु के रोने को कैसे मैनेज करें?

    शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) क्या हो सकते हैं, यह तो आप जान ही गए होंगे। कुछ मामलों में हो सकता है कि आपका शिशु बिलकुल भी चुप न हो रहा है और रोज लंबे समय तक रोता हो। ऐसा कोलिक के कारण हो सकता है। कुछ तरीकों से आप इसे मैनेज कर सकते हैं, जैसे:

    • एक गहरी सांस लें। अपने आप को याद दिलाएं कि यह कंडिशन हमेशा नहीं रहेगी। यदि इसका कारण शिशु के पेट में दर्द है, तो इसे आमतौर पर लगभग 3 महीने में अपने आप ठीक हो जाना चाहिए।
    • खुद को थोड़ा ब्रेक दें और दूसरों की मदद लें। अगर आप का शिशु इस परिस्थिति से गुजर रहा है, तो  शिशु के साथ अधिक से अधिक समय बिताएं। इसके साथ ही हो सकता है कि
    • आपको इसमें पर्याप्त रेस्ट करने का मौका न मिल पा रहा हो, तो अन्य परिजनों या दोस्तों की मदद लें और खुद का भी ध्यान रखें।
    • आप रिलैक्सेशन टेक्निक्स जैसे मेडिटेशन और योग भी कर सकते हैं।
    • खुद को स्वस्थ रखें।  हेल्दी खाएं, व्यायाम करें और पर्याप्त नींद लें। अगर आप खुद स्वस्थ होंगी तभी शिशु का ख्याल रख पाएंगी।
    • अपनी लिमिट्स के बारे में जानें। क्योंकि, हो सकता है कि शिशु का लगातार रोना आपके लिए बर्दाश्त से बाहर हो रहा हो। ऐसे में खुद को शांत करने के लिए कुछ समय लें। आप प्रियजन, डॉक्टरों, थेरेपिस्ट आदि की मदद ले सकते हैं।

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    उम्मीद है कि आपको शिशु के रोने के कारण (Baby crying reasons) क्या हैं, यह पता चल चुका होगा। आमतौर पर शिशु का रोना सामान्य है। लेकिन आपके शिशु के रोने के सही कारण के बारे में पता होना जरूरी है। इसके लिए उसके लक्षणों को पहचानें। अगर शिशु के रोने के पीछे कोई मेडिकल कंडिशन है, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। आपके मन में यदि इस बारे में कोई भी सवाल है, तो डॉक्टर से अवश्य जानें।

    डिस्क्लेमर

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