शिशु के लिए मिल्क पाउडर : डायबिटीज और क्रॉनिक डिजीज का खतरा
शिशु के लिए मिल्क पाउडर का चुनाव करने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि लंबे समय तक फॉर्मूला मिल्क का सेवन करने से बच्चे में अलग-अलग तरह की क्रॉनिक डिजीज (Chronic disease) या टाइप वन डायबिटीज होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा पेट से संबंधित समस्याएं भी शिशु को आसानी से हो सकती है, जिसमें सिलियक डिजीज और इन्फ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (Celiac Disease and Inflammatory Bowel Disease) आम तौर पर देखी जाती है। इसलिए शिशु के लिए मिल्क पाउडर का चुनाव सोच समझ कर करना चाहिए।
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शिशु के लिए मिल्क पाउडर : बढ़ती है अस्थमा की शिकायत
शिशु के लिए मिल्क पाउडर (Milk powder for babies) का चयन करने से पहले आपको यह बात जरूर जान लेनी चाहिए कि जो बच्चे शुरुआती समय से लंबे समय तक फॉर्मूला मिल्क पर का सेवन करते हैं, वह बच्चे आसानी से अस्थमा (Asthma) के शिकार बन सकते हैं। जिसके चलते उन्हें ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स हो सकती हैं। वहीं जो बच्चे ब्रेस्टफीडिंग करते हैं, उन बच्चों में अस्थमा की समस्या कम देखी जाती है। ब्रेस्ट मिल्क के चलते बच्चे का इंटरनल सिस्टम दिन पर दिन मजबूत बनता है और वह इन लाइफ़स्टाइल डिजीजेज से निपटने के लिए तैयार रहता है। लेकिन जब आप शिशु के लिए मिल्क पाउडर का चयन करते हैं, तो मिल्क पाउडर से उसे जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाते, इसलिए उसकी इम्यूनिटी कम होती चली जाती है।
हालांकि कुछ स्थितियों में मां को मजबूरन शिशु के लिए मिल्क पाउडर (Milk powder for babies) का चयन करने की जरूरत पड़ती है, लेकिन ऐसी स्थिति में डॉक्टर या पीडियाट्रिशियन से सलाह लेकर इन बातों पर गौर किया जा सकता है।
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हर बच्चे की जरूरत अलग-अलग होती है, इसलिए आपको शिशु के लिए मिल्क पाउडर (Milk powder) का चुनाव करने से पहले कई बातों पर ध्यान रखना होता है। शिशु के लिए मिल्क पाउडर के चुनाव के बाद यदि आप बच्चे में डिस्कंफर्ट या परेशान करने वाले लक्षण देखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना आपके लिए जरूरी माना जाता है। ऐसी स्थिति में आप आपको तुरंत प्रोडक्ट बदलने की जरूरत पड़ती है। इस तरह आप बच्चे को कई तरह की समस्याओं से बचा पाते हैं। शिशु के लिए मिल्क पाउडर (Milk powder for babies) हमेशा कुछ खास स्थितियों में ही देना चाहिए, क्योंकि बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए उसे ब्रेस्टफीडिंग कराना ही पहला विकल्प होना चाहिए।