शिशु को दूध पिलाने के नियम को इस आर्टिकल में आगे और बेहतर तरीके से समझेंगे। शिशु को दूध पिलाने के नियम अलग-अलग होते हैं। दरअसल जो महिलाएं अपने शिशु को स्तनपान करवाती हैं या फॉर्मूला मिल्क देती है, उन दोनों के लिए बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) अलग-अलग होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्रेस्ट फीडिंग करने वाले बच्चों की तुलना में फॉर्मूला मिल्क पीने बच्चों की तुलना में भूख ज्यादा लगती है।
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शिशु को दूध पिलाने के नियम में सबसे पहले बात कर लेते हैं ब्रेस्ट फीडिंग 🤱 करने वाले बच्चों की-
4 घंटे के गैप पर शिशु को स्तनपान करवाते रहें और निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें। जैसे:
- बेबी फीडिंग शेड्यूल में अगर आपका शिशु 1 से 3 महीने का है, तो 24 घंटे में 7 से 9 बार ब्रेस्ट फीडिंग करवाएं।
- 3 महीने के शिशु को 24 घंटे में 6 से 8 बार फीडिंग करवाएं।
- 6 महीने के शिशु को 24 घंटे में 6 बार स्तनपान करवाना चाहिए।
- 12 महीने के शिशु को 24 घंटे में 4 बार फीडिंग करवाना चाहिए।
नोट: अगर आप अपने बच्चे को अब सॉलिड फूड देना चाहते हैं, तो उसे अच्छी तरह से मैश कर खिलाएं।
ध्यान रखें कि यह पैटर्न सिर्फ एक उदाहरण के तौर पर आपको बताया गया है। वहीं शिशु को दूध पिलाने के नियम में बदलाव भी हो सकते हैं, क्योंकि यह शिशु के सेहत पर भी निर्भर करता है।
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बॉटल 🍼 से स्तनपान करने वाले बच्चों के लिए फीडिंग शेड्यूल-
अगर आपका शिशु किसी भी कारण से बॉटल से स्तनपान करता है, तो उन्हें इस तरह फीडिंग करवाएं। जैसे:
- नवजात शिशुओं को 2 से 3 घंटे के गैप में दूध पिलाएं।
- 2 महीने के शिशु को 3 से 4 घंटे के गैप में दूध पिलाएं।
- बेबी फीडिंग शेड्यूल में थोड़ा बदलाव लाएं और 4 से 6 महीने के शिशुओं को 4 से 5 घंटे के गैप पर दूध पिलाते रहें।
- जब आपका शिशु 6 महीने या इससे ज्यादा का हो जाए, तो 24 घंटे में 4 से 5 बार फीडिंग करवाएं।
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कैसे समझें शिशु को भूख लगी है या नहीं?
किड्स हेल्थ में पब्लिश्ड एक रिपोर्ट के अनुसार निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें, तो आप आसानी से समझ सकते हैं कि आपके लाडले या लाडली को भूख लगी है। जैसे:
- शिशु का सिर हिलना या इधर-उधर देखना
- बार-बार भूख लगना
- जीभ बार-बार बाहर निकालना
- हाथ, हाथ की उंगली या पैर को मुंह में डालना
- अपनी होंठों को चूसना
ब्रेस्ट फीडिंग या बॉटल से फीड करने वाले बच्चों के लिए महत्वपूर्ण टिप्स
- एक साल से कम उम्र के बच्चों को ब्रेस्ट मिल्क या फॉर्मूला मिल्क के अलावा कोई अन्य लिक्विड या जूस ना दें।
- छोटे बच्चों के दूध में कोई भी अन्य चीज ना मिलाएं। इससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है और अगर कोई सॉलिड फूड मिलते हैं, तो यह बच्चे के गले में फस सकता है।
- 6 महीने से छोटे बच्चों को कोई भी अनाज नहीं देना चाहिए।
- एक साल से छोटे बच्चों को शहद ना दें, क्योंकि शिशु को इन्फेंट बॉटुलिस्म (Infant botulism) की समस्या हो सकती है। इन्फेंट बॉटुलिस्म एक तरह का बैक्टीरिया है, जो शिशु के इंटेस्टाइन के लिए हानिकारक होता है।
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