ईट, स्लीप, पी, पूप, रिपीट (Eat, sleep, pee, poop, repeat)… नवजात के जन्म से उनका यही रूटीन होता है और इस रूटीन को फॉलो करना पैरेंट्स या घर के अन्य सदस्यों की जिम्मेदारी होती है। पैरेंट्स को हमेशा यह ध्यान रखना होता है कि बच्चा ईट, स्लीप, पी, पूप ठीक तरह से कर रहा है या नहीं! कोलकाता की रहने वाली मिनी माथुर से हमने बात की, क्योंकि मिनी न्यूली मॉम हैं। जब मिनी से हमने जानना चाहा कि शिशु को दूध पिलाने के नियम या बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) वो कैसे तय करती हैं? और क्या बच्चों को दूध पिलाने का समय या फीडिंग में कोई कठिनाई भी आती है? तो मिनी कहती हैं कि ‘मेरी बेटी अभी एक साल दो महीने की है। मुझे उसके फीडिंग शेड्यूल का पूरा ध्यान रखना पड़ता है, क्योंकि अभी हम उनके खाने-पीने का जितना ख्याल रखेंगे आगे भी वो उतना ही हेल्दी रहेगी। मुझे शुरुआत में कठिनाई होती थी और समझ नहीं आता था कि इसे कब और क्या खिलाऊं, लेकिन जब मैंने पीडियाट्रिशियन से कंसल्ट किया, तो मेरी प्रॉब्लम कम हुई और अब उतनी प्रॉब्लम नहीं होती है।’ तो मिनी डॉक्टर से गाइडेंस लेने के बाद अब टेंशन फ्री हैं, लेकिन अगर आपभी बेबी फीडिंग शेड्यूल (Baby Feeding Schedule) को लेकर टेंशन में रहती हैं, तो हैलो स्वास्थ्य आपके साथ शेयर करने जा रहा है शिशु को दूध पिलाने के नियम कैसे बनायें और किन-किन बातों का ध्यान रखें।