ओट्स प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है। इससे बच्चे को ताकत मिलती है और यह पाचन में भी आसान होता है। ओट्स के सेवन से इम्युनिटी (Immunity) बढ़ती है। केवल बच्चों के लिए ही नहीं बड़ों के लिए भी दलिया बहुत हेल्दी माना जाता है। इसमें कई मिनरल्स पाए जाते हैं, जैसे कि खनिज फास्फोरस, मैग्नीशियम (Magnesium) और आयरन होता है। ये सभी पोषक तत्व शिशु के विकास के लिए बहुत जरूरी होते हैं। ये बच्चे की मानसिक और शारीरिक सेहत के लिए फायदेमंद होते हैं।
और पढ़ें: अपने बच्चे के आहार को लेकर हैं परेशान, तो जानिए बच्चों के लिए हेल्दी फूड पिरामिड के बारे में
फीवर में शिशु के लिए खाना: वेजिटेबल एंड फ्रूट स्मूदि (Vegetable & Fruit Smoothie)
फीवर में शिशु के लिए खाना क्या होना चाहिए? अधिकतर पेरेंट्स के मन में यह सवाल होता है। तो आप हेल्दी डायट में बच्चे को वेजिटेबल या फ्रूट स्मूदि दे सकते हैं, जैसे कि बॉयल एप्पल की स्मूदि या चुकंदर की स्मूदि आदि। आप अपने बच्चे की पसंद के फल और सब्जियों से स्मूदि तैयार कर सकते हैं। सेब के अलावा आप उन्हें नाशपाती और गाजर की प्यूरी बुखार होने पर दे सकते हैं। यह पाचन में भी आसान होगा।
और पढ़ें: बच्चे के लिए ढूंढ रहे हैं बेस्ट बेबी फूड ब्रांड्स, तो ये आर्टिकल कर सकता है मदद
फीवर में शिशु के लिए मां का दूध (Mother Milk)
छोटे शिशुओं में आहार के मुकाबले मां के दूध ज्यादा तकातवर होता है। मां के दूध और फॉर्मूला मिल्क (Formula Milk) में अत्यधिक मात्रा में पोषण पाया जाता है। यह बच्चे की इम्यूनिटी को भी बढ़ाता है। मां के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। मां के दूध से शिशु को बुखार से ही नहीं बल्कि कई अन्य बीमारियों में भी फायदा मिलता है।
और पढ़ें: टोडलर ग्रोथ स्पर्ट्स : बच्चे की ग्रोथ के महत्वपूर्ण चरण, जानिए विस्तार से!
फीवर में शिशु के लिए खाना: अदरक और अजवाइन (Ginger and Celery)
अदरक में कई एंटीऑक्सिडेंट गुण पाए जाते हैं। जो शरीर से संक्रमण को बाहर करते हैं। इसके लिए एक कप पानी में थोड़ी-सी अदरक को डालकर उबाल लें। फिर इसमें शहद मिला लें। इस पानी को गुनगुना होने पर छानकर शिशु को पिलाएं।
बीमारी से लड़ने में अजवायन को रामबाण माना जाता है। एक कप पानी में थोड़ी-सी अजवाइन को रातभर भिगोकर रख दें। यह बच्चे में सर्दी और जुकाम की समस्या को भी दूर करती है।
फीवर में शिशु के लिए खाना: अन्य फूड (Other Food)
कुछ अन्य फूड भी बच्चे के रिकवरी में जल्दी मदद कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- फलों का जूस
- ग्लूकोज ड्रिंक
- दूध
- नारियल पानी
- फ्रूट कस्टर्ड
- अंडे
- सब्जियों का रस
- अनाज
- बॉयल चिकन
- कुक्ड फिश मछली
- उबली हुई पत्तेदार सब्जियां
- सलाद (गाजर, बीन्स, कद्दू, शकरकंद आदि)
- सूखे मेवे या सूखे मेवे के साथ दूध
- नारंगी और पीले फल (खट्टे फल)
और पढ़ें: जानें इस इंटरव्यू में कि ऑटिस्टिक बच्चे की पेरेटिंग में क्या-क्या चैलेंजस होते हैं
फीवर में शिशु के लिए खाना: इन फूड्स का सेवन न करें (Avoid Food)
जिन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए:
- मक्खन
- घी
- रिफाइन ऑयल
- रेशेदार खाद्य पदार्थ
- ऑयली फूड
- पेस्ट्री
- पुडिंग
- मसालेदार भोजन
- तीखे भोजन
और पढ़ें: डब्ल्यू-सिटिंग : कुछ ऐसे छुड़ाएं बच्चे की इस पोजीशन में बैठने की आदत को!
ध्यान रखने योग्य कुछ बातें:
- यदि बच्चे का खाने का मन न हो तो उसके साथ खाना खाने के लिए बहुत जोर जर्बदस्ती न करें। इससे उसे उल्टी हो सकती है। जो थोड़ा बहुत खा रखा है, वो भी निकल जाएगा।
- सुनिश्चित करें कि उन्हें भरपूर आराम मिले।
- उन्हें हल्के वजन के कपड़े पहनाएं।
- बच्चे के कमरे का सही तापमान बनाए रखें, न ज्यादा ठंडा और न ज्यादा गर्म।
- यदि 2-3 दिनों तक बुखार लगातार 102-103 से ऊपर रहता है, तो आपको तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ को फोन करना चाहिए।
और पढ़ें: बच्चे के शरीर में प्रोटीन की कमी पर सकती है भारी, ना करें इन संकेतों को अनदेखा
पहले दो या 3 दिन बच्चे को सूप, ग्लूकोज पानी और जूस जैसे लिक्विड फूड दें। नियमित अंतराल पर छोटे-छोटे भोजन दें, हर 2 घंटे में जिसे धीरे-धीरे हर 4 घंटे तक बढ़ाया जा सकता है। ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जो सॉफ्ट होने के साथ पाचन में भी आसान हो, जैसे कि दूध, केला, पपीता, संतरा, मुसंबी, खरबूजे आदि जैसे नरम फल। खिचड़ी या मैश किए हुए दही चावल या नरम उबली हुई सब्जियां भी शामिल की जा सकती हैं। आहार में प्रोटीन की मात्रा बढ़ानी चाहिए, इसलिए दूध, अंडे और दाल जैसे उच्च पोषक तत्व प्रोटीन प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।
वसायुक्त भोजन, मसालेदार और अत्यधिक रेशेदार भोजन को पचाना मुश्किल होता है और इससे बचना चाहिए। यह भी याद रखना बहुत महत्वपूर्ण है कि बुखार के दौरान विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन बी, कैल्शियम, आयरन और सोडियम जैसे कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है। कुछ मामलों में संक्रमण के आधार पर उल्टी, दस्त, खांसी और सर्दी भी हो सकती है। लक्षणों को कम करने और बच्चे को सहज महसूस कराने के लिए इन सभी स्थितियों को डॉक्टर से संपर्क करें।