शुरुआती दौर में मेरी लिए बहुत चैलेंजेस थें और आज भी है। पहले तो समझ नहीं आ रहा था कि कैसे सब हैंडल करूंगी। पर समय के साथ, उसे थेरिपिस्ट के माध्यम से ट्रेंन किया। आप समझ सकते हैं, जो बच्चा अपनी भावनाएं तक नहीं जता पाए कि उसे भूख लगी है। वो कैसी लाइफ होगी। मैं समझ ही नहीं पाती थी कि उसे हैंडल कंरू कैसे। उसके ट्रीटमेंट और ट्रेनिग के बाद उसमें काफी सुधार आया। घर पर तो सब चल जाता है, लेकिन ऐसे बच्चों के लिए मुश्किल वहां से शुरू होती है। जहां से उनकी सोशल लाइफ शुरू होती है और एक बच्चे की सोशल लाइफ उसके स्कूल से शुरू होती है। अब वो भी दूसरे बच्चों की तरह स्कूल जाता है। बस उसके भविष्य की चिंता रहती है।
उसका डे सेड्यूल और लाइफस्टाइल (Lifestyle & schedule) क्या है?
उसकी लाइफस्टाइल भी दूसरे बच्चों की तरह है। वाे भी स्कूल जाता है। अपनी पसंद की चीजें खाता है। दिन में सोना, शाम को टयूशन पढ़ना और टीवी देखना। रात को उसे अब सोने में कोई दिक्कत भी महसूस नहीं होती है। हां लेकिन वो दूसरे बच्चों के साथ खेलता कम है। वो अकेले खेलना या ड्राइंग करना ज्यादा पसंद करता है।
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आप उसे ट्रवलिंग के दौरान कैसे हैंड्ल करती है?
हम उसे ज्यादा लॉन्ग ट्रैवलिंग में अभी तक लेकर नहीं गए हैं। पर हम जब भी बाहर घूमने जाते हैं, तो मैं और मेरे हसबैंड दोनों ही संभालते हैं। वो हमें परेशान नहीं करता है। हम लोग साथ में शॉपिंग करते हैं। फिर उसकी पसंद का डिनर कर के वॉपस आ जाते हैं।
क्या उसका मेडिकल ट्रीटमेंट (Medical Treatment) चल रहा है और अभी उसमें कोई सुधार आया?
जैसे ही मुझे इसकी बीमारी के बारे में पता चला, मैं ने तुरंत डाॅक्टर से बात किया। अभी डॉक्टर एंड थेरिपिस्ट के अंडर इसका ट्रीटमेंट चल रहा है। अब इसमें काफी सुधार भी आ चुका है।
आपके बच्चे में ऑटिज्म के क्या-क्या लक्षण हैं?
ऑटिज्म के शिकार बच्चे में बहुत सारे लक्षण होते हैं। अगर मैं अपने बेटे में लक्षणों की बात करूं तो वो अपनी लाइफ स्किल्स के बारे में बता नहीं पाता था। दूसरे बच्चों के साथ उसे खेलेने में दिक्कत होती है। उसके दिमाग में जो एक काम चढ़ जाता था। वो उसे ही करता रहता था। जिस काम को दूसरे बच्चे करने में थक जाते। वही वो इस काम को बिन थके घंटो तक करता। किसी के बातों का रिसपॉन्स नहीं करना आदि, ऐसी बहुत सी आदते थी।
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आप दूसरे पेरेंट्स काे क्या संदेश देना चाहती हैं?
मैं सभी पेरेंट्स को यह बोलना चाहूंगी कि ऑटिज्म के शिकार बच्चे में शुरुआती दौर से ही बहुत से लक्षण नजर आने लगते हैं। छोटे-छोटे लक्षणों को उन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए। एक बार डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। क्योंकि जिनती जल्दी वो इस बात को स्वीकार लेंगे। उतनी जल्दी ट्रीटमेंट द्वारा बच्चे को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से बहार निकाला जा सकता है। अगर आप अपने बच्चे की इस कमी को अपनाएंगे, तभी समाज भी उसे स्वीकारेगा।
तो आपने जाना कि ऑटिज्म के शिकार बच्चे को पेरेंट्स को किस-किस तरह के परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसका समय रहते इलाज बहुत जरूरी है। क्योंकि कहा जाता है कि बच्चे का विकास 5 साल की उम्र तक ज्यादा होता है। तो ऐसे में इलाज जल्दी शुरु होगा, बच्चे के लिए उतना ही अच्छा होगा। ऐसे लक्षण नजर आने पर डाॅक्टर से तुरंत बात करनी चाहिए।