बच्चों का बचपन खेलते हुए ही अच्छा लगता है। लेकिन बहुत से ऐसे बच्चे होते हैं, जिनका बचपन पेरेंट्स के सामने अंधरे छाव की तरह निकलता है। हम बात कर रहे हैं ऑटिस्टिक बच्चों की। जिनका मानसिक विकास नॉर्मल बच्चों की तरह नहीं हो पाता है। यह चुनौती केवल बच्चे के लिए ही नहीं, बल्कि पेरेंट्स के लिए भी संघर्ष भरी होती है। इस बार के वर्ल्ड ऑटिज्म डे (world autism day) पर हमनें बात किया एक ऐसे ही ऑटिज्म के शिकार बच्चे के पेरेंट्स से, जो कि दिल्ली में रहने वाले हैं और इनका 7 साल का बेटा, रियांश को ऑटिज्म की समस्या का शिकार है। रियांश की मां ने हमारे साथ बातचीत में शयर किया कि उन्हें कब उसकी इस बीमारी के बारे मे पता चला और क्या-क्या चुनौतिया आती हैं, उनके सामने। इसी के साथ ही वो कैसे इसे संभालती हैं। इस इंटरव्यू को शुरू करने से पहले हम थोड़ा से यह जान लेते हैं कि ऑटिज्म (Autism) है क्या।