ऑटिज्म का दिमाग पर असर (Autism’s effect on the brain) के कारण असामान्य दिमागी संरचना
ऑटिज्म का दिमाग पर असर को समझने के लिए एक्स-रे, ब्रेन स्कैन, एमआरआई आदि के माध्यम से साइंटिस्ट्स निम्नलिखित निष्कर्ष निकाल चुके हैं –
ऑटिज्म का दिमाग पर असर गर्भ में और जन्म के बाद : शोध में पाया गया कि जन्म से पहले और जन्म के बाद कम वजन वाले और असामान्य दिमागी संरचना वाले बच्चों में ऑटिज्म होने की संभावना सामान्य बच्चों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा थी। दिमाग के उन हिस्सों में विकार देखा गया, जो हिस्से खासतौर पर हमारी भावनाओं और विचार व्यक्त करने जैसे व्यवहार को नियंत्रित करते हैं।
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ऑटिज्म का दिमाग पर असर (Autism’s effect on the brain) के कारण असामान्य दिमागी प्रक्रिया
ऑटिज्म का दिमाग पर असर को समझने के दौरान कई शोधकर्ताओं ने ऑटिज्म रोगियों में न्यूरोट्रांसमिटर्स खासकर दिमाग में संदेश भेजने वाले तत्व सेरोटॉनिन (Serotonin) की अधिकता देखी। इसके अलावा ऑटिज्म पर एक नए लेख में बताया गया है कि ऐसे मामलों में दिमागी सेल्स में उर्जा की कमी देखी गई, जो माइटोकॉन्ड्रिया के असामान्य व्यवहार की वजह से होती है।
ये थ्योरी जानवरों पर एक एक्सपेरिमेंट पर आधारित है, जिसमें सिद्ध किया गया कि एपीटी मेडियेटर की मदद से ऑटिज्म के लक्षणों को कम किया जा सकता है। इसमें 17 तरह की दवाईयों को चिन्हित किया गया, जो कई तरह के मनोविकार, बोल-चाल में पेरशानी, सामाजिक व्यवहार, डर आदि जैसे ऑटिज्म के लक्षणों को ठीक कर सकती हैं। हालांकि, अब तक इन दवाईयों का प्रयोग इंसानों पर नहीं किया गया है।
ऑटिज्म का दिमाग पर असर को लेकर एक और खोज
अब तक माना जाता था कि दिमाग के सेरेब्रल कॉर्टेक्स (Cerebral cortex) में बनी धारियां जन्म के वक्त तक पूर्ण रूप से विकसित हो जाती है। पर इस रिसर्च में यह अद्भुत खोज हुई जिसमें साइंटिस्ट्स ने पाया कि सेरेब्रल कॉर्टेक्स में बनी धारियां ऑटिज्म प्रभावित लोगों में समय के साथ-साथ गहरी होती चली जाती हैं।