इस समस्या के लक्षण इस प्रकार हैं:
- परेशान ,बैचेन और चिंतित महसूस करना (Feeling Nervous, restless or Tense)
- हार्ट रेट का बढ़ना (Having an increased Heart Rate)
- सांस का तेजी से बढ़ना (Breathing Rapidly)
- पसीना आना (Sweating)
- थकावट (Feeling Weak or Tired)
- ध्यान लगाने या सोचने में समस्या (Trouble in Concentrating or Thinking)

कारण (Causes) : एंग्जायटी डिसऑर्डर का कोई स्पष्ट कारण नहीं है। इस बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स (Behavioral and Developmental Disorders in Children) को कुछ कारण बढ़ा सकते हैं जैसे:
- जेनेटिक्स (Genetics)
- ब्रेन केमिस्ट्री (Brain chemistry)
- जीवन की कुछ घटनाएं (Life situations)
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उपचार : एंग्जायटी डिसऑर्डर्स का इलाज कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive Behavioral Therapy) के साथ किया जाता है। यह एक प्रकार की टॉक थेरेपी है जो परिवारों, बच्चों और किशोरों को चिंता, भय और चिंता का प्रबंधन करने में मदद करती है।
11-15 साल के बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स (Behavioral and Developmental Disorders in Children : 11-15 years)
11-15 साल के बच्चे किशोरावस्था में कदम रख चुके होते हैं। यह जीवन का वह समय होता है जब बच्चे स्वतंत्र रहना चाहते हैं और परिवार की तुलना में दोस्तों के साथ अधिक समय बिताते हैं। हालांकि, यह समय किसी सुंदर सपने से कम नहीं होता। लेकिन, इस दौरान भी बच्चों को बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स (Behavioral and Developmental Disorders in Children) हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं
पीडियाट्रिक पैनिक डिसऑर्डर (Pediatric Panic Disorder )
बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स (Behavioral and Developmental Disorders in Children) में अगला है पीडियाट्रिक पैनिक डिसऑर्डर। पैनिक अटैक को शारीरिक लक्षणों और डरा देने वालों विचारों सहित अधिक भय और पेनिस अटैक के रूप में परिभाषित किया गया है। बच्चों में पैनिक डिसऑर्डर को पीडियाट्रिक पैनिक डिसऑर्डर कहा जाता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- दिल का तेजी से धड़कना (Racing Heart)
- घुटन कि भावना (Choking Sensations)
- सांस लेने में समस्या (Difficulty Breathing)
- पसीना आना (Sweating)
- अंगों में सुन्नपन या झुनझुनी (Numbness or Tingling in the Limbs)
- मरने या नियंत्रण खोने का डर (Fear of Dying or Losing Control)
कारण (Causes): पीडियाट्रिक पैनिक डिसऑर्डर के कारण भी अज्ञात हैं। लेकिन कुछ फैक्टर्स को इस डिसऑर्डर का कारण माना गया है, जो इस प्रकार हैं
- बायोलॉजिकल फैक्टर्स (Biological factors)
- फैमिली फैक्टर्स (Family factors)
- एनवायर्नमेंटल फैक्टर्स (Environmental factors)
उपचार (Treatment) : पीडियाट्रिक पैनिक डिसऑर्डर के उपचार के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल ट्रीटमेंट (Cognitive behavioral treatment) और अन्य दवाइयों का प्रयोग किया जाता है।
सोशल फोबिया (Social Phobia)
सोशल फोबिया का अर्थ है बच्चों का लोगों के सामने प्रदर्शन करने का भय। इसमें बच्चे खुद को शर्मिंदा या अपमानित महसूस करते हैं। उन्हें लगता है कि दूसरे लोगों के सामने कुछ भी परफॉर्म करने से वो सबके सामने बेवकूफ या मूर्ख लगेंगे। स्कूल जाने वाले बच्चों में सोशल फोबिया सामान्य है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं
- स्कूल जाने के लिए मना करना (Avoiding or Refusing to go to School)
- दूसरों के सामने प्रदर्शन करने के लिए मना करना (Refusing to speak in Socials Settings)
- पुअर सोशल स्किल (Showing Poor Social Skills)
- दूसरों के सामने खाने में डरना (Being Afraid to Eat in front of Others)
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कारण (Causes): इस समस्या के कारण भी अज्ञात हैं लेकिन इसके कारणों में इनहेरिटेड, ब्रेन स्ट्रक्चर एनवायरनमेंट फैक्टर शामिल हैं।
उपचार (Treatment): इस समस्या के उपचार के लिए कॉग्निटिव बिहेवियरल ट्रीटमेंट (Cognitive Behavioral Treatment) और कुछ खास दवाइयां मददगार होती हैं।
कंडक्ट डिसऑर्डर (Conduct Disorder)
कंडक्ट डिसऑर्डर एक तरह का बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स (Behavioral and Developmental Disorders in Children) है। जब किसी बच्चे के साथ असामाजिक व्यवहार होता है, तो उसके बाद वह बेसिक सामाजिक मानकों और नियमों की अवहेलना कर सकता है। इसके लक्षण इस प्रकार हैं:
- आक्रामक आचरण (Aggressive Conduct)
- डराने वाला व्यवहार (Intimidating Behavior)
- दूसरों को तंग करना (Bullying)
- शारीरिक हिंसा (Physical fights)
- जानबूझकर संपत्ति नष्ट करना (Intentionally destroying Property)
- झूठ बोलना (Lying)
- चोरी (Theft)
इन लक्षणों की सूचि बहुत लम्बी हैं और यह सब लक्षण दिमागी स्वास्थ्य की समस्याओं से जुड़े हैं। ऐसे में बच्चे को डॉक्टर के पास ले जाना और इलाज कराना जरूरी है।
कारण (Causes): एक्सपर्ट्स का मानना है कि कंडक्ट डिसऑर्डर को कई कारक बढ़ा सकते हैं। यह कारक इस प्रकार हैं:
- दिमाग को नुकसान होना (Brain Damage)
- जीन (Genes)
- बाल उत्पीड़न (Child Abuse)
- स्कूल ने अच्छा न कर पाना (Past School Failure)
- सामाजिक समस्याएं (Social problems)
उपचार (Treatment) : इस समस्या का उपचार बच्चे में लक्षण, उम्र और स्वास्थ्य के अनुसार हो सकता है। इसके साथ ही इस का उपचार इस बात पर भी निर्भर करता है कि बच्चे कि स्थिति कितनी खराब है। कंडक्ट डिसऑर्डर का उपचार इन तरीकों से किया जाता है:
- कॉग्निटिव-बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive-Behavioral Therapy)
- फॅमिली थेरेपी (Family Therapy)
- पीयर ग्रुप थेरेपी (Peer Group Therapy)
- दवाईयां (Medicines)

बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स को कम करने के लिए क्या करना चाहिए? (How to Manage Behavioral and Developmental Disorders in Children)
अगर आपको ऐसा लगता है कि केवल आपके बच्चे के व्यवहार में ही समस्या है, तो आप गलत हैं। क्योंकि कई माता-पिता इस समस्या से गुजरते हैं। आपको जरूरत है तो शांत रहने और बच्चों में बिहेवियरल और डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स (Behavioral and Developmental Disorders in Children) को कम करने के लिए प्रयास करने की। जानिए, कैसे मैनेज कर सकते हैं आप इन डिसऑर्डर्स को:
- अगर आपके बच्चे को बिहेवियरल संबंधी कोई समस्या है, तो परेशान होने की जगह उसे समझने की कोशिश करें। अपने बच्चे को अच्छा करने के लिए प्रेरित करें और उसकी प्रशंसा करना न भूलें।
- अपने बच्चे पर विश्वास रखें और इस बात को अपने बच्चे को बार-बार बताएं भी। उसे यह बताना भी न भूलें कि आप उससे कितना प्यार करते हैं और उससे बहुत खुश हैं।
- अपने बच्चे के साथ मस्ती-मजाक करना न भूलें और बच्चे को समझाएं कि उसे खुद पर गर्व होना चाहिए।
- अपने बच्चे की पढ़ाई और अन्य गतिविधियों में मदद करें और रूचि लें।
- अगर आपके विचार अपने बच्चे के विचारों से नहीं मिलते हैं तो न तो परेशान हों न ही गुस्सा। क्योंकि, ऐसा होना स्वभाविक है।
- अगर आपको अपने बच्चे के स्वभाव या व्यवहार में कभी भी परिवर्तन नजर आता है, तो उसे नजरअंदाज न करें बल्कि तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर उपचार कराएं। क्योंकि, यह डिसऑर्डर उसके भविष्य पर बुरा असर ड़ाल सकते हैं।
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माता-पिता होने के नाते सबसे पहले आपको अपने बच्चे के व्यवहार को स्वीकार करना होगा और उसके बाद उनकी समस्याओं को ठीक करने के लिए प्रयास करने होंगे। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का व्यवहार एकदम से सही नहीं होगा। ऐसे में उसे कुछ वक्त दें और धैर्य रखें। अपने बच्चे के व्यवहार में परिवर्तन लाना चाहते हैं तो पहले आपका उसके लिए एक अच्छा रोल मॉडल बनाना जरूरी है।